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हाथियों पर जुल्म ढाता पर्यटन

२९ जुलाई २०१४

मोटी जंजीरों में जकड़ा एक हाथी अपने पिछले पैरों पर किसी तरह संतुलन बना रहा है. एक विदेशी जोड़ा शान से इसकी पीठ पर सवार है. और महावत बेदर्दी से लोहे के अंकुश से हाथी को आगे बढ़ने के लिए कह रहा है.

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तस्वीर: Visionsi - Fotolia.com

श्रीलंका की सैर करने वाले लोगों के लिए यह आम बात होती है. यह जोड़ा पिनावाला घूमने पहुंचा है, जो राजधानी कोलंबो से करीब 100 किलोमीटर पूर्व में है. वे मजे ले रहे हैं और हिचकोले खाते हुए आगे बढ़ रहे हैं. लेकिन वे नहीं देख पा रहे हैं कि हाथी की अगली टांगों में लोहे की मोटी जंजीर बंधी है. इस हाथी ने भीषण गर्मी में भी आज कई जोड़ों को घुमा दिया है. खुद दर्द सहन कर उन्हें खुश कर दिया है.

पर्यावरण संरक्षण ट्रस्ट के निदेशक सजीवा चामीकारा का कहना है, "दुर्भाग्य की बात है कि सैलानियों को पता नहीं होता कि पालतू जानवरों का इस तरह इस्तेमाल गैरकानूनी है. सरकार सिर्फ सांस्कृतिक कार्यक्रमों और धार्मिक अनुष्ठानों में उनके इस्तेमाल की इजाजत देती है."

संघर्ष के बाद पर्यटन

पाबंदियों के बावजूद जानवरों की मांग बढ़ी है क्योंकि श्रीलंका में पर्यटन तेजी से बढ़ रहा है. तमिलों और सिंघलियों में तीन दशक के संघर्ष के बाद अब वहां का पर्यटन में तेजी आ रही है. सुनहरे रेत वाले समुद्र तटों और वन्य जीवों को लेकर लोग बहुत उत्साहित होते हैं और श्रीलंका घूमना चाहते हैं. यहां काफी संख्या में हाथी हैं और खास तौर पर पिनावाला में सरकारी अनाथालय में हाथी भरे पड़े हैं.

पर्यावरण मामलों के वकील जगत गुनावर्धने कहते हैं, "पर्यटन उद्योग में हाथियों की मांग तेजी से बढ़ रही है. कानून पर्यटन में इनके इस्तेमाल की अनुमति नहीं देता, इसलिए कई लोग तो जंगल जाकर हाथियों को पकड़ लाते हैं." अनुमान है कि श्रीलंका में कुल 6000 हाथी बचे हैं और हर साल इनमें से 250 का नुकसान हो जाता है.

Elefant mit großen Stoßzähnen
दांत की वजह से बलि चढ़ते हाथीतस्वीर: CC BY 2.0/Gopal Vijayaraghavan

ज्यादातर मामलों में जब कोई हाथी बस्ती में घुस आता है, तो उसके कहर को रोकने लिए उसे जहर दे दिया जाता है या गोली मार दी जाती है. लेकिन तस्करी के लिए भी काफी हाथियों को मारा जा रहा है. गुनावर्धने कहते हैं, "हम समझते हैं कि हाथी के हर बच्चे को पकड़ने के लिए उसकी मां को मार दिया जाता है क्योंकि आम तौर पर बच्चे को उसकी मां से जुदा करना आसान नहीं होता. यह बेहद खतरनाक तरीका है, हमारे हाथियों की आबादी खतरे में है."

हाथी के बच्चों पर निशाना

उनका अंदाजा है कि पिछले पांच साल में पड़ोसी जंगल से 50 हाथी के बच्चों को पकड़ा गया है. दूसरे आंकड़े यह संख्या 70 से अधिक बताते हैं. हाल ही में मध्य श्रीलंका से एक हाथी के बच्चे की तस्करी को किसी तरह रोका गया. ब्रिटेन में बॉर्न फ्री फाउंडेशन की दीपानी जयंता का तस्करों के बारे में कहना है, "उनका एक बड़ा नेटवर्क है. वे किसानों और दूसरे स्थानीय गांववालों से दोस्ती गांठ लेते हैं. इसके अलावा वे वन अधिकारियों के भी संपर्क में रहते हैं."

जयंता का कहना है कि उन्हें लगता है कुछ वेटनरी डॉक्टर भी उनकी मदद करते हैं और हाथियों को ड्रग दे देते हैं. एक हाथी की कीमत एक करोड़ श्रीलंकाई रुपये यानि 77,000 डॉलर तक होती है. ज्यादातर हाथियों को सिर्फ सैलानियों को दिखाने के लिए रखा जाता है. इस दौरान उन्हें जंजीरों में बांधे रखा जाता है. कई हाथियों को पेट भर खाना भी नहीं दिया जाता.

पिनावाला के राष्ट्रीय हाथी अनाथालय के तौर तरीकों पर भी सवाल उठे हैं. रिपोर्टें हैं कि यहां के हाथियों को छड़ी और डंडों से पीटा जाता है. पर्यटन क्षेत्र में हाथियों के इस्तेमाल को लेकर एक सरकारी दिशा निर्देश है लेकिन इसका पालन नहीं होता.

चामीकारा कहते हैं कि लगता है कि सैलानियों को ही कुछ कदम उठाना होगा, "जो लोग श्रीलंका घूमने आते हैं और हाथियों की सवारी करते हैं, उन्हें इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए कि हाथियों को किस तरह रखा जाता है."
एजेए/एएम (डीपीए)