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मंथन 105 में खास

२२ सितम्बर २०१४

मंथन की इस कड़ी में देखिए कैसे वैज्ञानिक एक रोबोट को मानवीय भावनाएं सिखाने की कोशिश कर रहे हैं. और बात करेंगे हजारों साल पुराने पानी से बनने वाली बीयर के बारे में.

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तस्वीर: DW

धीरे धीरे रोबोट हमारी जिन्दगी का अहम हिस्सा बन रहे हैं. ऐसी वॉशिंग मशीन हैं जो अपने आप कपड़े धोने लगती हैं, कुछ वैक्यूम क्लीनर आपके दफ्तर जाने के बाद घर साफ करना शुरू करने लगते हैं. लेकिन वैज्ञानिकों ने अब तक रोबोटों को भावनाएं नहीं सिखाईं हैं. रोबोट को मनुष्यों के और करीब कैसे लाया जाए, देखेंगे इस बार मंथन में.

आपको याद होगा, गाने वाला एक रोबोट "म्योन" जिससे हमने आपकी मुलाकात करवाई थी. ओपेरा में गाने के लिए तभी से उसकी ट्रेनिंग चल रही है. लेकिन आजकल म्योन को बनाने वाले रिसर्चर ये भी देखना चाहते हैं कि एक रोबोट इंसानी हावभाव को कितना समझ सकता है, उसके साथ कितना तालमेल बिठा सकता है.

रोबोटों के विकास के साथ ही सेना में इस्तेमाल होने वाले रोबोटों की मांग भी बढ़ रही है. नैतिकता के दायरे में भले ही रोबोट और ड्रोन के इस्तेमाल पर विवाद हो लेकिन तकनीकी स्तर पर काफी कुछ संभव है. तकनीक का ऐसा ही जादू वॉरसा में आयोजित सैन्य रोबोटों की प्रतियोगिता 'एरलोब' में देखा गया.

सदियों पुराना पानी

क्या 20 हजार साल पुराना पानी पीने के बारे में सोचा है? क्या यह पानी शुद्ध हो सकता है? कनाडा के एक छोर पर स्थानीय लोग सदियों पुराने ग्लेशियरों के टूटने से बने हिमखंडों को काफी मेहनत से किनारे पर लाते हैं. और फिर इन्हें गलाकर बनाई जा रही है एक खास तरह की बियर. कनाडा के नाविक समुद्र में बर्फीली चट्टानें खोजने निकल जाते हैं. फिर हिमखंड के पास पहुंचकर वह उसे अपनी नाव से बांधकर वापस ले आते हैं.

पुराने से बनाओ नया

कारों और मोटरसाइकिल के दीवानों की इस दुनिया में कोई कमी नहीं. हाथ का जादू दिखा कर पुराने को नया बना देने वाले मेकैनिक कलाकार भी बहुत हैं. मंथन में इस बार ऐसे ही एक जादूगर से करवाएंगे आपकी मुलाकात, जो ओल्डटाइमर कारों को नया लुक देते हैं.

एमजी/एएम