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नक्सलवाद का हल जरूरी है: अभय

१८ अगस्त २०१२

चक्रव्यूह नाम की हिन्दी फिल्म में विद्रोही की भूमिका निभाने वाले अभय देओल का कहना है कि अगर नक्सलवाद की समस्या पर जल्द बातचीत नहीं की गई तो यह मुश्किल बेकाबू हो जाएगी.

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तस्वीर: AP

फिल्मकार प्रकाश झा की फिल्म चक्रव्यूह नक्सल समस्या पर है. पुलिस अधिकारी की मदद करने गए लेकिन बाद में नक्सलों के दोस्त बन गए अभय देओल नक्सल समस्या के बारे में कहते हैं, "मुझे थोड़ी जानकारी है क्योंकि मैंने सोनी सूरी नाम की एक महिला की कहानी पढ़ी है. एक आदिवासी महिला जो पुलिस और नक्सल लड़ाकों के बीच फंस जाती है. लेकिन नक्सलवाद कितना गहरा है इस बारे में जानकारी मुझे प्रकाश जी से मिलने के बाद पता चली. मेरा मानना है कि अगर इसका जल्द हल नहीं निकाला गया तो स्थिति और खराब हो सकती है. यह तब तक बेहतर नहीं हो सकती जब तक सरकार इसे संबोधित नहीं करती या फिर हम भारतीय इसके लिए कुछ करें. फिल्म करने के बाद मेरी सोच नकारात्मक हो गई. काश कि अर्जुन (फिल्म में बहादुर पुलिस ऑफिसर) जैसे चरित्र सच्चे जीवन में नहीं होते. मैं जानता हूं कि मेरे और अंजली पाटिल (नक्सलवादी) जैसे चरित्र सच में है, लेकिन मैं नहीं जानता कि अर्जुन और एशा जैसे हैं या नहीं."

अभय देओल पहली बार प्रकाश झा के साथ काम कर रहे हैं. "यह फिल्म करने में मुझे मजा आया. यह मेरी पहली एक्शन फिल्म है. प्रकाश जी ने मुझसे दौड़ लगवाई और हर तरह के एक्शन करने को कहा. यह काफी मजेदार था. मैंने प्रकाश जी के साथ एक हफ्ते वर्कशॉप की. स्क्रिप्ट पढ़ी, चरित्र को समझा. नक्सलवाद को समझा. मैंने देखा कि अन्याय देख कर शहर के बहुत से पढ़े लिखे लोग इस विचारधारा में शामिल हो गए."

Indien Maoisten Anschlag Archivbild
माओवाद की समस्या पर फिल्म चक्रव्यूहतस्वीर: AP

वहीं साथी अभिनेता अर्जुन रामपाल के लिए नक्सलवाद पूरी तरह से नया था. उनका कहना है कि इसका हल हिंसा में नहीं है. "मुझे नहीं पता था कि वह कितने संगठित हैं, उन्हें कितना पैसा मिलता है और कितना बड़ा है. हर भारतीय के लिए यह फिल्म अहम है क्योंकि उन्हें देखना चाहिए कि इस संघर्ष से आप बच नहीं सकते. उम्मीद है कि हम सब साथ मिल कर एक सही हल निकालेंगे."

अर्जुन फिल्म में मूंछों के साथ हैं. "मैं एक पुलिस ऑफिसर के रोल में हूं जिसका नाम एसपी आदिल खान है. वह कर्तव्यों का ध्यान रखने वाला, अच्छा और फिट पुलिस ऑफिसर है. लेकिन चरित्र में दुविधा है. वह अपनी नौकरी करना चाहता है लेकिन द्वंद्व में अटक जाता है, यह उन पुलिस अधिकारियों के बारे में हैं जो अच्छा काम करना तो चाहते हैं लेकिन कर नहीं पाते."

फिल्म में अर्जुन रामपाल और अभय देओल के अलावा मनोज बाजपेयी, ओम पुरी, एशा गुप्ता, अंजली पाटिल और कबीर बेदी हैं. फिल्म 24 अक्तूबर को रिलीज होगी.

एएम/एमजे (पीटीआई)