1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

सिर्फ महिलाओं के लिएः कितनी सुरक्षित बसें ट्रेनें

एएम/एमजे (रॉयटर्स)३० अक्टूबर २०१४

बड़े शहरों में सिर्फ महिलाओं के लिए सुरक्षित ट्रेनों, बसों और टैक्सियों की सेवा बढ़ती जा रही है. थॉम्पसन रॉयटर्स फाउंडेशन के सर्वे के मुताबिक दुनिया के बड़े शहरों में ऐसे ट्रांसपोर्ट में महिलाएं सुरक्षित महसूस करती हैं.

https://p.dw.com/p/1De2a
तस्वीर: Reuters/John Vizcaino

लिंगभेद पर काम करने वाले विशेषज्ञों का मानना है कि यह एक 'बैंडएड हल' है जो महिलाओं के लिए भारी पड़ सकता है. दुनिया के 15 देशों की राजधानियों में 6,300 महिलाओं पर सर्वे किया गया. इसमें न्यू यॉर्क भी शामिल है. यह अमेरिका का सबसे ज्यादा जनसंख्या वाला शहर है. कुल 70 फीसदी महिलाओं ने कहा कि वह सिर्फ महिलाओं के लिए चलाई जाने वाली बसों और ट्रेनों में सुरक्षित महसूस करती हैं.

फिलीपींस की राजधानी मनीला में महिलाएं विशेष बसों और ट्रेनों के समर्थन में हैं. वहां 10 में से नौ महिलाएं अपने लिए खास वाहन सेवा चाहती हैं. इसके बाद नंबर है जकार्ता, फिर मेक्सिको सिटी का और फिर दिल्ली का. वहीं न्यू यॉर्क में बहुत कम महिलाएं, करीब 35 फीसदी ऐसी हैं जो सिर्फ महिला ट्रेन या बस के समर्थन में हैं. इसके बाद मॉस्को, लंदन और पेरिस हैं. यानी सार्वजनिक यातायात इन देशों में महिलाओं के लिए तुलनात्मक रूप से सुरक्षित है.

अगर न्यूयॉर्क की बात करें तो 25 साल पहले की स्थिति बिलकुल अलग थी. लगातार बेहतर हुई सुरक्षा स्थिति के कारण आज वहां महिलाओं को डर नहीं के बराबर है. फिर भी 34 फीसदी ऐसी हैं जो कहती हैं कि सार्वजनिक यातायात के दौरान उनके साथ छेड़खानी की गई. न्यू यॉर्क में करीब 80 लाख लोग रोज बसों और ट्रेनों का इस्तेमाल करते हैं.

यूगोव वेबसाइट ने हर शहर में करीब 400 महिलाओं से ऑनलाइन ये सवाल पूछा. यह सर्वे कराने का कारण यह था कि दिल्ली से लेकर क्वालालंपुर और न्यू यॉर्क तक सिर्फ महिलाओं के लिए चलने वाली बसों, ट्रेनों और टैक्सी सेवाओं की संख्या लगातार बढ़ रही है. लिंगभेद और शहर नियोजन पर काम करने वाले विशेषज्ञों ने इस ट्रेंड पर चिंता जाहिर की है. लंदन में एव्रीडे सेक्सिज्म प्रोजेक्ट की संस्थापक लॉरा बेट्स का कहना है, "मुझे लगता है कि यह अधिकतर पुरुषों के लिए अपमानजनक तो है ही लेकिन यह दिखाता है कि महिलाएं समस्या की जड़ तक नहीं जा रही हैं."

दुनिया की सबसे बड़ी राजधानी टोक्यो पहला ऐसा शहर था जिसने साल 2000 में ट्रेन में सिर्फ महिलाओं के लिए विशेष डब्बा बनाया ताकि महिलाओं के साथ यौन हिंसा कम हो. इसके बाद मेक्सिको सिटी, जकार्ता और लंदन भी इस तरीके पर विस्तार कर रहे हैं. वर्ल्ड बैंक में वरिष्ठ यातायात विशेषज्ञ जूली बाबिनार्ड मानती हैं कि ये उपाय सिर्फ शॉर्ट टर्म इलाज है और महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार खत्म करने के लिए काफी नहीं.

जूली बाबिनार्ड कहती हैं, "कई देशों में सिर्फ महिलाओं के लिए शुरू की जाने वाली सेवा को सुरक्षा हालात बेहतर बनाने का एक तरीका माना जा सकता है लेकिन यातायात और शहरों में महिलाओं पर होने वाली हिंसा का नहीं. दोनों को अलग अलग रखने पर इस समस्या का दीर्घकालीन हल नहीं मिलेगा. इस तरह के उपाय थोड़े समय का हल हैं ये मुश्किल को जड़ से खत्म नहीं करते."