मंगल पर सिर्फ 68 दिन की जिंदगी!
१८ अक्टूबर २०१४दो महीने के भीतर ऑक्सीजन का स्तर कम होने लगेगा और वैज्ञानिकों का कहना है कि इंसान के मंगल पर स्थायी रूप से बसने के पहले नई तकनीक की जरूरत होगी. मैसाचुसेट्स के तकनीकी संस्थान एमआईटी के वैज्ञानिक ने मंगल पर इंसान के बसने को लेकर एक शोध किया है. मार्स वन से मिले डाटा का वैज्ञानिकों ने विश्लेषण किया. हॉलैंड की कंपनी मार्स वन लाल ग्रह पर 2024 तक इंसानी बस्ती बसाना चाहती है. शुरुआत में कंपनी को मंगल पर जाने के लिए दो लाख आवेदन मिले लेकिन कंपनी ने छंटनी के बाद एक हजार लोगों को शॉर्टलिस्ट किया है, इसके बाद भी नाम की कटाई होगी और सिर्फ 24 लोगों मिशन के लिए चुना जाएंगे. इस मिशन का थोड़ा खर्च रियलिटी टीवी शो से निकाला जाएगा जो इस यात्रा के बारे में होगा.
लेकिन मंगल के हालात, और मानव प्रौद्योगिकी की सीमा मिशन को नामुमकिन बना सकते हैं, कम से कम अभी के लिए. प्रोजेक्ट के लिए ऑक्सीजन, खाना और तकनीक के गणितीय विश्लेषण करने के बाद तैयार 35 पन्नों की रिपोर्ट के मुताबिक, "मिशन के लगभग 68 दिनों में चालक दल की मृत्यु हो सकती है."
शोध के लेखकों के मुताबिक स्पेस कॉलोनी में रहने वालों के भोजन के लिए आवश्यक पौधे ऑक्सीजन की 'असुरक्षित' मात्रा पैदा करेंगे. अध्ययन से निष्कर्ष निकाला गया कि, "ऑक्सीजन हटाने की प्रणाली को ढालने की जरूरत होगी." लाल ग्रह पृथ्वी से 5.5 करोड़ किलोमीटर की दूरी पर है और वहां पहुंचने के लिए कम से कम सात महीने लगेंगे.
एए/आईबी (एएफपी)