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संपर्क परियोजनाओं पर पाक की मनुहार

एएम/आईबी (पीटीआई, रॉयटर्स)२७ नवम्बर २०१४

सार्क वार्ता के आखिरी दिन भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने आखिरकार हाथ तो मिला ही लिये. शिखर वार्ता के आखिरी दिन धूलीखेल में सार्क नेताओं ने अनौपचारिक माहौल में बातचीत की.

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तस्वीर: Reuters/Adnan Abidi

इस अनौपचारिक बातचीत के दौरान शिखर वार्ता में जिन मुद्दों पर सहमति नहीं बन सकी है उन पर भी बातचीत करने का मौका होता है. इसलिए यह बातचीत अहम भी है क्योंकि पाकिस्तान ने सार्क देशों के बीच संपर्क परियोजनाओं का विरोध किया था. आठ देशों के इस संगठन में भारत और नेपाल के प्रतिनिधियों ने कहा कि पाकिस्तान ने तीन बहुपक्षीय समझौतों पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिये.

बुधवार को भारत और पाकिस्तान के नेताओं के बीच कोई बातचीत नहीं हुई, दो दिन से एक ही शिखर वार्ता में होने के बावजूद उन्होंने आपस में संवाद नहीं किया. दोनों देशों के नेताओं के बीच की अनबन सार्क की बैठकों में हमेशा से एक मुद्दा रही है.

उम्मीद की जा रही है कि शिखर वार्ता की समाप्ति तक पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट पर सहमत हो जाएंगे. पाकिस्तान के अलावा सभी दक्षेस देश कनेक्टिविटी लिंक पर सहमत हैं लेकिन पाकिस्तान ने कहा है कि उसकी आंतरिक प्रक्रिया अभी इस संबंध में पूरी नहीं हो पाई है. उम्मीद की जा रही है कि शिखर वार्ता की औपचारिक समाप्ति से पहले सभी सदस्य देश पाकिस्तान को इस समझौते की अहमियत समझा पाएंगे.

नेपाली विदेश मंत्री महेंद्र बहादुर पांडे ने समाचार एजेंसी पीटीआई को बताया, "राह में कुछ रोड़े हैं जिन्हें हटाने पर हम काम कर रहे हैं. जो हमने सोचा था (लिंकिंग एग्रीमेंट), वह हुआ नहीं." नेपाल के प्रधानमंत्री ने बुधवार को संकेत दिये थे कि रिट्रीट में इस मुद्दे पर बातचीत होगी.

बांग्लादेश ने भी पुष्टि की है कि वह पाकिस्तान को इस समझौते के लिए मनाएगा. नेपाली प्रतिनिधि मंडल ने कहा कि बिजली से जुड़े समझौते पर सहमति लेने की कोशिश की जाएगी. इस समझौते के तहत पूरे दक्षिण एशिया में निर्बाध पावर ग्रिड लगाने की योजना है.

भारत और पाकिस्तान के बीच सालों से ऊर्जा समझौते की कोशिश हो रही है लेकिन पाकिस्तान की सेना यह समझौता नहीं चाहती. 2006 में मुक्त व्यापार समझौता हो जाने के बावजूद भी ऊंचे टैरिफ और दक्षिण एशिया में आने जाने के गतिरोधों के कारण यह समझौता अमल में नहीं आ रहा. अभी भी सार्क देशों के बीच सिर्फ कुल व्यापार का सिर्फ पांच फीसदी होता है. पिछले महीने ही पाकिस्तान अफगानिस्तान के साथ इलेक्ट्रिसिटी ट्रांसिट फीस पर राजी हुआ है, मध्य एशिया से ऊर्जा आयात करने की दिशा में एक कदम आगे.

दक्षिण एशिया को चीन की टक्कर में खड़ा करने के लिए सार्क को मजबूत होना जरूरी है. चीन सार्क में पर्यवेक्षक देश है और वहां के उप विदेश मंत्री लिऊ जेनमिन ने इलाके में पांच साल के अंदर सड़कें बनाने के लिए 30 अरब डॉलर की मदद देने का वादा किया है और इसी अवधि में व्यापार बढ़ा कर 150 अरब डॉलर करने का भी.