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यूक्रेन पर समझौता, संदेह कायम

१८ अप्रैल २०१४

यूक्रेन पर जेनेवा में हुई चार पक्षीय बातचीत में एक शांति योजना पर सुलह तो हो गई लेकिन पूर्वी यूक्रेन में तनाव बरकरार है. अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा और जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल ने रूस से ठोस कदमों की मांग की है.

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तस्वीर: Reuters

यूक्रेन संकट में पहली बार स्थिति को सामान्य बनाने पर सहमति हुई है. लेकिन पूर्वी यूक्रेन में सरकारी इमारतों पर कब्जा जमाए रूस समर्थक विद्रोही सहमति पर अमल के कोई संकेत नहीं दे रहे हैं. जेनेवा में हुए समझौते के बाद तनाव में कमी आने की उम्मीद पैदा हुई है लेकिन दूरगामी समाधान की संभावना नहीं दिख रही है. अभी तक विद्रोहियों ने किसी भी सरकारी इमारत को खाली नहीं किया है.

यूक्रेन के अंतरिम प्रधानमंत्री आर्सेनी यात्सेन्युक ने शुक्रवार सुबह संसद को बताया कि सरकार ने एक कानून का मसौदा तय किया है जिसमें उन लोगों को क्षमादान देने की बात है जो अपने हथियार डाल देंगे और सरकारी इमारतों को खाली कर देंगे. गुरुवार को पूर्वी यूक्रेन के चार शहरों में रूस विरोधी प्रदर्शन हुए. हजारों लोगों ने शांतिपूर्ण प्रदर्शनों में यूक्रेनी मामलों में रूस के हस्तक्षेप का विरोध किया.

जेनेवा में रूस, यूक्रेन, अमेरिका और यूरोपीय संघ की वार्ता में पूर्वी यूक्रेन में शांति लाने के ठोस कदम तय किए गए. जेनेवा में तय शांति योजना की सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि रूस समर्थक अलगाववादियों से हथियार डालने और कब्जे वाली इमारतों को खाली करने की मांग की गई है. इसके बदले उन्हें क्षमादान देना तय हुआ है. शांति योजना पर अमल की निगरानी यूरोपीय सुरक्षा और सहयोग संगठन ओएससीई करेगा.

बातचीत में अमेरिका, रूस और यूक्रेन के विदेश मंत्रियों जॉन केरी, सेर्गेई लावरोव और आंद्रेई डेशचित्सा के अलावा यूरोपीय संघ की विदेशनैतिक प्रभारी कैथरीन ऐश्टन ने हिस्सा लिया. अमेरिका और ईसू की मध्यस्थता में हुई सहमति के बावजूद पश्चिमी देशों में इस बात पर शंका है कि रूस उन्हें लागू करेगा या नहीं. अमेरिकी राष्ट्रपति ओबामा ने इस पर संदेह व्यक्त किया है और जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल के साथ इस पर बातचीत की है.

Ukraine Krise Putin TV Auftritt 17.04.2014
पुतिन पर बढ़ता दबावतस्वीर: Reuters/Alexei Nikolskyi/RIA Novosti

व्हाइट हाउस ने टेलिफोन बातचीत के बाद कहा कि दोनों नेताओं जल्द शांति न होने की स्थिति में और प्रतिबंधों की संभावना की चर्चा की. मैर्केल और ओबामा ने इस पर जोर दिया कि रूस को पूर्वी यूक्रेन में स्थिति सामान्य बनाने के लिए फौरन ठोस कदम उठाने चाहिए. मॉस्को को अवैध ताकतों पर अपने प्रभाव का इस्तेमाल करना चाहिए ताकि वे हथियार डाल दें. यदि रूस समझौते का पालन नहीं करता है तो अमेरिका और यूरोपीय संघ और प्रतिबंधों पर विचार करेंगे.

ओबामा ने जेनेवा समझौते को "अच्छी संभावनाओं वाला खुला बयान" बताया लेकिन कहा कि पिछले अनुभवों के मद्देनजर गारंटी से नहीं कहा जा सकता कि स्थिति में सुधार होगा. ओबामा ने वाशिंगटन में कहा, "मैं नहीं समझता कि हम इस समय किसी बात पर आश्वस्त हो सकते हैं." उन्होंने कहा कि फिलहाल सवाल यह है कि क्या रूस अपने प्रभाव का इस्तेमाल करता है ताकि संकट वाले इलाके में शांति और व्यवस्था बहाल हो सके. अमेरिका रूस पर पूर्वी यूक्रेन के अलगाववादियों के समर्थन का आरोप लगाता रहा है.

संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की मून ने जेनेवा समझौते का स्वागत किया है और कहा है कि संवाद समस्या के समाधान का एकमात्र रास्ता है. जर्मन विदेश मंत्री फ्रांक-वाल्टर श्टाइनमायर ने कहा, "यूक्रेन में अभी शांति हासिल नहीं हुई है, हम अभी लक्ष्य पर नहीं पहुंचे हैं." श्टाइनमायर ने कहा कि यूक्रेन के विभाजन को रोकने का मौका फिर से वापस आ गया है. उधर जर्मन रक्षा मंत्री उर्सुला फॉन डेअ लाएन ने सख्त रुख अपनाते हुए कहा, "हम यूरोपीय साफ तौर पर कहते हैं कि यदि रूस स्थिति को अस्थिर करना जारी रखता है तो प्रतिबंधों का तीसरा चरण लागू होगा."

उधर रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने "सच्ची बातचीत" के लिए तैयारी जताई है. एक टेलिविजन प्रोग्राम में उन्होंने कहा कि विमानों और टैंकों से संकट का समाधान नहीं हो सकता. उन्होंने इन आरोपों का खंडन किया कि अलगाववादी रूसी सेना के निर्देश पर चल रहे हैं. उन्होंने कहा, "पूर्वी यूक्रेन में कोई रूसी सैनिक टुकड़ी नहीं है." पुतिन ने यूक्रेन की सरकार पर अपनी ही जनता के खिलाफ हिंसा का आरोप लगाया. पूर्वी यूक्रेन में स्थिति तनावपूर्ण है. एक सैनिक अड्डे पर अलगाववादियों के हमले के बाद कम से कम तीन विद्रोही मारे गए.

एमजे/ओएसजे(डीपीए, रॉयटर्स)