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मजबूत महिला किरदार तलाशती हैं रानी

२३ अगस्त २०१४

जानी-मानी अभिनेत्री रानी मुखर्जी शादी के बाद भी अपना फिल्मी सफर जारी रखना चाहती हैं. मशहूर निर्देशक आदित्य चोपड़ा के साथ शादी के बाद उनकी पहली फिल्म मर्दानी इसी सप्ताह रिलीज हुई है.

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Rani Mukherjee
तस्वीर: DW/P. Mani Tewari

मर्दानी फिल्म के प्रमोशन के सिलसिले में कोलकाता पहुंची रानी मुखर्जी ने अपने करियर, शादी के बाद के जीवन और भावी योजनाओं पर डॉयचे वेले के साथ बातचीत की. पेश हैं उस बातचीत के मुख्य अंशः

शादी के बाद जीवन कितना बदला है?

मेरे ख्याल में मुझ जैसी जो शहरी लड़कियां जब किसी आधुनिक व्यक्ति से शादी करती हैं तो उनके जीवन में कोई ज्यादा बदलाव नहीं आता. इसलिए कह सकते हैं कि हकीकत में कुछ भी नहीं बदला है. मेरा रहन-सहन, पहनावा और दिनचर्या जस का तस है. एकमात्र बदलाव यह आया है कि मेरा घर बदल गया है.

आपने हाल के वर्षों में अपनी तमाम फिल्मों में मजबूत महिला किरदार निभाए हैं. क्या निजी जीवन में भी वैसी ही हैं?

मुझे मजबूत महिला किरदार शुरू से ही लुभाते रहे हैं. मैंने अपनी पहली फिल्म राजा की आएगी बारात से लेकर कुछ कुछ होता है, हे राम, साथिया, बंटी और बबली और ब्लैक तक सबमें मजबूत महिला किरदार निभाए हैं और उन सबके जरिए किसी न किसी रूप में महिलाओं के लिए संदेश देने का प्रयास किया है. आगे भी मुझे ऐसे किरदारों की तलाश रहेगी.

क्या अपने पति आदित्य चोपड़ा के निर्देशन में भी फिल्म में काम करेंगी?

आदि कभी मुझे लेकर फिल्म नहीं बनाएंगे. वह जानते हैं कि सेट पर मुझे संभालना उनके लिए मुश्किल है. लेकिन मुझे इसका अफसोस रहेगा कि मैं आदि के निर्देशन में काम नहीं कर सकी. वह मेरे पसंदीदा निर्देशकों में से एक हैं. लेकिन कौन जाने भविष्य में ऐसा संयोग बन ही जाए.

क्या अपने पति की कंपनी में काम करने का इरादा है ?

अब तक तो हमने इस बारे में सोचा नहीं है. लेकिन अगर आगे आदि ने इस बारे में सोचा तो मुझे ऐसा करने में खुशी होगी. फिलहाल कंपनी बेहद काबिल लोगों के हाथों में है.

आपकी समकालीन ज्यादार अभिनेत्रियां या तो बेकार हैं या फिर छोटे परदे पर काम कर रही हैं. आपने खुद को अब तक प्रासंगिक कैसे बनाए रखा है?

मैंने शुरू से ही खुद को परिस्थितियों के हिसाब से ढाल रखा है. इस उद्योग में कदम रखते समय मेरे पिता ने नसीहत दी थी कि कामयाबी को कभी सिर पर मत चढ़ने देना और नाकामी से हताश मत होना. मैंने अपने जीवन में इस संतुलन को बनाए रखा है. शायद यही मेरी कामयाबी का राज है.

क्या आप बालीवुड में महिला-केंद्रित फिल्मों की स्थिति से संतुष्ट हैं?

मुझे लगता है कि मर्दानी जैसी और फिल्में बननी चाहिए. इससे कोई बदलाव आएगा या नहीं, यह तो नहीं जानती. लेकिन इससे लड़कियों में अपने सम्मान के लिए संघर्ष की भावना जरूरी पैदा होगी.

क्या फिल्मों के निर्माण या निर्देशन में भी आपकी दिलचस्पी है?

बिल्कुल नहीं. मैं अभिनय से ही संतुष्ट हूं.

आपने मर्दानी के लिए किस तरह तैयारी की थी?

इस किरदार को निभाने के लिए मैंने काफी शोध किया था. पुलिस का नाम लेते ही हमारे दिमाग में पुरुष की तस्वीर उभरती है. लेकिन पुलिस बल में हजारों ऐसी महिलाएं हैं जो कुछ मामले में पुरुषों से बेहतर हैं. मैं वैसी कई महिलाओं से मिली और उनकी बातचीत, कपड़े पहनने और अपराधियों से निपटने के तौर-तरीकों और हाव-भाव का बारीकी से अध्ययन किया.

भविष्य में यशराज फिल्म्स के बैनर से बाहर भी फिल्म करने की कोई योजना?

हां, जरूर. फिलहाल कई दूसरे निर्माताओं से भी मेरी बातचीत चल रही है. सबकुछ तय होने के बाद लोग खुद जान जाएंगे.

इंटरव्यू: प्रभाकर, कोलकाता

संपादन: महेश झा