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यूरोप आने की कोशिश में 3000 मरे

३० सितम्बर २०१४

यूरोप आने की कोशिश में इस साल मध्य सागर में 3,000 से ज्यादा शरणार्थियों की जान जा चुकी है. अंतरराष्ट्रीय माइग्रेशन संघ का कहना है कि बेहतर जिंदगी के तलाश में भटकने वाले शरणार्थियों के लिए दुनिया बड़ी रुखी है.

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तस्वीर: picture alliance / ROPI

शरणार्थियों की तादाद में भारी वृद्धि की वजह सीरिया में गृहयुद्ध है. अंतरराष्ट्रीय माइग्रेशन संघ (आईओएम) ने 126 पेजों वाली अपनी रिपोर्ट में कहा है कि दुनिया भर में मारे गए 4077 शरणार्थियों में से 75 फीसदी से ज्यादा ने मध्यसागर में जान गंवाई. इस इलाके में साल 2000 के बाद से 22,000 से ज्यादा लोग मारे गए हैं. जेनेवा स्थित संगठन का कहना है कि शरण लेने की कोशिश में दुनिया भर में पिछले पंद्रह सालों में 40,000 से ज्यादा लोग मारे गए हैं.

अंतरराष्ट्रीय माइग्रेशन संघ ने चेतावनी दी है कि मरने वालों की संख्या दोगुनी ज्यादा हो सकती है क्योंकि बहुत से लोगों को आंकड़े में शामिल नहीं किया जाता है. संगठन के प्रमुख विलियम लेसी स्विंग ने कहा, "अब समय आ गया है कि शिकारों को गिनने से ज्यादा कुछ किया जाए. अब समय है कि उलझन में पड़े लोगों के खिलाफ हिंसा को रोकने के लिए दुनिया सक्रिय हो." स्विंग ने कहा कि दुनिया भर में हर सातवां नागरिक आप्रवासी है. उन्होंने पश्चिमी देशों में आप्रवासियों के खिलाफ कड़े रुख की आलोचना की.

पिछली बार अरब देशों में लोकतांत्रिक आंदोलन के दौरान 2011 में शरणार्थियों की संख्या में तेजी आई थी. लेकिन इस साल के पहले नौ महीनों में मरने वाले शरणार्थियों की संख्या 2011 के मुकाबले दोगुनी है. उस समय आईओएम ने मृतकों की संख्या 1500 रजिस्टर की थी. इस रिपोर्ट के अनुसार इटली के अधिकारियों ने साल के पहले आठ महीनों में आने वाले शरणार्थियों की संख्या 1,12,000 दर्ज की है. यह 2013 की तिगुनी है.

अंतरराष्ट्रीय माइग्रेशन संघ के अनुसार इटली आने वाले शरणार्थियों में सबसे बड़ा ग्रुप सीरिया और एरिट्रिया का है. ज्यादातर शरणार्थी लीबिया के तट से यूरोप के लिए रवाना होते हैं जहां गृहयुद्ध के कारण तटीय सुरक्षा की पूरी व्यवस्था ठप हो गई है. मानव तस्कर बहुत से लोगों को ऐसे जहाजों पर बैठा देते हैं जो समुद्र यात्रा के लायक नहीं होते और बीच सफर में डूब जाते हैं. पिछले साल इटली के लाम्पेडूजा के करीब कई दुर्घटनाएं हुईं जिनमें 400 से ज्यादा शरणार्थी मारे गए. कुछ हफ्ते पहले लीबिया के समुद्र में 500 लोगों से लदा जहाज डूब गया.

लाम्पेडूजा की दुर्घटना के बाद इटली की नौसेना ने मारे नोस्ट्रुम अभियान शुरू किया जिसका मकसद अफ्रीका के समुद्र की बेहतर निगरानी था, ताकि खतरे में पड़े शरणार्थियों की मदद की जा सके. रोम सरकार के बार बार किए गए आग्रह के बावजूद यूरोप की दूसरी सरकारों ने इसमें हिस्सा लेने से मना कर दिया. इटली भी अब इस अभियान को रोकने जा रहा है. उसकी जगह यूरोपीय सीमा सुरक्षा एजेंसी फ्रंटेक्स की एक टुकड़ी निगरानी का काम करेगी.

एमजे/ओएसजे (एएफपी)