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सिंथेटिक हॉर्मोन का बढ़ता क्रेज

२३ जुलाई २०१४

अमेरिका के किशोर शारीरिक विकास को बढ़ाने वाले हॉर्मोन का ज्यादा इस्तेमाल करने लगे हैं. किशोर जबरदस्त बॉडी वाले युवा जैसा दिखना चाहते हैं तो बच्चियां दवाओं के सहारे दुबली पतली और लचीली होना चाह रही हैं.

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Growth hormones USA
तस्वीर: Fotolia/Kzenon

2013 में करीब 3,700 अमेरिकी किशोरों और किशोरियों पर एक सर्वे किया गया. इस रिपोर्ट के नतीजे पार्टनरशिप फॉर ड्रग फ्री किड्स नाम की संस्था ने निकाले हैं. रिपोर्ट में कहा गया कि 11 प्रतिशत बच्चों ने सिंथेटिक ग्रोथ हॉर्मोन्स का कम से कम एक बार इस्तेमाल किया. पिछले सालों में हुए सर्वेक्षणों के मुकाबले यह पांच प्रतिशत ज्यादा है. एचजीएच यानी ग्रोथ हॉर्मोन मानवीय शरीर के विकास में मदद करता है और यह उन बच्चों या वयस्कों को दिया जाता है जिनके शारीरिक विकास में दिक्कत आई है. इसे केवल डॉक्टर की पर्ची के आधार पर लिया जा सकता है लेकिन आज कल यह ऑनलाइन भी मिलते हैं.

सर्वे के मुताबिक इन युवाओं में स्टेरॉयड का इस्तेमाल भी बढ़ गया. स्टेरॉयड खास तरह के रासायनिक पदार्थ होते हैं जिनकी बनावट मानवीय हॉर्मोन से मिलती जुलती है और जिनका इस्तेमाल कई बीमारियों के इलाज और स्पोर्ट्स में प्रदर्शन को बेहतर बनाने के लिए होता है. अकसर ऐसे स्टेरॉयड प्रोटीन ड्रिंक के रूप में बेचे जाते हैं.

करीब 3,700 बच्चों में से नौ प्रतिशत लड़कियों ने सिंथेटिक हॉर्मोन एचजीएच का इस्तेमाल किया जबकि लड़कों में 12 प्रतिशत इस तरह के हॉर्मोन का प्रयोग कर रहे थे. अमेरिकी एंटी डोपिंग एजेंसी के ट्रैविस टाइगार्ट कहते हैं कि युवाओं के बीच स्टेरॉयड और सिंथेटिक हॉर्मोन का बढ़ता इस्तेमाल चिंताजनक है लेकिन इसे समझना मुश्किल नहीं. उनका कहना है कि यह दवाएं आराम से ऑनलाइन मिल जाती हैं और इनका इतना प्रचार होता है कि किशोर इनके झांसे में आ जाते हैं. "अगर आप मुनाफा कमाने वाली कंपनियों के आक्रमक प्रचार से उन बच्चों को निशाना बनाएं जो जल्द से जल्द नतीजे चाहते हैं तो यही होगा. इन बच्चों को अपने स्वास्थ्य की चिंता नहीं."

कौन है जिम्मेदार

स्टीव पासियर्ब पार्टनरशिप फॉर ड्रग फ्री किड्स के प्रमुख हैं और उनका कहना है कि पिछले दशकों में टीनेजर शराब और गांजा का इस्तेमाल करते थे और यह उनकी विद्रोही सोच का सबूत था. "लेकिन आज कल आप कैसे दिखते हैं, आपको कैसा महसूस होता है, यह जरूरी है. वे यह कर रहे हैं क्योंकि वह सबसे आगे रहना चाहते हैं, लड़कियां पतली और लचीली बनना चाहती हैं और लड़कों को सिक्स पैक चाहिए."

पासियर्ब कहते हैं कि मां बाप को बच्चों के साथ इस तरह की दवाओं के बारे में बात करनी चाहिए. उनका कहना है कि ग्रोथ हॉर्मोन और स्टेरॉयड खाने से शरीर बदल दाता है. खास तौर से स्कूलों में स्पोर्ट्स के टीचर बच्चों की मदद कर सकते हैं. लेकिन अमेरिका में कई कोच चाहते हैं कि बच्चे ऐसी दवाएं खाएं ताकि उनका स्कूल जीते.

ऐसा तब हो रहा है जब डोपिंग को लेकर कानून काफी सख्त हो गए हैं. कुछ महीनों पहले साइक्लिस्ट लांस आर्मस्ट्रॉन्ग ने कहा कि उन्होंने अपने पूरे करियर के दौरान डोपिंग की. एक और साइक्लिस्ट याइलर हैमिल्टन पर भी डोपिंग के आरोप लगे. लेकिन हैमिल्टन अपील करते हैं कि युवा खिलाड़ी इन ड्रग्स के चक्कर में न पड़ें, "आप पर जीतने का दबाव होता है और इन बच्चों के लिए यह मुश्किल हो जाता है. मैं हर बच्चे का मन नहीं बदल सकता है लेकिन अगर और लोग बाकी बच्चों की मदद करें तो ग्रोथ होर्मोन्स के दैत्य से लड़ा जा सकेगा."

एमजी/ओएसजे (एपी)