1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

फीकी पड़ती सोने की चमक

१३ सितम्बर २०१४

धार्मिक त्योहारों के दौरान किरन लक्ष्मण सालुंखे जेवर खरीदते थे, लेकिन सोने की गिरती कीमत ने उन्हें परंपरागत निवेश से मुंह मोड़ने को मजबूर कर दिया.

https://p.dw.com/p/1DBRb
तस्वीर: RAVEENDRAN/AFP/Getty Images

एक दशक में पहली बार इस साल सालुंखे ने अपनी मेहनत की कमाई बैंक में जमा की और खेती की जमीन खरीदी. मुंबई से 250 किलोमीटर दूर पड़ने वाले वांगल गांव में सालुंखे 15 एकड़ खेती की जमीन पर गन्ना उगाते हैं. सालुंखे कहते हैं, "जब पिछले साल सोने का दाम 32,000 रुपये प्रति दस ग्राम था तो मैंने जेवर खरीदे. अगर अब मैं इसे बेचना चाहता हूं तो जौहरी मुझे 27,000 रुपये से ज्यादा नहीं देते. मैं सोने में निवेश क्यों करूं. आज कल घरों में जेवर रखना जोखिम भरा है. चोरी की घटनाएं भी बढ़ रही हैं. सावधि जमा में कोई जोखिम नहीं है."

पिछले साल भर में सोने की कीमत में तेजी से गिरावट आई है जिस वजह से भारतीयों का इस कीमती धातु से विश्वास डगमगाने लगा है. एक समय में लोग इसे सिर्फ इसलिए खरीदते थे ताकि मुसीबत के समय उसे बेचकर पैसे की कमी पूरी की जा सके. ऐसे में मुख्य लाभ लेने वाले भारतीय शेयर हैं, जो इस उम्मीद में नए नए रिकॉर्ड बना रहे हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चुनाव में किए "अच्छे दिन" का वादा पूरा करेंगे.

बाजार के जानकार हरीष गलीपेल्ली का कहना है कि भारतीयों का सोने के साथ लगाव बना रहेगा. उनका इशारा दहेज उपहार या मंदिरों में भगवान को सजाने के लिए सोने के इस्तेमाल की तरफ है. वे कहते हैं, "लेकिन जैसे जैसे बैंकिंग नेटवर्क फैलेगा और साक्षरता बढ़ेगी ग्रामीण इलाकों में लोग निवेश के अन्य विकल्पों जैसे म्युचल फंड और बैंक डिपाजिट की तरफ बढ़ेंगे. धीरे धीरे सोच बदल रही है."

शेयर की तरफ रुख

मुंबई के झावेरी बाजार में सोना कारोबारी कपिल पारिख कहते हैं, "जो लोग 2008 के स्टॉक मार्केट के गिरने के बाद आए वे छोटी अवधि के निवेशक थे. वे तब आए जब शेयर बाजार मुनाफा नहीं दे रहा था. अब जब शेयरों में तेजी है, वे सोने को बेचकर पैसा शेयरों में लगा रहे हैं."

एक ग्राहक दिनेश जैन का कहना है कि उन्होंने 64 ग्राम सोने को बेचने के बाद आईटी कंपनी के शेयरों में निवेश किया. वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल के मुताबिक अप्रैल से जून के दौरान दुनिया में सोने की मांग करीब 16 फीसदी गिरी है. वहीं इसी दौरान भारत में सोने की मांग में पिछले साल के मुकाबले करीब 40 फीसदी की गिरावट आई है. इस साल निवेश के लिए भी सोने में दिलचस्पी भी घटी है. आंकड़ों के मुताबिक पिछले साल की इस तिमाही के मुकाबले इस साल सोने में निवेश में 67 फीसदी की गिरावट है. उद्योग और वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल के अनुमान के आधार पर इस साल निवेश की मांग आधी हो सकती है.

पिछले एक दशक से सोने की कीमत में तेजी से उछाल आ रहा था. लोग सोने की ईंट और सिक्के खरीद रहे थे. लेकिन अगस्त 2013 में 35,074 रुपये प्रति दस ग्राम छूने के बाद भारत में सोने की कीमत लगातार गिर रही है. अंतरराष्ट्रीय बाजारों में सोने की कीमत में कमजोरी और रुपये की मजबूती ने स्थानीय कीमत पर असर डाला है. अगर इस तरह की गिरावट पहले होती तो सोने के खरीदार जौहरी की दुकानों में नजर आते. बुलियन कारोबारी पृथ्वीराज कोठारी के मुताबिक, "सोने की कीमत में 11 साल की रैली ने ऐसी धारणा बनाई की कि कीमत हमेशा ऊपर ही जाएगी. लेकिन कीमत में गिरावट ने इस विश्वास को तोड़ दिया है. अब लोग अपने निवेश को अलग अलग जगह लगा रहे हैं. यह चलन आने वाले सालों में और बढ़ेगा."

एए/एएम(रॉयटर्स)