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हिन्दी के अच्छे दिन

३० जून २०१४

मंथन और वेबपेज पर दी गई राजनीतिक, मनोरंजन, खेल, विज्ञान और पर्यावरण संबंधित रिपोर्टें पाठकों को कैसी लगी, जानिए उन्ही के शब्दों में...

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Symbolbild Hindi
तस्वीर: picture-alliance/ZB

सरकारी अधिकारियों की हिन्दी क्लास - प्रधानमंत्री मोदी के इस निर्णय से लगता है हिन्दी के भी अच्छे दिन आ रहे हैं.अब तक जो स्वदेशी भाषा अपने ही देश में पराई हो रही थी, जो केन्द्रीय सरकार द्वारा रुचि ना दिखाए जाने के कारण अमान्य और उपेक्षित हो रही थी, लगता है मोदी जी के इस निर्णय से फिर से सम्मान और अधिकार पा जाएगी. लोग इसे राजकीय दवाब के कारण फिर से सीखना शुरू कर देंगे, रुचि दिखाने लगेंगे. इस कदम के लिए मैं उनका हार्दिक अभिनंदन करती हूं और शुभकामनाएं प्रेषित करती हूं कि वे इस कार्य में सफलता प्राप्त करें. मंजु महिमा भटनागर, अहमदाबाद

प्राचीनकाल से जर्मनी पूरे विश्व मे अपनी ठोस गुणवत्ता से पहचाना जाता रहा है और जर्मनी द्वारा निर्मित हर प्रकार की मशीनें लोगों के विश्वास पर खरी उतरती रही हैं. मेड इन जर्मनी नाम मात्र ही भरोसे का प्रतीक माना जाता है. स्मार्ट और आधुनिक जीवन की खोज में जर्मन वैज्ञानिक सदैव तत्पर रहे हैं और इन्हीं हलचलों के पल पल बदलते समीकरण से रूबरू करवाता मंथन हमारे जीवन का एक अभिन्न अंग बन चुका है इसमें शामिल सभी रिपोर्टें दिल को छू जाती हैं. सप्ताह में एक बार मात्र 30 मिनट में हम विज्ञान संबंधी कई ऐसी बातों से अवगत हो जाते हैं जिसकी खोज में शायद कई दिन पत्रिकाओं और किताबों की खाक छाननी पड़े. विज्ञान के समंदर से चुनें हुए ज्ञान के मोती को हमारे समक्ष पेश करने हेतु पूरी मंथन टीम का धन्यवाद. मुहम्मद सादिक आजमी, ग्राम- लोहिया, जिला आजमगढ, उत्तर प्रदेश

आप सभी प्रस्तुतिकर्ताओं का तहे दिल से धन्यवाद कहता हूं कि आप इतना अच्छा कार्यक्रम चला रहें. इससे हम को ज्ञानवर्धक जानकारी तो मिलती ही है साथ ही देश विदेश में जो कुछ घट रहा है उसकी जानकारी भी हमें हमारी भाषा में देखने को मिलती है. मेरा एक सवाल या सुझाव है कि आप एक बार बच्चों या बड़ों में होने वाली त्वचा की समस्या पर एक कार्यकम रखे तो मुझे खुशी होगी. राजेश देहरिया

Symbolbild Neurodermitis
तस्वीर: picture-alliance/dpa

बदायूं का मामला बहुत ही गंभीर है. ये किसी गहरी साजिश की करतूत है. विषय चिंता का है. आखिर क्यों ऐसा हो रहा है और इसके पीछे कौन है. आखिर ऐसा क्यों हो रहा है. समाज में सेक्स की विकृति तेजी से फैल रही है. संजय कुमार मिश्रा, गया

मैं डीडब्ल्यू का नियमित पाठक हूं. मुझे यह पेज और नेटवर्क बहुत ज़्यादा पसंद है. एक छोटा सा सुझाव है वह यह कि आप वीडियो और फोटो गैलरी ज़्यादा डालने लगे हैं और लिखे हुए आलेख कम होते जा रहे हैं. प्लीज अगर हो सके तो वीडियो और फोटो गैलरी की जगह लेखों की संख्या बढ़ाएं. हुसैन मिर्जा, फेसबुक

WM 2014 Achtelfinale Griechenland Costa Rica
तस्वीर: Reuters

हमेशा की तरह मैं डॉयचे वेले की हिन्दी वेबसाइट के विभिन्न पृष्ठों में प्रदर्शित होने के विभिन्न लेख पढ़ रहा हूं इसके माध्यम से वैश्विक राजनीति, अर्थव्यवस्था, विज्ञान और पर्यावरण, मनोरंजन की दुनिया, और खेल सहित समसामयिक मुद्दों पर अपने ज्ञान को अपडेट करने के लिए मुझे मदद मिलती है. इस समय आपकी वेबसाइट का खेल पृष्ठ मुख्य आकर्षण का केंद्र है. ब्राजील में विश्व कप फुटबॉल की शुरुआत के साथ, हमें 'खेल' पेज में मैच के परिणाम और आंकड़ों के बारे में अद्भुत जानकारी मिल रही है. विश्वकप फुटबॉल के अवसर पर डॉयचे वेले हिन्दी विभाग की ओर से एक विशेष प्रतियोगिता का आयोजन अगर होता तो बेहतर होता. डॉयचे वेले की हिन्दी वेबसाइट की लोकप्रियता अपनी विविधता और मजबूत और निष्पक्ष पत्रकारिता के लिए अधिक से अधिक बढ़ रही है. इसके अलावा दैनिक, साप्ताहिक और मासिक प्रतियोगिताएं भी हिन्दी वेबसाइट के पाठकों के लिए मुख्य आकर्षण का केंद्र हैं. इन सबसे ऊपर आपकी वेबसाइट का खास पेज 'मंथन' जो पढ़ता है और वीडियो प्रस्तुति को सुनते हैं और साप्ताहिक टीवी कार्यक्रम 'मंथन' देखते हैं वह काफी लाभान्वित होते हैं. मैं गर्व से कह रहा हूं कि मैं डॉयचे वेले के साथ हमेशा रहा हूं और आगे भी बना रहूंगा. सुभाष चक्रबर्ती, नई दिल्ली

संकलनः विनोद चड्ढा

संपादनः आभा मोंढ़े