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बेघरों को आशियाना नहीं

२४ जुलाई २०१४

गाजा के एक स्कूल में फुटबॉल खेलते बच्चे जैसे ही किसी नए शख्स को देखते हैं, पूछ बैठते हैं, "सीजफायर हो गया क्या?" अगले शख्स से अगला मासूम सवाल, "यह जंग कब खत्म होगी?". दो हफ्ते में जंग कुल 800 लोगों की जान ले चुकी है.

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तस्वीर: Reuters

दक्षिण पश्चिम गाजा के अल बहरीन प्राथमिक स्कूल की चारदीवारी में बच्चे फुटबॉल खेल रहे हैं. बच्चे पढ़ना चाहते हैं लेकिन उनके डेस्कों को क्लासरूम से हटा दिया गया है. उन्हें गलियारे में एक ब्लॉकेड के तौर पर इस्तेमाल किया जा रहा है. इस स्कूल को संयुक्त राष्ट्र राहत एजेंसी यूएनआरडब्ल्यूए एक राहत शिविर के तौर पर इस्तेमाल कर रही है. यहां करीब 800 लोग रहते हैं. तीनमंजिला स्कूल में 15 क्लासरूम हैं और हर कमरे में कम से कम दो परिवार रह रहे हैं.

अब यह स्कूल जैसा नहीं दिख रहा है. बाहर शेड में मर्द बैठे हैं और अंदर औरतें रोते हुए बच्चो को चुप कराने की कोशिश कर रही हैं. ये लोग गाजा शहर के शाजियाह मुहल्ले से आए हैं. इस इलाके में चल रहे संघर्ष में 75 फलीस्तीनी और 13 इस्राएली मारे गए हैं. लगभग सवा लाख फलीस्तीनी इस तरह के 69 राहत शिविरों में रह रहे हैं.

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इस्राएल कर रहा है जमीनी हमलातस्वीर: picture-alliance/AP Photo

बीस साल के मुहम्मद सईद बताते हैं, "कई घर तबाह हो गए हैं और उनके मलबों में कई लोग जिंदा दफ्न हो गए हैं." वह खुद तड़के किसी तरह अपनी पांचमंजिला इमारत से निकल कर यहां तक पहुंचने में कामयाब हुए. फिर लगातार तीन दिनों तक महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों का यहां आना जारी रहा. सईद कहते हैं, "मुझे लगने लगा कि दुनिया खत्म होने वाली है." इन लोगों के पास घर छोड़ते समय कपड़े और खाने जैसी जरूरी चीजें लेने का भी वक्त नहीं बचा. अब यहां जरूरत से ज्यादा लोग जमा हो गए हैं.

नल का पानी इतना गंदा है कि पिया नहीं जा सकता. जलनिकासी और पानी साफ करने के पंप काम नहीं कर रहे हैं. सईद की 60 साल की मां उम्मे समेर सईद कहती हैं, "देखो, क्या यही जिन्दगी है. हम घर छोड़ कर आ गए हैं और हमें यह भी पता नहीं कि अब वहां कौन जिन्दा है, कौन नहीं."

Gaza Stadt Angriff Israels auf schutzlose Zivilisten und Wohnhäuser 22.7.
लहूलुहान शहरतस्वीर: Reuters

इस पूरे संघर्ष में सबसे ज्यादा बच्चे प्रभावित हैं. उनके दिलोदिमाग पर खौफ छाता जा रहा है. 11 साल की फरहा कहती है, "मुझे अभी भी डर लगता है कि कहीं कोई टैंक न आ जाए. मेरे कानों में बमों की आवाज गूंजती रहती है." उसके जेहन में सड़कों पर बिखरी लाशों की तस्वीर है, जो निकलती नहीं.

फलीस्तीन चाहता है कि इस्राएल के खिलाफ युद्ध अपराध का मामला चले, जबकि इस्राएल का कहना है कि उसकी कार्रवाई अपने नागरिकों की सुरक्षा के लिए है. वहां काम कर रहे राहतकर्मियों का अनुमान है कि एक लाख से ज्यादा बच्चे इस युद्ध से प्रभावित हुए हैं. उन्हें मनोवैज्ञानिकों और सामाजिक कार्यकर्ताओं के मदद की जरूरत है.

एजेए/एएम (डीपीए)