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भारत और अमेरिका पर मुकदमा

२४ अप्रैल २०१४

मार्शल आइलैंड्स नाम के एक छोटे से द्वीप देश ने अमेरिका और भारत सहित नौ देशों के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय अदालत में मुकदमा कर दिया है. उसका कहना है कि परमाणु निरस्त्रीकरण के समझौते के बावजूद इन देशों ने कुछ नहीं किया.

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तस्वीर: Jung Yeon-Je/AFP/Getty Images

प्रशांत महासागरीय देश मार्शल आइलैंड्स अमेरिका का परमाणु परीक्षणस्थल था, जहां 1950 के दशक में अमेरिका ने 67 बार परमाणु परीक्षण किए. इसका आरोप है कि सभी परमाणु संपन्न देश 1968 की परमाणु अप्रसार संधि को अमली जामा पहनाने में नाकाम रहे हैं और उन्होंने इसके लिए कुछ नहीं किया है.

एक मुकदमा तो सीधे सीधे अमेरिका के खिलाफ है, जो सैन फ्रांसिस्को की अदालत में दायर किया गया है. बाकी मामले नीदरलैंड्स के द हेग में स्थित अंतरराष्ट्रीय अदालत में दायर किए गए हैं. परमाणु हथियारों का विरोध करने वाली अमेरिकी संस्था न्यूक्लियर एज पीस फाउंडेशन मार्शल आइलैंड्स को इन कानूनी कार्रवाइयों में मदद कर रही है. दक्षिण अफ्रीका के नोबेल पुरस्कार विजेता डेसमंड टुटु भी इस मुकदमे का समर्थन कर रहे हैं.

वादा नहीं निभाया

फाउंडेशन ने एक बयान में टुटु के हवाले से कहा, "इन परमाणु संपन्न देशों ने कानून का पालन नहीं किया और अपने वादों को नहीं निभाया, जिसकी वजह से दुनिया पहले से खतरनाक हो गई है. हम जरूर पूछना चाहेंगे कि ये नेता अपने वादों को क्यों तोड़ते हैं और अपने ही नागरिकों और पूरी दुनिया को खतरे में डालते हैं. यह हमारे समय का बुनियादी नैतिक और कानूनी प्रश्न है."

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तस्वीर: dapd

छोटे छोटे 31 टापुओं के समूह मार्शल आइलैंड्स पर मित्र देशों ने दूसरे विश्व युद्ध के दौरान 1944 में कब्जा कर लिया था और 1947 में इसे अमेरिकी प्रशासन के हवाले कर दिया था. साल 1946 और 1958 के बीच अमेरिका ने यहां लगातार परमाणु और हाइड्रोजन बमों का परीक्षण किया. एक मार्च, 1954 को अमेरिका ने ब्रावो कोड नाम वाला सबसे बड़ा परमाणु परीक्षण भी यहीं किया. इसमें 15 मेगाटन वाले बम का विस्फोट किया गया था. इसकी वजह से आग का विशाल गोला निकला और धुएं की लकीर 32 किलोमीटर की ऊंचाई तक उठी. मार्शल आइलैंड्स का कहना है कि यह परीक्षण हिरोशिमा हमले से 1000 गुना ज्यादा तीव्र था.

फाउंडेशन का कहना है कि पांच प्रमुख परमाणु संपन्न देश अमेरिका, रूस, ब्रिटेन, फ्रांस और चीन परमाणु अप्रसार संधि से सीधे तौर पर जुड़े हैं, जबकि भारत, पाकिस्तान, इस्राएल और उत्तर कोरिया भी अंतरराष्ट्रीय कानूनों की वजह से इनसे बंधे हैं. मुकदमे में अमेरिका से परमाणु परीक्षणों की वजह से कोई मुआवजा नहीं मांगा गया है. मार्शल आइलैंड्स को 1986 में आजाद कर दिया गया था. अमेरिका और मार्शल आइलैंड्स में करार हुआ था, जिसके तहत परीक्षण की वजह से प्रभावित लोगों को मुआवजे की बात थी, हालांकि उन तक पैसा नहीं पहुंचा.

एजेए/एमजे (रॉयटर्स, एपी)