प्रदूषण के कुचक्र से लड़ता चीन
२७ सितम्बर २०१४चीन सरकार नदियों, झीलों और भूजल की सफाई के लिए एक नया एक्शन प्लान बना रही है. रिपोर्टें हैं कि पानी साफ करने में 326 अरब डॉलर का भारी खर्च आएगा. औद्योगीकरण के चक्कर में चीन ने कई दशकों तक पर्यावरण की अनदेखी की. अब इसके गंभीर नतीजे सामने आ रहे हैं.
फैक्ट्रियों से निकलने वाले घातक कचरे और दूषित पानी की वजह से चीन की 70 फीसदी नदियां और झीलें बुरी तरह दूषित हैं. कुल भूजल का आधा हिस्सा भी इस्तेमाल करने लायक नहीं है. पानी इतना गंदा हो चुका है कि इसे उद्योगों के लिए भी इस्तेमाल नहीं किया जा सकता.
अभूतपूर्व जल संकट से निपटने के लिए अब बीजिंग को कमर कसनी पड़ रही है. जल प्रदूषण पर नजर रखने वाले अधिकारियों के मुताबिक 2014 में प्रदूषण कम करने के लिए जो पहल की गई, वो रंग लाती दिख रही है. इस साल की पहली छमाही में अमोनियम नाइट्रोजन और केमिकल ऑक्सीजन डिमांड 2.7 फीसदी से गिरकर 2.3 फीसदी आंकी गई. साल के अंत तक इसे दो फीसदी तक पहुंचाने का लक्ष्य है.
चाइना वॉटर रिस्क नामक थिंक टैंक की निदेशक डेबरा टान इसे अच्छा संकेत मानती हैं, "कुछ क्षेत्रों में दूषित पानी को खुले में बहाने पर लगी सख्त रोक से हम उम्मीद करते हैं कि प्रदूषण में और कमी आएगी." लेकिन सख्ती की वजह से मंद पड़े कुछ उद्योगों की हालत और खस्ता होने की आशंका भी है. टान कहती हैं, "टेक्सटाइल उद्योग के लिए नए मानक 2015 से लागू होंगे और फिलहाल सफाई का कोई सस्ता विकल्प मौजूद नहीं है. ऐसे में छोटी फैक्ट्रियों को नए नियम से परेशानी हो सकती है."
चीन के सरकारी सिक्योरिटीज जरनल के मुताबिक सरकार प्रदूषित पानी को साफ करने के लिए 2,000 अरब युआन (326 अरब डॉलर) की योजना बना चुकी है. जहरीले पानी की वजह से खेती भी प्रभावित हो रही है. पानी में घुले हानिकारक रसायन मिट्टी को भी खराब कर रहे है और आहार चक्र में घुसकर इंसान व अन्य जीव जन्तुओं को बीमार कर रहे हैं.
उत्तरी चीन में वैसे ही पानी की खासी किल्लत है. विशेषज्ञों का कहना है कि अगर सरकार ने जल्द व्यापक कदम नहीं उठाए तो खाद्यान्न उत्पादन और ऊर्जा क्षेत्र लड़खड़ा जाएगा. फिलहाल उत्तरी चीन में मध्य और दक्षिण चीन से पानी की सप्लाई की जा रही है. इसमें ही 63 अरब डॉलर खर्च हो चुके हैं.
ओएसजे/एमजे (रॉयटर्स)