आतंरिक सुरक्षा पर बैठक में अंदरखाने फूट
१६ अप्रैल २०१२आंतरिक सुरक्षा पर हुए सम्मेलन के बाद तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जयललिता ने गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी और उड़ीसा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक से मुलाकात की. तीनों नेताओं ने केंद्र पर आरोप लगाया कि वह आतंरिक सुरक्षा जैसे अहम मुद्दे पर राज्य सरकारों की अनदेखी कर रहा है.
इससे पहले नई दिल्ली में आतंरिक सुरक्षा पर हुई बैठक में यूपीए सरकार में शामिल तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी नहीं आई. बैठक में नवीन पटनायक ने कहा, "एनसीटीसी पर बहस पर देरी खतरनाक है. आप सभी को पता है कि एक विधायक और दो इतालवी नागरिकों को वामपंथी कट्टरपंथियों ने अगवा कर लिया, इससे हमारे यहां संकट पैदा हुआ. देरी से इस तरह की दिक्कतें और बढ़ेंगी. मुझे उम्मीद है कि पांच मई को इसी मुद्दे पर होने वाली अगली बैठक में राज्यों के साथ गंभीरता से विचार विमर्श होना चाहिए."
राज्यों को आरोप है कि राष्ट्रीय आतंकवाद निरोधी केंद्र (एनसीटीसी) के जरिए केंद्र सरकार राज्य पुलिस के अधिकारों का हनन करने की कोशिश कर रही है. आतंकवाद संबंधी जांच की सूरत में केंद्रीय एजेंसी राज्य सरकार की इजाजत के बिना कार्रवाई के लिए स्वतंत्र होगी.
गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने कड़े स्वर में केंद्र सरकार की आलोचना की, "मैं आप लोगों को ध्यान सीबीआई के बढ़ते राजनीतिकरण की तरफ खींचना चाहता हूं. इसका इस्तेमाल राजनीतिक विरोधियों पर निशाना साधने के लिए किया जा रहा है." मोदी ने सेना और केंद्र सरकार को टकराव पर यूपीए पर निशाना साधा, "केंद्र सरकार आम लोगों के में रक्षा तैयारी के प्रति भरोसा पैदा करने में नाकाम रही है."
केंद्र सरकार ने गैर कांग्रेसी मुख्यमंत्रियों के विरोध के बीच माओवाद के खतरे पर चिंता जताई. गृह मंत्री पी चिदंबरम ने कहा, "वामपंथी कट्टपंथी देश के लिए सबसे बड़ा खतरा हैं. इस बारे में दो बातों पर सहमति बनी है. पुलिस कार्रवाई और विकास कार्य."
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने भी अपने भाषण में माओवाद के प्रति चिंता व्यक्त की, "मुझे खुशी है कि आपने वामपंथी कट्टरपंथ पर चर्चा के लिए एक अलग सत्र रखा. माओवादियों से पैदा हो रहे खतरे की लगातार निगरानी जरूरी है." राज्यों के साथ टकराव की आशंकाओं को नकारते हुए मनमोहन ने कहा, "आंतरिक सुरक्षा एक ऐसा मामला है जिस पर राज्य और केंद्र को साथ साथ काम करना चाहिए. हमारे सामने एक लंबा रास्ता है."
माओवादी इस वक्त भारत के नौ राज्यों में सक्रिय हैं. माओवादी दरअसल चीन के साम्यवादी शासक माओ से प्रभावित हथियारबंद वामपंथी हैं. वे आदिवासी और पिछड़े इलाकों में जमीन और नौकरियों की मांग कर रहे हैं. माओवादियों का आरोप है कि पुलिस और सरकारें धनी लोगों के इशारे पर काम करते हुए गरीबों का उत्पीड़न करती हैं.
भारत सरकार के मुताबिक देश में आतंकवाद के मामलों में कमी आई है. 2011 में सुरक्षा एजेंसियों ने 21 आतंकवादी इरादों को नाकाम किया और 64 लोगों को गिरफ्तार किया. हालांकि मुंबई में बीते साल भी सिलसिलेवार तीन धमाके हुए. भारतीय गृह मंत्री के मुताबिक भारत प्रशासित कश्मीर में भी हिंसा में कमी आई है.
इस बीच नेपाल और बांग्लादेश की सीमा को लेकर चिदंबरम ने आगाह भी किया. यूपी के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने भी नेपाल सीमा पर सख्त निगरानी की वकालत की. भारत और नेपाल का बॉर्डर खुला हुआ है. दोनों देशों के लोग एक दूसरे मुल्कों में बेरोकटोक आ सकते हैं.
ओएसजे, एनआर (डीपीए, पीटीआई)