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हनोवर: हरीतिमा का शहर

२८ जुलाई २००९

हनोवर मशीनों के अंतरराष्ट्रीय मेले के लिए मशहूर है. हर साल यहां सबसे आला मशीनें और सबसे उम्दा तकनीक का प्रदर्शन होता है. एक बात और भी है कि इस शहर का आधा हिस्सा पार्कों, जंगलों और पानी के कुंडों से बना है.

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तस्वीर: AP

अपने बारे में कम बोलता प्रदर्शनी शहर

शायद जर्मनी के किसी और शहर को इतने सारे मत आग्रहों से नहीं जूझना पड़ता है जितना कि हनोवर को. ये शहर आपको पहली नज़र में पास नहीं बुलाता, आकर्षित नहीं करता और उत्साहित भी नहीं करता. वो एक कॉस्मोपोलिटन शहर बनना चाहता रहा है और नहीं भी चाहता रहा है. ऐसा क्यों है हनोवर. अपने व्यवहार और अपनी शख्सियत में इतना अजीबोग़रीब नीरस और सपाट. क्या वो वाकई ऐसा है. क्या इस शहर के पास बताने को कुछ भी उल्लेखनीय नहीं है. शायद ऐसा कहना जल्दबाज़ी होगी.

Hannover Messe 2009
तस्वीर: DW / Karam

लोअर सैक्सोनी प्रांत की राजधानी हनोवर के बारे में पहले तो यही बता दें कि मशहूर जर्मन रॉक बैंड स्कॉर्पियोन्स इसी शहर का है. हनोवर अपनी पर्देदारी में कई आयोजनों के लिए मशहूर रहा है. यहां लगने वाले सालाना औद्योगिक व्यापार मेलों का कोई दुनिया में सानी नहीं. 2000 में ही हनोवर में अंतरराष्ट्रीय प्रदर्शनी लगी थी एक्सपो 2000 के नाम से. इस अभूतपूर्व और विहंगम मेले को देखने करोड़ों लोग देश दुनिया से आए थे. अब हनोवर वालों की ये प्रवृत्ति हो कि अपनी चीज़ों को कम करके आंके, ये अफ़सोस करें कि उनके शहर को कोई पसंद नहीं करता लेकिन हनोवर जैसा दिखता है वैसा है नहीं. वो सपाट छवियों के नीचे धड़कता एक बुलंद शहर है.

मन को हरती हरियाली

किसी हनोवर वासी से पूछिए कि उसके शहर में क्या ख़ास है तो वो यही कहता रहेगा कि, “उसे हरियाली पसंद है और यहां का पानी” और आप मानें या न मानें, शहर का आधा हिस्सा पार्कों, जंगलों और पानी के कुंडों से बना है. यह यूरोप का सबसे बड़ा नगर वन है. आईलेनरिडे नाम की मशहूर माश झील है, सेंट जॉर्ज का बाग है और भी कई हरी पट्टियां हैं. और हनोवर की ये समस्त हरीतिमा मन को हर लेती है. एक कस्बे का सा भान देने वाला ये शहर 1946 में लोअर सैक्सोनी सूबे की राजधानी बना था. ये महज़ एक ग्रीन मेट्रोपोलिस नहीं है वरन उत्तरी राज्य का सांस्कृतिक, आर्थिक, और वैज्ञानिक हृदय भी है.

छिपी कलाओं का शहर

Rathaus in Hannover
Hanover City Hall, Germany Rathaus in Hannoverतस्वीर: AP

शहरी विकास का अनुपम उदाहरण तो हनोवर को हरगिज़ नहीं कहा जा सकता. दूसरे विश्व युद्ध के दौरान 85 फीसदी सिटी सेंटर तबाह हो गया था. उसके बाद हुए पुनर्निर्माण के काम में इस्तेमाल कई तरह के वास्तुशिल्पों ने एक गड्डमड्ड आकार इमारतों को दिया. उन्हें ज़्यादा से ज्यादा आप “दिलचस्प“ कह सकते हैं. शहर के कई हिस्सों में 19 वीं सदी के भवन निर्माण की नमूना इमारतें देखी जा सकती हैं. उस दौर की जब जर्मनी में औद्योगिक विस्तार चल रहा था. हनोवर में एक बात और दिलचस्प है कि यहां म्युनिख और कोलोन की तुलना में घर या कमरे सस्ते किराए पर मिल जाते हैं.

