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रिश्ते सुधारते जर्मनी और अमेरिका

२४ अक्टूबर २०१४

जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल की अमेरिका द्वारा की गयी जासूसी ने दोनों देशों के रिश्तों में खटास डाल दी थी. लेकिन अब अमेरिकी विदेश मंत्री जॉन कैरी की जर्मनी यात्रा से रिश्तों के सुधरने की उम्मीद जगी.

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Kerry und Merkel Bundeskanzleramt 22.10.2014
तस्वीर: Getty Images/Pool

जॉन कैरी बर्लिन की दीवार के गिरने की 25वीं वर्षगांठ के मौके पर जर्मनी पहुंचे हैं. बर्लिन में उनके स्वागत में अंगेला मैर्केल ने कहा कि दोनों देशों का आपसी सहयोग और अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर मिल कर काम करना अहम है. मैर्केल ने इबोला संक्रमण, यूक्रेन संकट और इस्लामिक स्टेट की बात करते हुए कहा, "हर बड़ी चुनौती में हम साझेदार हैं." इस साझेदारी के लिए उन्होंने कैरी का शुक्रिया अदा किया.

मैर्केल के साथ साथ जर्मनी के विदेश मंत्री फ्रांक-वाल्टर श्टाइनमायर ने भी अमेरिका और जर्मनी के सहयोग पर जोर दिया. सीरिया और इराक की बात करते हुए उन्होंने कहा, "इस्लामिक स्टेट के आतंकवाद पर रोक लगाने के लिए बहुत जरूरी है कि जर्मनी और अमेरिका अंतरराष्ट्रीय साझेदार बन कर उभरें." उन्होंने कहा कि इस वक्त इतने संकट चल रहे हैं कि लोगों को लगने लगा है जैसे पूरी दुनिया ही तबाही की ओर बढ़ रही हो.

जानकारों का मानना है कि यही संकट दोनों देशों की दूरियों को नजदीकियों में बदलने का काम कर रहे हैं. श्टाइनमायर और मैर्केल के शब्दों से भी कुछ ऐसा ही प्रतीत हुआ. जहां वे अमेरिकी खुफिया एजेंसी एनएसए द्वारा की गयी जासूसी से नाराज थे, वहीं अब सहयोग की बात कर रहे हैं. मैर्केल की सीडीयू पार्टी के मिषाएल ग्रोसे ब्रोएमर ने हाल ही में एक टीवी इंटरव्यू में कहा था, "संकट की यह स्थिति एकजुट हो कर काम करने की बुनियाद खड़ी कर रही है." उनका कहना है कि मौजूदा संकट दिखाते हैं कि जर्मनी और यूरोप को एक मजबूत साझेदार की कितनी जरूरत है.

जहां एक तरफ अमेरिका से रिश्ते सुधरने की उम्मीद जगी है, तो वहीं दूसरी ओर जर्मनी में अधिकारियों के आपसी मतभेद खड़े हो गए हैं. देश में इस बात की जांच चल रही है कि खुफिया एजेंसी बीएनडी ने किस हद तक एनएसए के साथ सहयोग किया और उसे जासूसी के बारे में कितनी जानकारी थी. लेकिन इस मामले में अधिकारियों ने जांचकर्ताओं को जरूरी दस्तावेज देने से इंकार कर दिया है.

इस मामले ने यूरोप के कई देशों में संसद के अधिकारों की क्षमता पर भी बहस छेड़ दी है. जहां अमेरिका में कांग्रेस के पास खुफिया एजेंसियों से दस्तावेजों की मांग करने के लिए काफी ज्यादा हक हैं, वहां जर्मनी समेत कई देशों में ऐसा नहीं है.

आईबी/एमजे (डीपीए, एपी)