सेना ने तोड़ा चौथी शादी का सपना
१९ जुलाई २०१४पाकिस्तानी सेना ने तालिबान के खिलाफ जो अभियान छेड़ा है, उसने उत्तरी वजीरिस्तान के हजारों लोगों को अपना घर छोड़ने पर मजबूर कर दिया है. 54 साल के गुलजार खान इनमें से एक हैं. परिवार के 100 से ज्यादा सदस्यों के साथ वह नए घर की तलाश में निकल पड़े, अपना 35 कमरे का घर छोड़ कर.
जाहिर है इतने बड़े परिवार के साथ किसी एक जगह से दूसरी जगह जाकर दोबारा घर बसाना आसान नहीं. इसमें काफी खर्च आया और गुलजार खान को जबरन अपनी चौथी शादी के लिए बचाए पैसे खर्चने पड़ गए. नाराज गुलजार बताते हैं, "मैंने जितना पैसा बचाया था सब शावा से बन्नु आने में खर्च हो गया. अब मैं एक बार फिर पैसे जोड़ने में लगा हूं और इंतजार कर रहा हूं कि सेना का यह ऑपरेशन पूरा हो."
"मेरी जरूरतें हैं"
चौथी शादी करना उनकी मजबूरी है. हर पत्नी से उन्हें एक एक दर्जन बच्चे हो चुके हैं और अब वे और बच्चों के लिए राजी नहीं हैं. गुलजार बताते हैं, "इसलिए मुझे चौथी शादी का फैसला करना पड़ा. मेरी बीवियों ने तो मेरा बहिष्कार कर दिया है. कहती हैं और बच्चे नहीं करेंगी. वे तो मुझे अपने करीब भी नहीं आने देतीं. लेकिन मेरे भी कुछ अरमान हैं."
गुलजार खान 17 साल के थे जब उनकी पहली शादी हुई. घर वालों ने 14 साल की दूर की बहन से रिश्ता कराया. पहली पत्नी से उन्हें आठ बेटियां और चार बेटे हुए. इस शादी के आठ साल बाद उनकी दूसरी शादी हुई, इस बार 17 साल की लड़की से. शादी की वजह गुलजार खान कुछ यूं बताते हैं, "मैं संतुष्ट नहीं था. मुझे और जरूरत थी, मेरा मतलब निजी पलों से है. मैं धोखा देने और गलत काम करने में विश्वास नहीं करता. इसलिए अपनी जरूरतें भी मैंने शादी के कानून के अंदर रह कर ही पूरी की हैं."
"मैं खुश रहता हूं"
तीसरा निकाह उन्होंने अपने भाई की बेवा के साथ पढ़ा. भाई की शादी के एक महीने बाद ही मौत हो गयी थी. गुलजार खान का दावा है कि एक ही छत के नीचे रहते हुए भी उनकी तीनों पत्नियों के बीच कभी कोई अनबन नहीं हुई. पेशे से गुलजार खान ड्राइवर हैं. 1976 से 1992 के बीच दुबई में रह कर टैक्सी चलाई. अब उनके दो बेटे दुबई में टैक्सी चलाते हैं. हर महीने करीब 50,000 रुपये घर भेज देते हैं. बाप बेटे की कमाई से घर चलता है. गुलजार खान अपनी जिंदगी से खुश हैं, दिक्कत बस इतनी है कि यह याद नहीं रख पाते कि किस बच्चे की मां कौन है, "मैं आपको यह तो बता सकता हूं कि कौन सा बच्चा मेरा है, लेकिन कौन सा किसका है, यह मत पूछिए."
हर वक्त बच्चों से घिरे रहने का एक और नुकसान है, "मैं जब सोने जाता हूं तो दो तीन बच्चे तो मेरे आसपास ही रहते हैं. ऐसे में बीवियों के साथ अकेले कुछ पल बिताना बहुत मुश्किल हो जाता है." गुलजार खान से जब पूछा गया कि क्या वह किसी तरह की दवा या वियाग्रा का इस्तेमाल करते हैं, तो उन्होंने कहा, "बारह साल पहले मुझे दिल का दौरा पड़ा था. डॉक्टर ने मुझे खुश रहने की सलाह दी है. और खुश मैं तभी रहता हूं जब मेरी जरूरतें पूरी होती हैं."
बेटे का सपना
गुलजार खान अपने बच्चों के लिए आदर्श हैं. उनका 14 साल का एक बेटा अपनी शादी के सपने संजो रहा है, "इंशाल्लाह मेरी भी कई शादियां होंगी और मैं भी अपने पिता की ही तरह कई बच्चे पैदा करूंगा."
गुलजार खान अकेले ऐसे व्यक्ति नहीं हैं जिनके बड़ी संख्या में बच्चे हैं. उत्तरी वजीरिस्तान के कबायली इलाके में लगभग हर परिवार कुछ ऐसी ही कहानी बयान करता है. परिवार नियोजन को या तो गलत समझा जाता है या फिर उसका कोई जरिया ही नहीं मिलता. ऐसे में पाकिस्तान की आबादी हर साल दो फीसदी की दर से बढ़ रही है. संयुक्त राष्ट्र जैसी संस्थाएं इसे जितना भी उछालने की कोशिश करें, पर जमीनी हकीकत यही है कि लोग परिवार नियोजन की अहमियत समझ ही नहीं पा रहे हैं.
आईबी/एमजे (एएफपी)