दुनिया के कारोबार की झलक दिखाता हनोवर

हनोवर जर्मनी का ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में सबसे अहम व्यापार प्रदर्शनी स्थल है. हर साल अप्रैल में यहां लगने वाला मशीन मेला दुनिया का सबसे बड़ा उद्योग मेला है. अंग्रेज़ों ने उस दौर में इसकी शुरूआत की थी, जब उत्तरी जर्मनी में उनका बोलबाला था, हुकूमत थी. दूसरे विश्व युद्ध के बाद हनोवर का एक बड़ा मकसद था लड़खड़ाते जर्मन उद्योग को सहारा देना. उसमें जान फूंकना. इस काम में ज़ाहिर है हनोवर कामयाब रहा. आज के सूचना दौर में हनोवर अपने औद्योगिक मेले के अलावा सूचना प्रौद्योगिकी पर केंद्रित सालाना आयोजन के लिए भी जाना जाता है. कम्प्यूटर और तकनीक के साजो सामान और आविष्कारों की झलक दिखाते इस मेले को कहा जाता है सेबिट. अपने विस्तार अपनी अहमियत और अपने कारोबार और अपनी उपस्थिति दर्ज करने के लिहाज़ से इस सेबिट मेले ने औद्योगिक मेले को भी पीछे छोड़ दिया है. कभी ये उस मेले का ही एक विस्तार भर था. आज सेबिट मेले की अपनी आवाज़ अपनी शख़्सियत अपनी भूमिका है. हर साल मार्च में होने वाले इस मेले को देखने लाखों लोग आते हैं.

शोध और अध्यापन की परंपरा
हनोवर की शोध केंद्र के रूप में सदी पुरानी प्रतिष्ठा है. मशहूर दार्शनिक गॉटफ्रिड विलहेल्म लाईबनित्स ने 1716 में अपने निधन से पहले कई वर्ष इस शहर में बिताए थे. यहां की यूनिवर्सिटी इस विद्वान के नाम पर है. लाईबनित्स को अपने कई महत्ती कार्यो के अलावा इंटीग्रल और डिफ्रेशिंयल कैलकुलस का जनक माना जाता है. कई और शख़्सियतों ने हनोवर को अपना बसेरा बनाया. 19 वीं सदी के ड्राफ्टमैन और कवि विल्हेल्म बुश्च अपनी चुटीली व्यंग्य रचनाओं और कैरीकेचर के लिए जाने जाते थे. कला आंदोलन दादावाद के जर्मन चितेरे कुर्ट श्विटर्स ने अपनी एक कविता “आन आन्ना ब्लूमे“ के ज़रिए अंतरराष्ट्रीय ख्याति हासिल की थी. बीसवीं सदी के विख्यात जर्मन चिंतकों में एक हान्नाह आरेन्ड्ट हनोवर में पैदा हुए थे.

अपनी चुप्पी और ओढ़ी हुई नीरसता के भीतर इस तरह हनोवर एक उद्दाम गतिशील यथार्थ का शहर है. उसकी इमारतें, बगीचे, जंगल, तालाब, मेले, बौद्धिकता और उसके लोगों में निरालेपन का एक ख़ामोश संगीत तैरता रहता है. हनोवर को अपना मोह भले न हो लेकिन यहां आने वालों को तो वो मोहित कर ही लेता है.

शिव प्रसाद जोशी