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भारत में कोयला संयंत्रों को जापान का बढ़ावा

२६ मार्च २०१५

अमीर देशों ने संयुक्त राष्ट्र से वादा किया कि वो एक फंड के जरिए स्वच्छ ऊर्जा को बढ़ावा देंगे. लेकिन जापान इस पैसे से भारत में कोयला बिजली संयंत्रों को बढ़ावा दे रहा है.

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तस्वीर: Getty Images/D. Berehulak

तमाम विरोधों के बावजूद जापान ने कोयला ऊर्जा संयंत्र स्थापित करने के लिए खर्च करना जारी रखा है. यह वह धन है जिसे देश में जलवायु परिवर्तन से लड़ने के लिए तय किया गया था. अंतरराष्ट्रीय समाचार एजेंसी एसोसिएट प्रेस को पता चला है कि जापान इस धनराशि का इस्तेमाल भारत और बांग्लादेश में दो नए कोयला संयंत्रों के निर्माण में कर रहा है.

एपी ने दिसंबर में रिपोर्ट किया था कि जापान ने इंडोनेशिया को कोल प्लांट्स के लिए करीब 1 अरब डॉलर का कर्ज दिया है. क्लाइमेट फाइनेंसिंग के अंतर्गत जापान को इसका इस्तेमाल सौर और पवन ऊर्जा जैसे साफ स्रोतों के लिए करना चाहिए था, जिसकी कई पक्षों ने कड़ी आलोचना की.

जापानी अधिकारियों से एपी को मिली जानकारी के अनुसार वे अब भारत के कुडगी और बांग्लादेश के मातेरबाड़ी में कोयला संयंत्र स्थापित करने के लिए करीब 63 करोड़ डॉलर का कर्ज दे रहे हैं, जो कि जापान के क्लाइमेट फाइनेंसिंग प्लान का हिस्सा है. भारत के कुडगी प्रोजेक्ट को लेकर पुलिस और स्थानीय किसानों में बीच हिंसक झड़पें होती आई हैं. स्थानीय लोगों को इस बात का डर है कि संयंत्र लगने से स्थानीय वातावरण प्रदूषित हो जाएगा. जापान कहता आया है कि इन प्रोजेक्ट्स में कोयले को जलाने के लिए एक नई साफ तकनीक का इस्तेमाल किया जाना है जिससे पहले के मुकाबले कार्बन उत्सर्जन कम होगा. भारत और बांग्लादेश जैसे देशों को अभी अपनी अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने और ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए कोयले से मिलने वाली ऊर्जा की काफी जरूरत है.

क्लाइमेट फाइनेंसिंग वह धन है जिसका संयुक्त राष्ट्र के अमीर देशों ने वायदा किया है, इसका इस्तेमाल गरीब देशों की मदद के लिए होना है जिससे वे कार्बन उत्सर्जन को कम कर सकें. पिछले साल दिसंबर में पेरु में हुई यूएन जलवायु कॉन्फ्रेस में जापान ने बताया था कि उसने 2013 से इस मद में करीब 16 अरब डॉलर की धनराशि मुहैया कराई है. इस बाबत हर सरकार को तय करना होता है कि वह इस राशि का इस्तेमाल किन प्रोजेक्ट्स में करेगी. पर्यावरण कार्यकर्ता मांग कर रहे हैं कि क्लाइमेट फाइनेंसिंग की योजना से कोयला संयंत्रों और दूसरे फॉसिल फ्यूल को बाहर रखा जाना चाहिए. इन्हीं स्रोतों को जलवायु परिवर्तन के लिए सबसे ज्यादा जिम्मेदार माना जाता है.

भारत के रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर मार्च अंत में दो दिन की जापान यात्रा पर जाने वाले हैं. पर्रिकर की जापान यात्रा पर चीन की भी नजर होगी क्योंकि वह भारत और जापान के गहराते रक्षा संबंधों पर भी नजर बनाए हुए है.

आरआर/ओएसजे (एपी, पीटीआई)