मनचाहा हीरा पाएं
११ अप्रैल २०१४हीरों में सिर्फ आंखों को चौंधियाने वाली चमक ही नहीं होती बल्कि बेहद कठोर होने के उसके गुण के कारण विज्ञान और उद्योग जगत में इनकी खासी मांग है. प्रकृति में हीरों का भंडार सीमित है और मांग को पूरा करने में एक नई तकनीक से मदद मिल सकती है.
दरअसल प्रकृति में पाए जाने वाले हीरे बहुत ऊंचे तापमान और दबाव वाली स्थिति में अरबों साल में जाकर बनते हैं. जर्मनी के फ्राउनहोफर इंस्टीट्यूट ने ऐसी तकनीक विकसित की है जिससे वैज्ञानिक बहुत कम समय में हीरे बना पा रहे हैं. इससे मनचाहे आकार, आकृति, रंग और विद्युतीय या ताप की चालकता वाले हीरे बनाना संभव हो गया है.
हीरे के बड़े टुकड़े बनाने हों या उसकी पतली सी परत, इस तकनीक से यह सब संभव है. सीवीडी, यानि केमिकल वेपर डिपोजिशन नाम की इस प्रक्रिया से बहुत कम समय में हीरे तैयार किए जा सकते हैं. हीरे के वेफर के आकार की एक पतली परत बनाने में सिर्फ 100 घंटे लगते हैं. वहीं अगर हीरे के नैनो क्रिस्टल बनाने हों तो केवल कुछ घंटे ही लगेंगे.
सिर्फ गहनों में ही नहीं
फ्राउनहॉफर आईएएफ की ग्रुप मैनेजर, निकोला हाइड्रिष बताती हैं कि जितनी मोटाई का हीरा चाहिए उतना ही समय लगेगा, "हम केमिकल वेपर डिपोजिशन का तरीका अपनाते हैं जिससे बाकी प्रक्रियाओं के मुकाबले एक काफी बड़ी सतह पर हीरे जमाए जा सकते हैं. इस प्रक्रिया से हम बहुत बढ़ियां क्वालिटी के हीरे बना पा रहे हैं जिनका इस्तेमाल इलेक्ट्रानिक उपकरणों में भी किया जा सकता है."
हीरे का इस्तेमाल ऑपरेशन में काम आने वाले डॉक्टरों के कुछ खास उपकरणों में होता है. इसके अलावा ड्रिलिंग और स्टील जैसी कठोर चीज को भी आसानी से काटने में इसका इस्तेमाल होता है. हीरा ताप या गर्मी का भी बहुत अच्छा चालक है.
सभी के लिए हीरा
घड़ी के डायल में भी हीरे का इस्तेमाल होता है. वैज्ञानिक प्रक्रियाओं और मशीनों में इस्तेमाल के अलावा भविष्य में इन कृत्रिम हीरों का इस्तेमाल गहनों में भी किया जा सकेगा. हीरे में अलग अलग तरह के तत्व मिलाकर मनचाहे रंग का हीरा भी पाया जा सकता है. जैसे बोरॉन मिलाने से नीला, नाइट्रोजन मिलाने से पीला और एक खास प्रक्रिया से हीरे में 'नाइट्रोजन वेकेंसी सेंटर' बनाने से गुलाबी रंग का हीरा बन सकता है.
फिलहाल इस कृत्रिम तरीके से बना हीरा प्रकृति में पाए जाने वाले हीरों से भी महंगा पड़ेगा. अगर उद्योग जगत आगे आकर इस वैज्ञानिक तकनीक को अपनाता है और बड़े स्तर पर हीरों का उत्पादन होने लगता है तो वह दिन दूर नहीं जब हीरा सिर्फ सदा के लिए ही नहीं, सभी के लिए भी होगा.
रिपोर्ट: ऋतिका राय
संपादन: ईशा भाटिया