बेथोफेन की नगरी बॉन
२० अगस्त २००९बॉन: एक शहर का मौन
बॉन. एक शहर न होता तो शायरी में एक परिंदे का घोंसला होता. जैसे कोई चिड़िया अपना घोंसला बनाकर यहां वहां उड़ती रहती है, और हवाएं और धूप और बारिशें और पेड़ और नदी उसके घोंसले की हिफ़ाज़त करते रहते हैं, बॉन की हिफ़ाज़त भी जैसे ख़ुद कु़दरत के ये रूप कर रहे हैं. वो उसे रोज़ संवारते हैं और सहेजते है. प्रकृति अपने शहर को कितना प्यार कर सकती है यह देखना हो तो बॉन में देखिए. इसका उलट भी अगर देखना है तो बॉन ही देखिए. बॉन एक प्रकृति नगर है. अनंत चहचहाहटों और नदी के हहराते सौंदर्य, बादलों की अठखेलियों और बेथोफेन की सिंफनियों ने बॉन में संगीत भर दिया है. वह एक संगीत नगर भी है.
करीब पचास साल तक बॉन पश्चिमी जर्मनी की राजधानी था. सरकार बर्लिन चली गयी तो बॉन एक सामान्य जर्मन शहर रह गया. लेकिन उसकी यही सामान्यता ही उसकी विशिष्टता बन गयी. राइन नदी के किनारे बसा शहर एक मौन आवेग की हलचल में जागता रहता है. मंत्रालयों और सरकारी विभागों की जगह 150 से ज़्यादा संगठनों और संस्थानों ने बॉन को अपना ठिकाना बना लिया. 1996 से बॉन को संयुक्त राष्ट्र शहर का दर्जा हासिल है और संयुक्त राष्ट्र के कई संस्थान यहां काम करते हैं. बॉन की प्रकृति है लोगों को बुलाना. सब आते गए. और ये छोटा सा शहर अंतरराष्ट्रीय ख्याति वाला हो गया.
दो हज़ार साल का शहर
राइन नदी के तट पर कास्ट्रा बॉनेनज़िया नाम से रोमन साम्राज्य का शिविर था. यहां से शहर का इतिहास शुरू हुआ. 13वीं सदी से 18वीं सदी तक बॉन, यूनिवर्सिटी की मुख्य इमारत की बनावट और पौपल्सडॉर्फ पैलेस.
शहर की सड़कों की नक्काशियां, शहर के टाउनहाउस और विला, अपने दौर की कला शैलियों की मिसालें हैं. पेंटिंग हो, संगीत हो, कविता या नृत्य हो, बॉन के पास विभिन्न कलाओं के लिए अप्रतिम जगहें हैं. वो लुडविग फान बेथोफेन की जन्मस्थली जो है. हर साल यहां सालाना बेथोफेन महोत्सव किया जाता है. बॉन में तीस से ज़्यादा संग्रहालय हैं. जर्मनी का इतिहास बताने वाला भी एक संग्रहालय है. जहां ऐतिहासिक दस्तावेज़ों के अलावा पिछले पांच दशकों की कला वस्तुएं और संपदाएं रखीं हुई हैं.
राइन का किनारा
पिता तुल्य मानी गई नदी राइन का पानी और वेग बॉन और आसपास के इलाकों का प्रताप बढ़ाता है. बॉन के तीन लाख बाशिंदों की ज़िंदगियों में राइन का प्रमुख प्रभाव है. उन्हें राइन के नाम के साथ ही बुलाया जाता है, राइनलैंडर्स, राइन के बासी. वे शांत सुरूचिपूर्ण ज़िंदगी बिताते हैं. मौन उल्लास से दमकती उनकी ज़िंदगियों के सामने राइन नदी का अगाध फैलाव है, उसके पानी में गुज़रतीं नावें और यात्री जहाज और मालवाहक जहाज हैं, पानी में खेलते जल पक्षी हैं और धूप की सुनहरी सलवटें हैं और अखिल हरीतिमा से सजी सात पहाड़ियां, त्ज़ीबनगिबिर्गे हैं. यही वो कल्पनातीत महादृश्य है जिसे देखकर विल्हेम फॉन हुमबोल्ड्ट ने सहसा ही कहा था: ‘आह, दुनिया का आठवां आश्चर्य!'