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"हम सिर्फ गैर मुसलमानों को नौकरी देते हैं"

२२ मई २०१५

धर्म को कारण बता कर नौकरी के आवेदन को खारिज करने वाली एक कंपनी के खिलाफ पुलिस ने मामला दर्ज किया है. कंपनी का कहना है कि वह सिर्फ गैर मुसलामानों को ही नौकरी पर रखती है.

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तस्वीर: Fotolia/anandkrish16

मुंबई के रहने वाले जिशान खान ने हीरों की एक फर्म में नौकरी के लिए आवेदन भेजा. वे बताते हैं कि 15 मिनट के भीतर उन्हें अपने ईमेल का जवाब मिला, जिसमें लिखा था, "आपके आवेदन के लिए धन्यवाद. हमें आपको बताते हुए खेद हो रहा है कि हम केवल गैर मुसलमान उम्मीदवारों को ही नौकरी पर रखते हैं." हाल ही में एमबीए की पढ़ाई पूरी करने वाले जिशान खान ने इस ईमेल का स्क्रीनशॉट लिया और अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए फेसबुक पर पोस्ट किया. दो दिन के अंदर जिशान खान के समर्थन में सोशल मीडिया पर आवाजें उठने लगीं.

विस्तृत जानकारी देते हुए जिशान ने समाचार एजेंसी पीटीआई को बताया, "मैंने पिछले ही हफ्ते एमबीए का आखिरी सेमेस्टर पूरा किया है और बाकी के छात्रों की तरह मैं भी नौकरी ढूंढ रहा हूं. मुझे पता चला कि इस कंपनी में हायरिंग चल रही है. मुझे लगा कि अपना करियर शुरू करने के लिए यह एक अच्छा मौका है. मैंने दो अन्य सहपाठियों के साथ नौकरी के लिए अप्लाई किया और 15 मिनट में मुझे यह जवाब मिल गया." अपना गुस्सा जाहिर करते हुए 22 साल के जिशान कहते हैं, "ऐसे समय में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विदेशों के दौरे कर रहे हैं, उन्हें यहां निवेश करने के लिए बुला रहे हैं और मेक इन इंडिया कैंपेन को बढ़ावा दे रहे हैं, जानेमाने एक्सपोर्ट हाउस धर्म के नाम पर उम्मीदवारों को खारिज कर रहे हैं."

ट्रेनी को दिया दोष

इस बीच कंपनी ने ईमेल के जरिए जिशान से माफी मांगी है और सफाई देते हुए कहा है कि यह "गलती" एक ट्रेनी के कारण हुई. ईमेल में लिखा गया है, "यह एक बहुत बड़ी भूल थी, एक गड़बड़ जो हमारे एक ट्रेनी ने की, जिसके पास कंपनी के लिए फैसले लेने का कोई अधिकार नहीं है." कंपनी ने यह भी समझाने की कोशिश की है कि अल्पसंख्यकों के खिलाफ उसकी कोई नीति नहीं है, "हमारे दफ्तर में 61 लोग काम करते हैं. इनमें से एक मुसलमान भी है. हमारी कंपनी जाति, धर्म और लिंग के आधार पर पक्षपात नहीं करती. 50 से ज्यादा कर्मचारी अल्पसंख्यक हैं. हमारी कंपनियों के ग्रूप में 28 राज्यों के लोग काम करते हैं और इनमें से कुछ बारह साल से हमारे साथ हैं."

अल्पसंख्यकों के लिए राष्ट्रीय कमीशन अब इस मामले से जुड़ गया है. साथ ही महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने मामले की जांच के आदेश देते हुए कहा है, "मुझे लगता है कि यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है. उनके (कंपनी के) पास हक है कि वे हुनर की कमी के कारण नौकरी देने से इनकार करें लेकिन धर्म के नाम पर ऐसा करना अस्वीकार्य है." पुलिस ने आईपीसी की धारा 153-बी के अंतर्गत मामला दर्ज कर लिया है.

आईबी/एसएफ (पीटीआई)