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प्रतियोगिता जगाती है रिसर्चरों की उत्सुकता

२७ मई २०१५

गीजेला अंटोन हमेशा ही भौतिकशास्त्री बनना चाहती थीं. युवा शोधकर्ताओं को प्रोत्साहन देने वाली प्रतियोगिता "यूगेंड फोर्स्ट" उन्होंने 1975 में जीती. डॉयचे वेले के साथ इंटरव्यू में उन्होंने बताया कि जीत का उनपर क्या असर रहा.

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तस्वीर: picture-alliance/dpa

डॉयचे वेले: आप 1975 में यूगेंड फोर्श्ट प्रतियोगिता की राष्ट्रीय विजेता थीं. उस समय आपकी उम्र 20 साल थी. आपके वैज्ञानिक करियर पर इस जीत का क्या प्रभाव रहा?

गीजेला अंटोन: मेरी पेशे की इच्छा शुरू से ही साफ थी और उस पर जाने के रास्ते भी. ये हायर सेकंडरी करने के पहले के वर्षों में तय होता गया. भौतिकशास्त्र में मेरी दिलचस्पी स्पष्ट थी. युवा शोधकर्ताओं की प्रतियोगिता वैज्ञानिक उत्सुकता को बढ़ावा देती है. कुछ जानने की इच्छा, उत्सुकता, इसे यूगेंड फोर्श्ट प्रतियोगिता मजबूत करती है. और यह अच्छा भी है क्योंकि यही इस प्रतियोगिता का असली मकसद है.

आपका ध्यान उस समय इस प्रतियोगिता पर कैसे गया?

वह प्रितयोगिता का दसवां साल ही था और उसकी समाज में उतनी ख्याति नहीं थी. किसी पड़ोसी ने मेरा ध्यान उसकी ओर दिलाया.

आपके प्रोजेक्ट का टाइटल उन सबसे लंबे टाइटलों में है जो अब तक प्रतियोगिता में पेश किये गए हैं.

दरअसल इसका टाइटल छोटा था. मैंने क्षेत्रीय प्रतियोगिता में हिस्सा लिया था जहां जूरी के सदस्यों ने कहा कि मुझे इसका टाइटल बदल देना चाहिए. स्वाभाविक रूप से आप वही करते हैं जो जूरी की सलाह होती है. उसके बाद यह अजीबोगरीब टाइटल आया. मुझे यह आज भी अच्छा नहीं लगता.

रिसर्च का प्रोजेक्ट क्या था?

दरअसल वह रोजमर्रा की बात थी. जहां मैं रहती थी वह बाढ़ वाला इलाका था, वहां लकड़ी के टुकड़े पानी में तैरते दिखते थे. तैरती लकड़ियों में कुछ का बराबर वाला हिस्सा ऊपर होता था तो कुछ का टेढ़ा वाला. मेरे मन में सवाल आता था कि ऐसा क्यों है, वे अलग अलग क्यों तैरते हैं. मैंने यह रिसर्च किया कि क्यों पानी पर लकड़ी के भारी टुकड़े टेढ़े और हल्के टुकड़े सीधे तैरते हैं.

Dr. Gisela Anton
प्रो. गीजेला अंटोनतस्वीर: imago/Lindenthaler

आप इस प्रतियोगिता को एक अन्य कारण से भी याद करती हैं. वहां आपकी मुलाकात पहली बार अपने पति से हुई?

यह सही है. आंकड़े के हिसाब से यह संयोग था लेकिन उसकी वजह से यूगेंड फोर्श्ट का मेरे लिए दूसरा अहम महत्व भी है.

आप दोनों भौतिकशास्त्री हैं. आपके पति बाद में उद्योग में चले गए, आप शोधक्षेत्र में रहीं. आपने 1994 में प्रसिद्ध लाइपजिग पुरस्कार जीता, उसके बाद एरलांगेन में प्रोफेसर बनीं. शोधकार्य में आपको क्या दिलचस्प लगता है?

मैं उद्योग में नहीं जाना चाहती थी, बल्कि रिसर्च करना चाहती थी. मेरे पति भी उद्योग में अपने काम में रिसर्च लक्षित हैं. यह लकड़ी के टुकड़े जैसा है. मुझे रिसर्च में उत्सुकता अच्छी लगती है, कुछ देखना, उसे समझने की कोशिश करना. आप नई जानकारी हासिल करते हैं, कुछ नया पैदा करते हैं. मैं चिकित्सा तकनीक के लिए एप्लिकेशंस डेवलप करती हूं. इसमें मैं समाज के लिए जरूरी इलाके में रिसर्च करती हूं.

आप एरलांगेन यूनिवर्सिटी में पढ़ाती हैं. वहां आप युवा रिसर्चरों को बढ़ावा दे रही हैं. वहां एरलांगेन प्रोजेक्ट इंटर्नशिप है जिसमें स्टूडेंट अपना विषय खुद चुन सकते हैं और एक्सपेरिमेंट कर सकते हैं. ये यूगेंड फोर्श्ट प्रतियोगिता जैसा ही है?

हां, यह सचमुच ऐसा है जो मैंने यूगेंड फोर्श्ट प्रतियोगिता से प्रभावित होकर शुरू किया है. मुझे यह विचार अत्यंत पसंद है कि छात्र अपना आइडिया डेवलप करना और उसे पूरा करना सीखें. मुझे अच्छा लगता है कि वे कुछ अलग करें और हमेशा शिक्षक के विचार पर न चलें. इसलिए हम कोर्स के शुरू में ही यह प्रोजेक्ट करते हैं. 2009 से मैं बवेरिया के स्कूली बच्चों के साथ भी काम कर रही हूं. वे एक सप्ताह के लिए एक यूथ हॉस्टल में रहते हैं और सारा समय रिसर्च करते हैं. यह देखना सचमुच मजेदार होता है कि स्कूली बच्चे इस माहौल को कितना पसंद करते हैं और खुद को निखारते हैं.

आप उन छात्रों को जो वैज्ञानिक बनना चाहते हैं, क्या सलाह देती हैं?

ऐसा नहीं है कि मैं उन्हें ज्ञान देने क लिए उनसे बात करती हूं. मैं उन्हें एक माहौल देती हूं, मौका देती हूं अपनी क्षमताओं को निखारने का. वे यह भी सीखते हैं कि वैज्ञानिक रूप से ठोस काम का क्या मतलब होता है. जब वे रिसर्च के नतीजे निकालते हैं तो मैं उन्हें स्वतंत्र रूप से उनकी व्याख्या करना सिखाती हूं. स्कूल ऐसे बनाए गए हैं कि वे सामग्रियों को जानना और उन्हें दुहराना सिखाते हैं. विज्ञान में रचनात्मकता के लिए अच्छे ढांचे और गहन निरीक्षण की जरूरत है. यूगेंड फोर्श्ट जैसी प्रतियोगिता इसे बढ़ावा देने के काबिल है.

प्रो. गीजेला अंटोन ने 1975 में यूगेंड फोर्श्ट प्रतियोगिता में हिस्सा लिया और राष्ट्रीय विजेता बनी. वहीं उनकी मुलाकात राष्ट्रीय पुरस्कार जीतने वाले फ्रांक अंटोन से हुई. दोनों ने 1979 मं शादी कर ली. उनके तीन बच्चे हैं.

इंटरव्यू: डायना होदाली/एमजे