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श्रीलंका ने भारत का अहसान चुकाया

२८ मार्च २०१४

भारत ने श्रीलंका में युद्ध अपराधों के लिए संयुक्त राष्ट्र की जांच के प्रस्ताव पर मतदान में हिस्सा नहीं लिया. तटस्थ रहने के नई दिल्ली के इस फैसले के बाद श्रीलंका ने भारत के अहसान का जवाब दिया है.

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तस्वीर: Reuters

श्रीलंका के राष्ट्रपति ने हिन्द महासागर में गिरफ्तार किए गए सारे भारतीय मछुआरों को रिहा करने का एलान किया है. इन पर आरोप थे कि यह श्रीलंका के क्षेत्र में घुस आए हैं. सरकारी प्रवक्ता ने कहा कि उनके राष्ट्रपति इसके जरिए अपना अहसान चुकाना चाहते हैं और इसलिए सारे मछुआरों को आजाद करने का फैसला किया गया है.

Sri Lanka Präsident Mahinda Rajapakse
तस्वीर: picture alliance/Photoshot

इससे पहले भारत ने संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका के एक प्रस्ताव पर वोट करने से इनकार किया था. इस प्रस्ताव में लिट्टे के साथ लड़ाई में युद्धापराधों की जांच की बात थी. पिछले साल भारत ने ऐसे ही एक प्रस्ताव का समर्थन किया था और माना जा रहा था कि इस साल भी वह अमेरिका का साथ देगा. लेकिन भारत का कहना है कि उसे इस बार इस प्रस्ताव में 'हस्तक्षेप' नजर आया और उसने प्रस्ताव का विरोध किया. संयुक्त राष्ट्र में कुल 23 देशों ने अमेरिका की प्रमुखता में प्रस्ताव का समर्थन किया. भारत समेत 12 देशों ने वोट करने से मना कर दिया और चीन और पाकिस्तान सहित 12 दूसरे देशों ने प्रस्ताव का विरोध किया.

श्रीलंका में तमिल विद्रोही गुट लिट्टे के साथ सरकार का संघर्ष करीब 37 वर्ष चला. 2009 में सरकारी सेना ने लड़ाई जीत कर तमिल इलाकों को दोबारा कब्जे में कर लिया. इस युद्ध में करीब 40,000 तमिल नागरिकों की मौत होने की आशंका है जिसकी वजह से संयुक्त राष्ट्र औपचारिक तौर पर युद्ध अपराधों की जांच करना चाहता है. श्रीलंका की सरकार ने इस जांच में सहयोग से साफ मना किया है.

भारत और श्रीलंका के बीच हिन्द महासागर में मछुआरों की घुसपैठ दोनों देशों के संबंधों में दरार बनाए हुए है. दोनों देशों ने इस समस्या को सुलझाने की कोशिश की है लेकिन अब तक इसका कोई असर नहीं दिखा है.

एमजी/एएम (रॉयटर्स, एपी)

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