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महिलाओं को जोड़ती स्टीनकैंप

८ अप्रैल २०१४

भले ही मुकदमा ओलंपिक एथलीट ऑस्कर पिस्टोरियस के खिलाफ चल रहा हो, लेकिन इसमें चर्चा मकतूल रीवा स्टीनकैंप की भी हो रही है, जिनकी वजह से देश की महिलाएं अपने ऊपर हो रहे अपराधों को सामने ला पा रही हैं.

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तस्वीर: LUCKY NXUMALO/AFP/Getty Images

जोहानिसबर्ग में जिस वक्त कोर्ट के अंदर पिस्टोरियस पिछले साल की घटनाओं का विस्तार देते हुए सुबक रहे थे, उसी वक्त अदालत के बाहर खड़ी महिलाएं लोगों को बता रही थीं कि किस तरह उनके खिलाफ अत्याचार हो रहा है. ज्यादातर महिलाएं अश्वेत थीं.

अफ्रीकी नेशनल कांग्रेस में महिला इकाई की प्रवक्ता जैकलिन मोफोकेंग का कहना है, "अपने लंच ब्रेक के दौरान कामकाजी औरतों ने यहां आकर प्रदर्शन किया." यह संस्था हर दो हफ्ते पर रैलियां आयोजित करती है. मोफोकेंग का कहना है कि कुछ औरतें तो "70 किलोमीटर दूर" से प्रदर्शन करने आती हैं. इनमें से ज्यादातर निम्म और मध्यम वर्ग की महिलाएं हैं.

रीवा और महिलाएं

इन औरतों का रीवा स्टीनकैंप से कोई रिश्ता नहीं, जो एक श्वेत मॉडल और समाज के ऊपरी तबके का प्रतिनिधित्व करने वाली महिला थी. वह मशहूर एथलीट ऑस्कर पिस्टोरियस की गर्लफ्रेंड थीं. लेकिन यहां प्रदर्शन करने वाली महिलाएं स्टीनकैंप को एक ऐसी पीड़ित के तौर पर देखती हैं, जिस पर पुरुष ने "जुल्म" किया. टीवी पर इस पूरी कार्यवाही को देख रही एमिली नाम की वेटरेस का कहना है, "वह एक औरत थी, मैं भी एक औरत हूं."

अदालत में सुबकते ऑस्कर पिस्टोरियस
तस्वीर: picture-alliance/dpa

मौत से कुछ ही देर पहले स्टीनकैंप ने बलात्कार की एक पीड़ित महिला के बारे में अपनी सोच ट्वीट की थी, "इस मामले में खुल कर बोलना चाहिए." विकलांग महिलाओं, बच्चों और दूसरे लोगों की संस्था से जुड़ी केनोसी मचापा का कहना है, "रीवा नस्ल से ऊपर उठ कर बात करती थीं. वह तो स्थानीय भाषा खोसा भी बोलती थीं."

मोफोकेंग का कहना है, "हम लोग मिल कर पितृ सत्तात्मक समाज को बदलने की कोशिश करेंगे." वह हर रोज मुकदमे की कार्यवाही देखने अदालत पहुंचती हैं. पिस्टोरियस का दावा है कि उसने गलती से स्टीनकैंप को डकैत समझ कर गोली मार दी. लेकिन अफ्रीकी लीग इस दावे को नहीं मानती.

औरतों पर जुल्म

महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामले में दक्षिण अफ्रीका का नंबर दुनिया के शीर्ष देशों में है. औसतन हर आठ घंटे में कोई पार्टनर अपनी महिला साथी की हत्या कर देता है. यह आंकड़ा 2013 के एक अध्ययन में सामने आई है, जिसे मेडिकल रिसर्च काउंसिल (एमआरसी) ने की थी.

जब काउंसिल ने 1,738 पुरुषों का सर्वे किया, जिसमें एक चौथाई ने माना कि उन्होंने कभी न कभी किसी महिला से बलात्कार किया है. यहां तक कि राष्ट्रपति जैकब जूमा पर भी एक दोस्त की बेटी के बलात्कार का आरोप लगा था. हालांकि 2006 में उन्हें बरी कर दिया गया. कई बलात्कारी, किशोरियों और यहां तक कि बहुत छोटी बच्चियों का बलात्कार करते हैं. वहां अंधविश्वास है कि ऐसा करने से "उन्हें एड्स से मुक्ति" मिल सकती है. रिसर्च में पाया गया कि एक तिहाई औरतों को 18 साल से कम की उम्र में यौन उत्पीड़न का सामना करना पड़ा.

Südafrika Sport Oscar Pistorius mit Freundlin Reeva Steenkamp
स्टीनकैंप के साथ पिस्टोरियसतस्वीर: picture-alliance/AP

कुछ जानकारों का कहना है कि दक्षिण अफ्रीका का पितृ सत्तात्मक समाज इसकी वजह है. यहां पैसे देकर दुल्हन खरीदने या पति की मौत के बाद उसके किसी रिश्तेदार से शादी करने की प्रथा सामान्य है. हालांकि दक्षिण अफ्रीका यूनिवर्सिटी के आमानी ओलुबांजो बुंटू का कहना है कि ऐसी प्रथा तो अफ्रीका के दूसरे देशों में भी है. उनका आकलन है कि रंगभेद नीति के दौरान अश्वेतों पर जो जुल्म हुए, यह उसकी प्रतिक्रिया है.

रंगभेद भी वजह

एमआरसी की नीमा अब्राहम्स का कहना है, "श्वेत मालिक अश्वेतों को बेइज्जत करते थे. उन्हें 'लड़के' कह कर बुलाते थे. उन्हें मर्द होने का अहसास सिर्फ तभी होता था, जब वे अकेले हुआ करते थे." पहले दक्षिण अफ्रीका में ज्यादतर पुरुषों को काम के लिए परिवार छोड़ कर खान या फैक्ट्रियों में जाना पड़ता था और इससे भी सामाजिक व्यवस्था बुरी तरह प्रभावित हुई. अब्राहम्स का कहना है कि रंगभेद के वक्त हिंसा इतनी आम बात हो गई कि लोगों को लगने लगा कि हिंसा से ही मामले सुलझ सकते हैं.

अफ्रीकी नेशनल कांग्रेस ने आधिकारिक तौर पर कहा है कि लिंग भेद उसके लिए मुख्य प्राथमिकताओं में है. आलोचकों का कहना है कि बलात्कार के कई मामलों में दक्षिण अफ्रीका की पुलिस महिलाओं की शिकायतें ही खारिज कर देती है. अब्राहम्स कहती हैं, "अधिकारी बलात्कार के मामलों पर ध्यान दे भी देते हैं तो इससे बचाव के उपाय नहीं खोजे जाते."

पिस्टोरियस का भविष्य एक महिला जज के हाथ में है. थोकोजिले मासीपा दक्षिण अफ्रीका की सिर्फ दूसरी अश्वेत महिला जज हैं और उन्होंने बलात्कार जैसे मामलों में कुछ बेहद सख्त सजाएं दी हैं.

एजेए/ओएसजे (डीपीए)