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सिगरेट का शुक्राणुओं पर असर

१६ सितम्बर २०१४

रिसर्चरों का दावा है कि वे पुरुष जो बच्चे के गर्भाधान से पहले सिगरेट पीते हैं उनके बच्चे को अस्थमा होने का ज्यादा खतरा होता है, फिर चाहे वे सिगरेट पीना गर्भधारण के काफी पहले ही क्यों न छो़ड़ दें.

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तस्वीर: picture-alliance/dpa

नॉर्वे की यूनिवर्सिटी ऑफ बेर्गेन के रिसर्चरों ने शोध में पाया कि कोई पुरुष अपने जीवन में जितने शुरुआती सालों में सिगरेट पीने लगता है, उसके बच्चे को दमा होने का खतरा उतना ही ज्यादा होता है. वे युवा जो 15 साल से कम उम्र में ही सिगरेट पीने लगते हैं, वे संतान में अस्थमा के खतरों को तीन गुना बढ़ा देते हैं. इस शोध में 13,000 महिलाओं और पुरुषों की स्मोकिंग की आदतों को परखा गया.

रिसर्चरों का मानना है कि एक खास उम्र में शुक्राणु नुकसानदेह तत्वों से खतरे के प्रति अतिसंवेदनशील होते हैं. लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि ऐसा खतरा सिर्फ उनके साथ है जो कच्ची उम्र में सिगरेट पीने लगते हैं. वे जो देर से सिगरेट पीना शुरू करते हैं, उनके बच्चों को भी बड़ा खतरा है. खासकर तब जब वे ज्यादा लंबे समय तक सिगरेट पीते हैं.

अगर किसी व्यक्ति ने गर्भाधान से पहले 10 सालों तक सिगरेट पी है तो उसकी संतान को अस्थमा होने का 50 फीसदी खतरा होता है. जर्मन शहर म्यूनिख में चल रहे यूरोपियन रेस्पिरेटरी सोसाइटी के अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में इस रिपोर्ट को पेश किया गया. रिसर्चर सेसील स्वेन्स के मुताबिक, "इन नतीजों को ध्यान में रखते हुए हम यह भी मान सकते हैं कि किसी भी अन्य तरह के वायु प्रदूषण या पेशे के तहत रासायनिक संपर्क में रहने का भी इसी तरह असर पड़ सकता है."

हालांकि इस शोध में मां के धूम्रपान करने और बच्चे में अस्थमा के खतरे के बीच कोई संबंध नहीं पाया गया. लेकिन यह जरूर कहा गया कि गर्भावस्था में तंबाकू का सेवन बच्चे के स्वास्थ्य पर बुरा असर डाल सकता है.

एसएफ/आईबी (डीपीए)