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एशियाई बाजारों पर नहीं पड़ने देंगे असर: क्लिंटन

२५ जुलाई २०११

अमेरिकी विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन के हांगकांग दौरे पर भी अमेरिका के ऋण संकट के बादल मंडराते रहे. क्लिंटन ने आश्वासन दिलाया कि अमेरिकी संकट से एशियाई बाजारों को नुकसान नहीं पहुंचेगा.

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U. S. Secretary of State Hillary Rodham Clinton listens to a question as she addresses the media after talks with her Turkish counterpart Ahmet Davutoglu, unseen, in Istanbul, Turkey, Saturday, July 16, 2011. (Foto:Burhan Ozbilici/AP/dapd)
तस्वीर: AP

अमेरिकी विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन ने एशियाई निवेशकों को विश्वास दिलाया है कि अमेरिकी ऋण संकट के कारण उनके बाजार पर कोई असर नहीं पड़ेगा. क्लिंटन ने कहा कि उन्हें पूरा विश्वास है कि राष्ट्रपति बराक ओबामा सांसदों के साथ एक आम सहमति पर पहुंचेंगे और इस संकट से बाहर निकलने का रास्ता ढूंढ ही लेंगे. अपने हांगकांग दौरे पर क्लिंटन ने कहा, "मुझे पूरा विशवास है कि कांग्रेस सही निर्णय लेगी, ऋण संकट को लेकर एक समझौते पर पहुंच पाएगी और राष्ट्रपति ओबामा के साथ मिलकर जरूरी कदम उठाएगी."

क्लिंटन का आश्वासन

हांगकांग पहुंच कर क्लिंटन ने जो भाषण दिया उसमें उन्होंने ज्यादातर अमेरिकी ऋण संकट की ही चर्चा की. क्लिंटन ने कहा, "मैं आप लोगों को आश्वासन देना चाहती हूं कि हम इस बात को बहुत अच्छी तरह समझते हैं कि दांव पर कितना कुछ लगा हुआ है. हम जानते हैं कि हमारे लिए यह कितना जरूरी है और हम यह भी जानते हैं कि आपके लिए यह कितना जरूरी है."

President Barack Obama meets with Congressional leaders regarding the debt ceiling, Wednesday, July 13, 2011, in the Cabinet Room at the White House in Washington. Clockwise, from left are, House Majority Leader Eric Cantor of Va., House Minority Leader Nancy Pelosi of Calif., House Speaker John Boehner of Ohio, the president, Senate Minority Leader Mitch McConnell of Ky., Senate Majority Whip Richard Durbin of Ill., Senate Minority Whip Jon Kyl of Ariz., Budget Director Jack Lew, Vice President Joe Biden, White House Chief of Staff William Daley, and National Economic Council director Gene Sperling. (Foto:Charles Dharapak/AP/dapd)
व्हाईट हाउस में ऋण संकट पर बहसतस्वीर: dapd

हांगकांग में एचएसबीसी के एशियन इकोनोमिक्स रिसर्च के सहअध्यक्ष फ्रेड नॉयमन ने कहा कि अमेरिकी सांसद अच्छी तरह जानते हैं कि एशियाई निवेशकों को इस समय आश्वासन की सख्त जरूरत है. नोयमन ने कहा कि निवेशकों को यह डर सता रहा है कि अमेरिका ऋण का भुगतान नहीं कर पाएगा और इस से एशियाई बाजार को बड़ा धक्का लग सकता है. नोयमन ने कहा, "आने वाले कुछ सालों में अमेरिका और पश्चिमी यूरोप एशिया के बाजारों पर और भी ज्यादा निर्भर हो जाएंगे. ऋण चुकाने के लिए ये बाजार उनके लिए बड़ी एहमियत रखते हैं."

चीन पर निशाना

अमेरिकी ऋण में एशिया का कुल हिस्सा तीन हजार अरब डॉलर का है, इसमें से 1.16 खरब डॉलर चीन के हैं. इसलिए अमेरिकी संकट की चिंता एशिया के बाकी देशों से ज्यादा चीन को सता रही है. चीन अमेरिका पर दबाव बनाने की कोशिश भी कर रहा है. अमेरिकी अधिकारियों ने बताया कि चीन ने वॉशिंगटन से जल्द से जल्द मामले को काबू में लाने को कहा है. एक अमेरिकी अधिकारी ने बताया, "उन्होंने हमसे कहा है कि उन्होंने अमेरिका में काफी बड़ा निवेश किया है, इसलिए वह चाहते हैं कि अमेरिका अपनी जिम्मेदारियों को पूरा करे."

क्लिंटन ने भी चीन पर वार करने का मौका नहीं छोड़ा. उन्होंने कहा कि वॉशिंगटन एक ऐसा ढांचा तैयार करना चाहता है जिससे सब को समान रूप से फायदा मिले और चीन जैसे अन्य देश तेजी से विकास करने के लिए गलत रूप से बाजार का फायदा ना उठा सकें, जैसा कि वे करते आए हैं.

रिपोर्ट: एजेंसियां/ ईशा भाटिया

संपादन: आभा एम

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