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मोदी पर भरोसा कर रही है जनता: अनंत

२० अक्टूबर २०१४

भले ही महाराष्ट्र और हरियाणा में विधानसभा चुनाव हुए हों लेकिन जो नतीजे आए हैं वह राष्ट्रीय राजनीति के लिए अहम हैं. ताजा राजनीतिक हालात पर वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक जानकार अनंत विजय से डॉयचे वेले की खास बातचीत.

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Modi Rede in Madison Square Garden 28.09.2014 New York
तस्वीर: Reuters/Lucas Jackson

डीडब्ल्यू: महाराष्ट्र और हरियाणा में बीजेपी की जीत के क्या मायने हैं?
अनंत विजय: महाराष्ट्र और हरियाणा में बीजेपी की जीत से ये साबित हो गया है कि भारत में अब भी लोगों का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी में भरोसा कायम है. दोनों राज्यों में अकेले दम पर पहली बार बीजेपी ने अपनी धमक दिखाई है. हरियाणा में पूर्ण बहुमत और महाराष्ट्र में सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर उभरना बीजेपी के लिए बड़ी कामयाबी है.

इन दोनों राज्यों में बीजेपी के पास कोई बड़ा चेहरा भी नहीं था और दोनों राज्यों में पार्टी ने अपने पुराने सहयोगियों से गठबंधन तोड़ लिया था. महाराष्ट्र में बगैर शिवसेना तो हरियाणा में बगैर हरियाणा जनहित कांग्रेस के अकेले दम पर जीत हासिल की. हरियाणा में जहां से 'आया राम गया राम' के नारे की शुरुआत हुई थी, वहां एक विचारधारा की पार्टी की सरकार बन रही है. भारतीय राजनीति में यह एक अहम पड़ाव है.

कांग्रेस मुक्त भारत का जो वादा मोदी ने किया है, अगर कांग्रेस का यही हाल रहा तो क्या वह भविष्य में सच हो सकता है?
लगता तो ऐसा ही है. अगर आप देखें तो एक तरह से कर्नाटक और केरल में ही कांग्रेस की सरकार है. झारखंड में वो झारखंड मुक्ति मोर्चा के साथ है तो असम और कुछ पूर्वोत्तर राज्य में शासन में है. जिस तरह से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह की जोड़ी योजनाबद्ध तरीके से काम कर रही है उससे तो यही लगता है कि 2015 में होने वाले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के हाथ से झारखंड भी निकल जाएगा.

महाराष्ट्र और हरियाणा में कांग्रेस की हार के लिए कौन जिम्मेदार है?
महाराष्ट्र और हरियाणा में कांग्रेस की हार के लिए जिम्मेदार खुद कांग्रेस पार्टी और उसका लचर नेतृत्व है. हरियाणा में मुख्यमंत्री भूपेन्द्र सिंह हुड्डा ने काफी विकास किया लेकिन साथ ही रॉबर्ट वाड्रा और जमीन माफिया को फायदा पहुंचाने के आरोप भी लगे.

हुड्डा पार्टी में सभी नेताओं को साथ लेकर चलने में भी नाकाम रहे. चौधरी वीरेन्द्र सिंह ने ऐन वक्त पर पार्टी छोड़ दी तो दलित नेता कुमारी शैलजा को उन्होंने अहमियत नहीं दी. महाराष्ट्र में पृथ्वीराज चव्हाण सूबे के मनमोहन सिंह साबित हुए. वे सहयोगियों के भ्रष्टाचार पर काबू करने में नाकाम रहे. वहां भी पार्टी का अंतर्कलह हार की एक बड़ी वजह रही.

Anant Vijay
वरिष्ठ पत्रकार और लेखक अनंत विजयतस्वीर: Privat

मोदी की लोकप्रियता का फायदा इस समय बीजेपी को मिल रहा है. क्या मोदी अपने वायदे पूरे कर पाएंगे?
इस पर टिप्पणी करना अभी जल्दबाजी होगी. मोदी ने लोगों की अपेक्षाएं बढ़ाकर खुद के लिए चुनौतियां खड़ी कर ली हैं. विधानसभा चुनाव में शानदार सफलता के बाद केंद्र सरकार और प्रधानमंत्री के हौसले बुलंद हैं. लंबे समय से अटके कई अहम मुद्दों पर अब सरकार जल्द फैसला ले सकती है. माना जा रहा था कि विधानसभा चुनाव को देखते हुए सरकार ने इन फैसलों को टाल दिया था. डीजल की कीमत को बाजार के हवाले करने के बाद इस दिशा में और उम्मीद जगी है. अगर सरकार कड़े फैसले लेने में कामयाब हो जाती है तो वादे पूरे होंगे. सबसे बड़ी चुनौती महंगाई पर काबू पाना होगा.

इन नतीजों के बाद क्या आपको लगता है कि भारत में गठबंधन की राजनीति खात्मे की ओर बढ़ रही है?
देखिए ये कहना भी अभी बहुत जल्दबाजी होगी. लेकिन हां, बीजेपी के मजबूत होते जाने से भारतीय लोकतंत्र में गठबंधन की राजनीति का स्पेस कम हो रहा है. लेकिन गैर कांग्रेसवाद की तरह अगर देश में गैर भाजपावाद को लेकर तमाम विपक्षी दल एकजुट होते हैं तो एक बार फिर से गठबंधन की राजनीति को जीवनदान मिल सकता है.

इंटरव्यू: आमिर अंसारी