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सड़कों पर गांजे की पार्टियां

२१ अप्रैल २०१४

अमेरिका के कुछ राज्यों में गांजा की खरीद फरोख्त वैध कर दी गई है. गांजे के शौकीन चाहते हैं कि पूरे देश में ऐसा किया जाए. इसके लिए एक बार फिर वे सड़कों पर निकले और पार्टियां कर के प्रदर्शन किया.

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USA Marijuana 20.04.2014
तस्वीर: Getty Images

प्रदर्शनों में अक्सर नारे होते हैं, शोर गुल होता है. ऐसा ही यहां भी था. फर्क इतना है कि कोई हिंसा नहीं हुई, बल्कि लोग संगीत पर थिरकते रहे. अमेरिका और कनाडा के कई इलाकों में पूरे सप्ताहांत इस तरह की पार्टियां चलती रहीं.

एक तरफ वे लोग हैं जिनका मानना है कि गांजे का इस्तेमाल दवा के रूप में किया जा सकता है, इसलिए इसे वैध किया जाना जरूरी है. तो दूसरी ओर वे भी हैं जो खुलेआम कानून का मजाक उड़ाए जाने को ले कर सकते में हैं और इस बात से परेशान हैं कि उनके बच्चों पर इस तरह की रैलियों का क्या असर पड़ेगा.

कैनबिस वर्कशॉप

अमेरिका के डेनवर शहर से रैलियों की यह परंपरा शुरू हुई. वहां इस दौरान 'कैनबिस कप' नाम का शो भी आयोजित किया गया. दो दिन तक चले इस शो में लोगों को गांजे के सैंपल दिए गए, उन्हें सिखाया गया कि भांग कैसे उगाई जाती है और इसकी दुकान कैसे चलानी चाहिए. इसके अलावा यहां लोगों को यह भी सिखाया गया कि बच्चों से चरस के बारे में कैसे बात की जाए.

USA Marijuana 20.04.2014
तस्वीर: Getty Images

इसी तरह सिएटल में भी 'कैनबिस वर्कशॉप' आयोजित की गई जिनमें ज्वाइंट रोल करना भी सिखाया गया. सिएटल में हर व्यक्ति को 28 ग्राम गांजा रखने की अनुमति है.

420 रैलियां

अमेरिका में कई सालों से इस तरह की रैलियां निकाली जा रही हैं. इन्हें नाम दिया गया है '420 फेस्टिवल'. इस अंक का चारसौ बीसी से कोई लेना देना नहीं है. अमेरिका में 420 चरस का पर्यायवाची बन चुका है. यही वजह है कि हर साल 20 अप्रैल यानि साल के चौथे महीने के बीसवें दिन ये रैलियां निकाली जाती हैं.

दरअसल 70 के दशक में डेनवर में स्कूली छात्र शाम चार बज कर बीस मिनट पर मिला करते थे और एक साथ चरस फूकते थे. यहीं से 420 की शुरुआत हुई. रैलियों के दौरान भी इसी समय लोगों ने एक साथ ज्वाइंट के कश लिए. सिएटल पहुंचे एक 54 साल के व्यक्ति ने बताया कि वह सैकड़ों मील का रास्ता तय कर अपनी पत्नी और बेटी के साथ रैली में हिस्सा लेने सिएटल आया है. चरस पीते हुए उसने बताया, "आज से पांच या दस साल पहले के मुकाबले अब लोग ज्यादा खुल गए हैं."

आईबी/एएम (एएफपी, रॉयटर्स)