1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

हैम्बर्ग में इबोला का इलाज

३१ जुलाई २०१४

पश्चिमी अफ्रीका में फैल रहा इबोला का कहर अब एशिया और यूरोप में फैलने की आशंका है. दोनों महाद्वीप हाई अलर्ट पर हैं. इधर जर्मनी के शहर हैम्बर्ग में इस वायरस से निबटने की तैयारियां की जा रही हैं.

https://p.dw.com/p/1Cmga
तस्वीर: picture alliance/dpa

पश्चिमी अफ्रीका में फैल रहे इबोला के अब एशिया और यूरोप में फैलने की आशंका है. दोनों महाद्वीप हाई अलर्ट पर हैं. इधर जर्मनी के शहर हैम्बर्ग में इस वायरस से निबटने की तैयारियां की जा रही हैं.

डॉक्टर्स विदाउट बॉर्डर्स के मुताबिक इबोला गिनी, लाइबेरिया और सिएरा लियोन में फैल रहा है. इसकी वजह से लाइबेरिया में सभी स्कूल बंद कर दिए गए हैं. अमेरिका ने सुरक्षा और स्वास्थ्य कारणों से कुछ कर्मचारियों को लाइबेरिया से बुला लिया है. उधर हॉन्ग कॉन्ग में भी परीक्षण किए जा रहे हैं.

इबोला वायरस से कुछ ही दिनों में भारी बुखार, मांसपेशियों में दर्द, उल्टी और डायरिया से इंसान की जान जा सकती है. मार्च से अभी तक इबोला के 1201 मामले सामने आए और गिनी, लाइबेरिया और सिएरा लियोन में इस बीमारी से कुल 672 लोगों की मौत हो चुकी है. इसमें एक डॉक्टर शेख उमर खान भी शामिल थे जो सिएरा लियोन में मरीजों का इलाज कर रहे थे. उन्हें हैम्बर्ग के खास क्लीनिक में लाया गया लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी. डॉक्टरों को उम्मीद है कि उन्हें बीमारी के बारे में और जानकारी मिलेगी जिससे इलाज करने की कुंजी पता चलेगी.

Universitätsklinikum Hamburg-Eppendorf Schutzanzug Ebola Virus Isoliertstation
तस्वीर: picture alliance/Hagen Hellwig

फायर ब्रिगेड की मदद

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने पिछले सप्ताह हैम्बर्ग के डॉक्टरों से इलाज के लिए मदद मांगी थी. स्वास्थ्य मंत्रालय की मदद से मरीजों को कुछ ही घंटों में हैम्बर्ग लाया जा सकता है और एयरपोर्ट से उन्हें विशेष गाड़ियों से अस्पताल तक पहुंचाया जा सकता है.

हैम्बर्ग यूनिवर्सिटी क्लीनिक के एक हिस्से में छह बिस्तरों का इंतजाम किया गया है. यह कमरा दूसरे हिस्सों से बिलकुल कटा हुआ (क्वारेन्टाइन) है और यहां तीन दरवाजों से होकर पहुंचना पड़ता है. एयर लॉक दरवाजों में हवा का दबाव ऐसा बनाया गया है कि सिर्फ बाहर की हवा अंदर आ सके, अंदर की हवा बाहर न जाए. इससे बीमारी के वायरस के फैलने के खतरे को कम किया जा सकता है.

फिलहाल ये कमरा सिर्फ टेस्टिंग के काम आ रहा है. यहां आने जाने वाले डॉक्टरों को खास ड्रेस और मास्क पहनना होता है. जिससे पसीना बाहर नहीं जा सकता और बाहर से हवा छन कर आती है. तीन घंटे से ज्यादा इस ड्रेस में रहना मुश्किल है. इन ड्रेसों को दोबारा इस्तेमाल नहीं किया जा सकता. हर बार इन्हें इस्तेमाल करने के बाद जला दिया जाता है. डॉक्टर श्टेफान श्मीडेल बताते हैं, "आम लोगों की सुरक्षा को ध्यान में रख कर ये सुरक्षा उपाय किए गए हैं. और जो इलाज कर रहे हैं वो चिकित्सक भी संक्रमण से बचे रहें. बिना किसी चिंता के इलाज किया जा सके."

वायरस का डर

संक्रमित मरीजों की यात्रा के बारे में भी भारी बहस चल रही है. खास तौर पर इंटरनेट में. कई मामलों में टिप्पणियां अजीब तरह की हैं. कई लोगों की चिंता है कि मरीजों को इतने लाखों लोगों के शहर हैम्बर्ग में लाया जा रहा है. एक ने लिखा है, यह "पागलपन" है. जबकि कुछ हैम्बर्ग के डॉक्टरों पर विश्वास रखते हैं और इस मदद को अच्छा मानते हैं.

जानलेवा इबोला वायरस के खिलाफ अभी तक कोई इलाज नहीं है. लेकिन डॉक्टर श्मीडल का कहना है कि इंसानी शरीर खुद इस वायरस से लड़ने में सक्षम है, बशर्ते शरीर के आंतरिक अंगों का काम बरकरार रखा जाए. इसके लिए मरीज को ऑक्सीजन पर रखा जाता है और पेट की क्रियाओं को कृत्रिम तौर से नियंत्रित रखा जाता है. और उन्हें ड्रिप लगाई जाती है ताकि शरीर को जरूरी तरल मिलता रहे.

रिपोर्टः पेटर हिले/आभा मोंढे

संपादनः ए जमाल