1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

स्टूडेंट एक्सचेंज प्रोग्राम: डीएएडी और इरासमस

३० मार्च २०११

जर्मनी में एक सर्विस है जिसे जर्मन ऐकेडेमिक एक्सचेंज सर्विस कहते हैं. इसका मकसद बाहर से यहां पढ़ने आने वाले छात्रों को मदद देना है. इस सर्विस के तहत कम से कम 100 कोर्सों में विदेशी छात्रों को मदद दी जाती है.

https://p.dw.com/p/10jsx

जर्मन ऐकेडेमिक एक्सचेंज सर्विस DAAD

जर्मन ऐकेडेमिक एक्सचेंज सर्विस (डीएएडी) दुनियाभर के देशों में छात्रों के एक्सचेंज के लिए काम करती है. इस संस्था का मकसद एक साल लंबे कोर्सों से लेकर शॉर्ट टर्म कोर्स, ग्रुप प्रोग्राम, रिसर्च के लिए यात्रा और विदेशों में इंटर्नशिप तक हर तरह के प्रोग्राम में छात्रों की मदद करना है. किसी भी देश के किसी भी स्तर के वे छात्र जो जर्मनी में पढ़ाई करना चाहते हैं, डीएएडी के प्रोग्राम के लिए अप्लाई कर सकते हैं.

डीएएडी उन छात्रों के लिए भी एक विशाल डेटाबेस अपने पास रखती है जो विदेश जाकर पढ़ाई करना चाहते हैं. इस डेटाबेस में उन छात्रों के लिए स्कॉलरशिप की जानकारियां दी जाती हैं. डीएएडी की मदद से दुनिया में कई विश्वविद्यालय अपने यहां लेक्चर्स आयोजित करते हैं जिनमें एक्सचेंज के इच्छुक छात्रों को काफी जानकारी मिल जाती है.

इरासमस (ERASMUS) के जरिए यूरोपीय एक्सचेंज

जर्मनी में एक और लोकप्रिय एक्सचेंज प्रोग्राम है जिसे इरासमस कहते हैं. इरासमस यानी यूरोपीयन कम्यूनिटी एक्शन स्कीम फॉर मोबीलिटी ऑफ यूनिवर्सिटी स्टूडेंट्स. यह कार्यक्रम यूरोपीय संघ के देशों के लिए है. इस प्रोग्राम के जरिए पिछले 20 सालों में अलग अलग देशों के बीच छात्रों, लेक्चरर और रिसर्च स्कॉलरों का आना जाना हो रहा है.

इरासमस मुंडुसः मास्टर्स के छात्रों के लिए

इरासमस मुंडुस एक खास तरह का कार्यक्रम है जिसे मास्टर्स कोर्स में दिलचस्पी रखने वाले छात्रों के लिए चलाया जाता है. इस प्रोग्राम के तहत नौजवान रिसर्च स्कॉलरों को मास्टर्स कोर्स के लिए मदद दी जाती है. यूरोप भर में कम से कम 100 ऐसे कोर्स हैं जो इरासमस मुंडुस से जुड़े हुए हैं. ये प्रोग्राम खास तरह से डिजाइन किए गए हैं और अक्सर डबल मास्टर्स डिग्री भी देते हैं. इसीलिए इरासमस मुंडुस छात्रों को पसंद आता है क्योंकि वे कई संस्थानों में एक साथ पढ़कर डिग्रियां हासिल कर सकते हैं.

इरासमस मुंडुस कार्यक्रम का मकसद ही है अंतरराष्ट्रीय छात्रों को यूरोपीय संस्थानों में पढ़ने के लिए प्रेरित करना. इस कार्यक्रम में प्रोफेसर और स्कॉलर भी हिस्सा ले सकते हैं. इसके तहत वे यूरोप में आकर पढ़ा सकते हैं और रिसर्च भी कर सकते हैं.

रिपोर्टः गाबी रोएशर/विवेक कुमार

संपादनः ओंकार सिंह जनौटी