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समर्पण करें स्नोडेनः जर्मनी

२९ जुलाई २०१४

जर्मनी चाहता है कि अमेरिका के पूर्व एनएसए एजेंट एडवर्ड स्नोडेन को वापस अपने देश चले जाना चाहिए और उन्हें खुद को सरेंडर कर देना चाहिए. स्नोडेन को फिलहाल रूस में शरण मिली है. उन्होंने अमेरिका के खुफिया राज लीक किए हैं.

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हाइको मासतस्वीर: picture-alliance/dpa

समाचार एजेंसी डीपीए को दिए विशेष साक्षात्कार में जर्मनी के न्याय मंत्री हाइको मास ने कहा कि स्नोडेन के लिए सबसे अच्छा रास्ता यह है कि उन्हें खुद को अमेरिका के हवाले कर देना चाहिए और मुकदमे का सामना करना चाहिए, "उनकी उम्र 30 के करीब है और वह निश्चित तौर पर एक देश से दूसरे देश भागते या शरण मांगते जिंदगी नहीं बिताना चाहेंगे." मास का कहना है कि स्नोडेन के वकील अमेरिकी दफ्तरों के संपर्क में हैं और उन्हें वापस अमेरिका भेजने की संभावना पर चर्चा कर रहे हैं, "अगर दोनों पक्ष मान जाएं, तो स्नोडेन का काम हो जाएगा."

मास पर सवाल

रिपोटर्स विदाउट बोर्डर्स ने मास के बयान की निंदा की है. उनका कहना है कि जर्मनी के न्याय मंत्री को स्नोडेन को शरण देने की पेशकश करनी चाहिए थी, न कि अमेरिका लौटने की सलाह. संगठन के प्रवक्ता माइकल रेडिस्के ने कहा, "यह एक स्कैंडल है कि स्नोडेन को रूस में रहना पड़ रहा है, जो खुद प्रेस की आजादी को लेकर कठघरे में है और जो खुद अपने नागरिकों के टेलीफोन और इंटरनेट की जासूसी करता है."

zum Thema - Tagung des NSA-Untersuchungsausschus Bundestag 08.05.2014
स्नोडेन को शरणतस्वीर: Getty Images/Afp/Adam Berry

पिछले साल स्नोडेन ने जिस तरह अमेरिका के जासूसी कार्यक्रम का खुलासा किया था, उससे पूरी दुनिया में हड़कंप मच गया था. स्नोडेन का कहना था कि अमेरिकी जांच एजेंसी एनएसए गैरसंवैधानिक तरीके से कई देशों और उनके राष्ट्राध्यक्षों तक की जासूसी कर रहा है. इस खुलासे के बाद अमेरिका ने स्नोडेन की गिरफ्तारी के आदेश दे दिए. लेकिन वह पहले हॉन्ग कॉन्ग और फिर रूस पहुंच गए.

उहापोह में स्नोडेन

रूस ने उन्हें राजनीतिक शरण दी है. उनके शरण की अवधि 31 जुलाई को खत्म हो रही है और यह साफ नहीं है कि क्या रूस उन्हें इसके बाद भी वहां रहने देगा. स्नोडेन ने इस बीच जर्मनी में शरण के लिए भी आवेदन दिया पर अमेरिका ने उधर औपचारिक तौर पर "गिरफ्तारी वारंट" जर्मनी भेज दिए.

अब यह साफ नहीं हो पा रहा है कि यदि स्नोडेन शरण के लिए जर्मनी पहुंचते हैं तो बर्लिन पहुंचने पर उन्हें क्या अमेरिका डिपोर्ट तो नहीं कर दिया जाएगा. जर्मनी और अमेरिका के बीच प्रत्यर्पण संधि है. न्याय मंत्री मास का कहना है, "हमने इस बारे में अमेरिका से कुछ सवाल पूछे हैं लेकिन जवाब नहीं मिले हैं."

हालांकि मास ने यह भी कहा कि जिस तरह इन बातों का खुलासा हुआ है, उसे लेकर वह वह स्नोडेन की तारीफ करते हैं और उन्हें "आंखें खोल देने" का श्रेय देते हैं. स्नोडेन ने जानकारी दी थी कि एनएसए जिन राष्ट्राध्यक्षों की जासूसी कर रहा था, उनमें जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल भी हैं, जिनके मोबाइल फोन पर नजर रखी गई थी.

एजेए/एमजे (डीपीए)