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बाइसिकल थीव्स ने बनाया सत्यजीत रे

२३ अप्रैल २०१४

भारतीय सिनेमा जगत में युगपुरूष सत्यजीत रे को एक ऐसे फिल्मकार के तौर पर याद किया जाता है जिन्होंने अपनी फिल्मों के जरिए भारतीय सिनेमा जगत को अंतराष्ट्रीय स्तर पर विशिष्ट पहचान दिलाई.

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तस्वीर: picture alliance/Mary Evans Picture Library

सत्यजीत रे की मुलाकात 1949 में फ्रांसीसी निर्देशक जाँ रेनोआ से हुई जो उन दिनों अपनी फिल्म द रिवर के लिये शूटिंग लोकेशन की तलाश में कोलकाता आए थे. जाँ रेनोआ ने उनकी प्रतिभा को पहचाना और उन्हें फिल्म निर्माण की सलाह दी. रे को 1950 में अपनी कंपनी के काम के कारण लंदन जाने का मौका मिला जहां उन्होंने लगभग 99 अंग्रेजी फिल्में देख डाली. इसी दौरान उन्हें एक अंग्रेजी फिल्म बाइसिकल थीव्स देखने का उन्हें मौका मिला. फिल्म की कहानी से सत्यजीत रे इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने फिल्मकार बनने का फैसला कर लिया.

सत्यजीत रे का जन्म कोलकाता में 2 मई 1921 को एक संभ्रांत घराने में हुआ था. उनके दादा उपेन्द्र किशोर रे वैज्ञानिक थे जबकि उनके पिता सुकुमार रे लेखक थे. उन्होंने अपने करियर की शुरूआत वर्ष 1943 में ब्रिटिश एडवरटाइजमेंट कंपनी में बतौर जूनियर विजुलाइजर की. यहां उन्हें 18 रूपये महीने पारिश्रमिक मिलता था. इस बीच वह डीके गुप्ता की पब्लिशिंग हाउस सिगनेट प्रेस से जुड़ गए और वहां कवर डिजाइनर का काम करने लगे. बतौर डिजाइनर उन्होंने कई पुस्तकों का डिजाइन तैयार किया. इसमें जवाहर लाल नेहरू की डिस्कवरी ऑफ इंडिया प्रमुख है.

Frankreich Jean Renoir Regisseur Archiv 1962
निर्देशन करते जाँ रेनोआ(दाएं)तस्वीर: AFP/Getty Images

सत्यजीत रे बांग्ला साहित्यकार विभूति भूषण बंधोपाध्याय के उपन्यास विलडंगसरोमन से काफी प्रभावित थे और उन्होंने उनके इस उपन्यास पर पाथेर पांचाली नाम से फिल्म बनाने का निश्चय किया. फिल्म पाथेर पांचाली के निर्माण में लगभग तीन वर्ष लग गए. फिल्म निर्माण के क्रम में सत्यजीत रे की आर्थिक स्थिति काफी खराब हो गई जिससे फिल्म निर्माण की गति धीमी पड़ गई. बाद में पश्चिम बंगाल की सरकार के सहयोग से फिल्म को पूरा किया जा सका.

1955 में प्रदर्शित फिल्म पाथेर पांचाली ने कोलकाता के सिनेमाघर में लगभग 13 सप्ताह तक हाउसफुल रही. फिल्म को फ्रांस में होने वाली प्रतिष्ठित कान फिल्म महोत्सव में "बेस्ट ह्यूमन डाक्यूमेंट" का विशेष पुरस्कार भी मिला. फिल्म पाथेर पांचाली के बाद सत्यजीत रे ने फिल्म अपराजितो का निर्माण किया. इस फिल्म में युवा अप्पू की महत्वाकांक्षा और उसे प्यार करने वाली एक मां की भावना को दिखाया गया है. फिल्म वीनस महोत्सव में गोल्डेन लॉयन अवार्ड से सम्मानित की गई.

सत्यजीत रे ने 1962 में अपने दादा की पत्रिका संदेश की फिर से स्थापना की. उनकी पहली रंगीन फिल्म महानगर1963 में प्रदर्शित हुई. 1966 में उनकी एक और सुपरहिट फिल्म नायक प्रदर्शित हुई. इसमें उत्तम कुमार ने अरिन्दम मुखर्जी नामक नायक की भूमिका निभाई. 1969 में रे ने अपने दादा की लघु कथा पर गूपी गायन बाघा बायन का निर्माण किया. फिल्म टिकट खिड़की पर सुपरहिट साबित हुई, साथ ही बच्चों के बीच काफी लोकप्रिय हुई.

Film stills of Nayak ***KEIN SOCIAL MEDIA***
नायक का एक दृश्यतस्वीर: RDB Entertainments

सत्यजीत रे ने 1977 में अपनी पहली हिंदी फिल्म शतरंज के खिलाड़ी बनाई. संजीव कुमार, सईद जाफरी और अमजद खान की मुख्य भूमिका वाली यह फिल्म हालांकि टिकट खिड़की पर अपेक्षित सफलता नहीं अर्जित कर सकी लेकिन समीक्षकों के बीच इसे काफी सराहना मिली. 1978 में बर्लिन फिल्म महोत्सव बर्लिनाले ने सत्यजीत रे को विश्व के तीन ऑल टाइम डाइरेक्टर में एक के रूप में सम्मानित किया. फिल्म घरे बाइरे के निर्माण के दौरान उन्हें दिल का दौरा पड़ गया. इसके बाद डॉक्टरों ने उन्हें फिल्म में काम करने से मना कर दिया.

सत्यजीत रे को अपने चार दशक लंबे सिने करियर में खूब मान सम्मान मिला. वह दूसरे फिल्म कलाकार थे जिन्हें ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी ने डॉक्टरेट की उपाधि से सम्मानित किया. सत्यजीत रे को 1985 में हिन्दी फिल्म उद्योग के सर्वोच्च सम्मान दादा साहब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया गया. इसके अलावा उन्हें भारत रत्न की उपाधि से भी सम्मानित किया गया. उनके चमकदार करियर में एक गौरवपूर्ण नया अध्याय तब जुड़ गया जब 1992 में विश्व सिनेमा को उल्लेखनीय योगदान के लिए उन्हें ऑस्कर से सम्मानित किया गया.

सत्यजीत रे ने अपने सिने करियर में 37 फिल्मों का निर्देशन किया. 1991 में प्रदर्शित फिल्म आंगतुक सत्यजीत रे के सिने करियर की अंतिम फिल्म साबित हुई. अपनी फिल्मों से अंतराष्ट्रीय स्तर पर विशिष्ट पहचान बनाने वाले महान फिल्मकार सत्यजीत रे ने 23 अप्रैल 1992 को इस दुनिया को अलविदा कह दिया.

एमजे/एएम (वार्ता)