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सीआईए की जेल पोलैंड में

२४ जुलाई २०१४

यूरोपीय मानवाधिकार अदालत ने पोलैंड को अमेरिकी एजेंसी के लिए खुफिया जेल चलाने का दोषी पाया है, जहां संदिग्ध आतंकवादियों को यातनाएं दी गईं. यूरोप के कई देशों में सीआईए की ऐसी जेलें चल रही थीं.

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तस्वीर: picture-alliance/dpa

ये मामला यमनी मूल के सऊदी नागरिक अब्द अल रहीम हुसैन मुहम्मद अल नशीरी और फलीस्तीनी मूल के सऊदी अरब नागरिक जैनुल आबेदिन मुहम्मद हुसैन ने दर्ज कराया था. इनका आरोप था कि उन्हें दिसंबर 2002 में अमेरिका की खुफिया एजेंसी सीआईए की पोलिश जेल में ले जाया गया और वहां उन्हें कई महीने रखा गया. उनका कहना है कि उनके साथ वाटरबोर्डिंग भी की गई.

इस मामले में स्ट्रासबर्ग की यूरोपीय मानवाधिकार अदालत ने फैसला सुनाया कि पोलैंड ने मानवाधिकार पर यूरोपीय समझौते का उल्लंघन किया है. इस करार में अपराधियों के यातना, आजादी और सुधरने से जुड़े अधिकार शामिल हैं. फैसले के मुताबिक पोलैंड अमेरिकी एजेंसी के अपराध का भागीदार है और उसे अल नशीरी को एक लाख तथा जैनुल आबेदीन को 1.3 लाख यूरो का मुआवजा देना होगा. वैसे तो अमेरिका ने 11 सितंबर 2001 के आतंकी हमले के बाद विशेष जेलों का अस्तित्व स्वीकार किया था लेकिन उसने कभी नहीं बताया कि कौन से देशों में ये गोपनीय जेलें हैं.

इस फैसले के बाद अमेरिका और उसके सहयोगी देशों पर दबाव बढ़ा है कि वे अपने गोपनीय ठिकानों और कार्यक्रम के बारे में बताएं, जो अल कायदा के संदिग्ध लड़ाकों को कैद करने के लिए चलाए गए.

इस मामले में दोनों लोगों ने मुकदमा किया कि पोलैंड गैरकानूनी कारावास और प्रताड़ना नहीं रोक सका और इनके लिए जिम्मेदार लोगों पर कोई कार्रवाई करने में विफल रहा. दोनों फिलहाल ग्वांतानामो जेल में बंद हैं. अल नशीरी 2000 में यमन के अदन बंदरगाह पर अमेरिकी युद्धपोत यूएसएस कोल पर आतंकी हमले का मुख्य आरोपी है. उस पर मुकदमा सितंबर में शुरू होना है. वहीं जैनुल आबेदीन 11 सितंबर 2011 में न्यूयॉर्क और वॉशिंगटन के हमलों का संदिग्ध षडयंत्रकारी है.

पोलैंड की मुश्किल

स्ट्रासबर्ग अदालत का फैसला ऐसे समय आया है जब अमेरिकी सीनेट की एक कमेटी खास जेलों के बारे में खुफिया जानकारी का एक हिस्सा सार्वजनिक करने जा रही है.

अमेरिका इस अदालत के अधिकार क्षेत्र से बाहर है. गुरुवार के फैसले से पोलैंड की सरकार दुविधा में फंस गई है. अमेरिका के साथा उसके सुरक्षा संबंध गोपनीय हैं. और पोलिश अधिकारी सीआईए की जेल के वहां होने से इनकार करते रहे हैं. इसी तरह के आरोप रोमानिया और लिथुवानिया पर भी लगाए गए हैं. स्ट्रासबर्ग की अदालत में उनके खिलाफ भी केस दर्ज किए गए हैं.

एएम/एजेए (रॉयटर्स, डीपीए)