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चलते चलते बनती सेहत

२९ सितम्बर २०१४

पैदल चलना क्रॉसफिट की तरह ट्रेंडी नहीं बन सकता, कीचड़ में दौड़ने जैसा सेक्सी नहीं हो सकता या फिर आयरनमैन रेसों की तरह दंभ नहीं बढ़ा सकता है. लेकिन फिटनेस के जानकारों का कहना है कि पैदल चलना एक बेहतर कसरत है.

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Rentnerpaar beim Spaziergang
तस्वीर: Fotolia/cammer

लेखक और वैज्ञानिक केटी बोमैन के मुताबिक पैदल चलना खाने जैसी जैविक जरूरत है. अपनी किताब "मूव योर डीएनए: रिस्टोर योर हेल्थ थ्रू नैचुरल मूवमेंट्स" में वह सलाह देती हैं कि जैसे शरीर को आहार में पोषक तत्वों की जरूरत होती है वैसे ही हरकत आहार की भी जरूरत होती है.

बोमैन कहती, "पैदल चलना सुपरफूड की तरह है. यह इंसानों के लिए निर्णायक हरकत है. शरीर को हिलाना कसरत करने के मुकाबले कहीं आसान है." शोधकर्ताओं का कहना है कि ऐसे सबूत सामने आ रहे हैं जो यह सुझाते हैं कि अकेले शारीरिक गतिविधि के मुकाबले शारीरिक गतिविधि और निष्क्रियता दोनों ही पुरानी बीमारी के लिए ज्यादा अहम हैं. बोमैन कहती हैं, "सक्रिय रूप से बैठने वाले लोगों की नई श्रेणी हैं जो एक घंटे फिटनेस स्टूडियो में बिताते हैं और बाकी का दिन बैठकर गुजार देते हैं. 10 घंटे की स्थिरता की भरपाई आप एक घंटे की कसरत से नहीं कर सकते हैं."

अमेरिका के खेल चिकित्सा कॉलेज (एसीएसएम) की अध्यक्ष डॉक्टर कैरल इविंग गार्बर इस बात पर टीका करती हैं कि दस हजार कदमों की फिटनेस वॉकिंग दिशा निर्देश कई लोगों के लिए बहुत ज्यादा हैं. डॉक्टर गार्बर के मुताबिक, "करीब साढ़े सात हजार कदम अधिक सटीक हो सकते हैं."

एसीएसएम की मौजूदा सलाह है कि हर हफ्ते डेढ़ सौ मिनट एक्टिविटी करनी चाहिए. गार्बर कहती हैं कि शोध से यह पता चलता है कि सिर्फ एक बार की गई कसरत लाभकारी मनोवैज्ञानिक प्रभाव छोड़ती है. लेकिन वह मानती हैं कि सिर्फ वॉकिंग से सबकुछ नहीं होता है, दौड़ने के मुकाबले यह हड्डियों के लिए ज्यादा लाभकारी नहीं है और ताकत हासिल करने के लिए वजन उठाना चाहिए.

वे कहती हैं, "फिर भी, अगर आप कुछ चुनना चाहते हैं तो शोध कहते हैं कि वह वॉकिंग ही होनी चाहिए."

एए/आईबी (रॉयटर्स)