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बर्लिन हैम्बर्ग को ओलंपिक की आस

१ सितम्बर २०१४

जर्मन राजधानी बर्लिन और बड़े शहर हैम्बर्ग ने अपनी कागजी तैयारी पूरी कर ली है और अब वे अपने बाशिंदों को साथ मिलाने की कोशिश कर रहे हैं ताकि दिसंबर से पहले वे अपनी दावेदारी के लिए तैयार हो जाएं.

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Berliner Olympia Stadion
तस्वीर: picture-alliance/dpa

जर्मन ओलंपिक परिसंघ इसके बाद 2024 और 2028 के ओलंपिक मेजबानी के लिए अपना फैसला करेगा. इस काम के लिए दोनों शहरों को एक सितंबर तक परिसंघ के कुछ सवालों का जवाब देना है. इसके बाद छह दिसंबर को परिसंघ बताएगा कि क्या उन्हें एक जर्मन शहर के तौर पर मेजबानी के लिए चुना गया है और अगर हां, तो वह बर्लिन है या फिर हैम्बर्ग.

हालांकि दुनिया के सबसे अमीर देशों में शामिल जर्मनी में ओलंपिक का विरोध करने वालों की संख्या भी कम नहीं है. इससे पहले म्यूनिख ने 2022 के विंटर ओलंपिक को आयोजित करने का मन बनाया था लेकिन बाद में उसे रेस से हटना पड़ा. अब बर्लिन और हैम्बर्ग के लोग चाहते हैं कि उनके निवासियों की भी इसमें भागीदारी हो ताकि विरोध करने वाले कमजोर पड़ सकें.

बुनियादी ढांचा मौजूद

बर्लिन के लोगों का कहना है कि उनके पास सारा बुनियादी ढांचा है और हैम्बर्ग को यह सब तैयार करना होगा. खेल के लिए संयुक्त राष्ट्र के विशेष दूत विली लेम्के का कहना है, "अगर बर्लिन एकीकृत रहा, तो हैम्बर्ग का तो चांस ही नहीं आएगा." लेकिन हाल के एक सर्वे से पता चलता कि सिर्फ 52 फीसदी लोग चाहते हैं कि वहां ओलंपिक हो और 46 प्रतिशत लोग इसके खिलाफ हैं.

आम तौर पर इस तरह के अंतरराष्ट्रीय खेल आयोजनों में अनुमान से ज्यादा लागत लग जाती है और बाद में खर्च बढ़ता जाता है. फिलहाल अनुमान है कि खेलों में करीब दो अरब डॉलर लगेंगे और उम्मीदवारी में भी पांच करोड़ डॉलर का खर्च आएगा. वैसे बर्लिन का खेल के साथ बड़ा जुड़ाव रहा है. 1936 में यहां ओलंपिक हो चुका है. तब ध्यानचंद और रूप सिंह की जोड़ी वाली भारतीय हॉकी ने स्वर्ण पदक जीता था. 2006 में जब वर्ल्ड कप फुटबॉल खेला गया, तो उसी स्टेडियम को दोबारा तैयार किया गया.

समझा जाता है कि अगर बर्लिन को दावेदारी मिलती है, तो टेगेल एयरपोर्ट की जगह पर खेल गांव बन सकता है, जहां के चार पांच हजार फ्लैटों को इस प्रतिस्पर्धा में इस्तेमाल किया जा सकता है. बर्लिन पांचवीं बार ओलंपिक की कोशिश कर रहा है, जबकि हैम्बर्ग का यह दूसरा प्रयास है.

हैम्बर्ग की संभावना

नेताओं का अनुमान है कि हैम्बर्ग में ओलंपिक आयोजित करने में तीन अरब डॉलर लगेंगे. यहां लोगों का समर्थन बहुत ज्यादा है और करीब 73 फीसदी लोग ओलंपिक कराना चाहते हैं. स्थानीय चैम्बर ऑफ कॉमर्स के राइनहार्ड वोल्फ का कहना है कि उनके पास 41 जरूरी में से 35 चीजें उपलब्ध हैं. यहां एल्बे नदी के किनारे खेल गांव बन सकता है, जो शहर के बीचों बीच है. इसके अलावा शहर के पास दूसरे साधनों के लिए भी पर्याप्त जगह है.

अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक संघ की कमान फिलहाल जर्मन अध्यक्ष थोमास बाख के पास है, जिन्होंने जर्मन ओलंपिक परिसंघ में रहते हुए देखा कि किस तरह 2000 की बर्लिन की दावेदारी नाकाम रही थी. उन्होंने यह भी देखा है कि किस तरह म्यूनिख की जगह 2018 का विंटर ओलंपिक प्योंगचांग को मिला और वे इस बात के भी गवाह रहे हैं कि किस तरह जनमत संग्रह के बाद म्यूनिख के लोगों ने दोबारा बोली नहीं लगाने का फैसला किया.

बाख चाहते हैं कि वह पूरी तरह निष्पक्ष रहें लेकिन फिर भी कहते हैं कि 1972 के म्यूनिख ओलंपिक के बाद जर्मनी की दावेदारी मजबूत हो सकती है, "तथ्य यह है कि जर्मनी की कोशिश और इसकी जनता का समर्थन बहुत मजबूत होगा. इसके पास अच्छे चांस होंगे."

एजेए/ओएसजे (डीपीए)