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पैनी नज़र रखना, है मुख्य बिंदु

विनोद चड्ढा२ दिसम्बर २०१४

मैं डीडब्ल्यू रेडियो सुना करता था और अब मंथन देखता हूं. आपकी वेबसाइट भी रोज 4-5 बार विजिट करता हूं, लिखते हैं जीशान नय्यर. और पाठकों ने क्या लिखा है, पढ़िए यहां..

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Ebola Transportmaschine
तस्वीर: picture-alliance/dpa/AP Photo/D. Stinellis

मंथन में इस बार जाना कि जिस प्रकार हवाई जहाजों के द्वारा दुनिया के किसी भी कोने में कुछ घंटों में पहुंच जाते हैं उसी तरह अब बीमारियां भी कुछ ही घंटों में हजारों किलोमीटर दूर पहुंच जाती हैं. इबोला से निपटने की नई तकनीक और ऑर्गेनिक फार्मिंग पर भी काफी रोचक जानकारी मिली.एक प्रकार से कहा जाए तो पुराने दिन लौट रहे हैं और इन सब वैज्ञानिक हलचल पर पैनी नज़र रखना मंथन का मुख्य बिंदु है जो हमें अपनी ओर आकर्षित करने में सदैव सफल रहा है. अब समय में परिवर्तन और सरलता प्रदान करने की दिशा में उठाया गया सटीक कदम लगता है. सादिक आज़मी, सऊदी अरब

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घातक बीमारी 'एड्स' के बारे में हमने डॉयचे वेले के वेबपेज पर पहले भी कई लेख पढ़े हैं. एक बार फिर 'एड्स का खतरा', 'एड्स से लड़ने का नैतिक कर्तव्य', और 'एड्स का खतरनाक सफर' शीर्षक लेखों से बहुत सी और जानकारी प्राप्त हुई. क्रिसमस दुनिया भर के देशों में एक प्रमुख त्योहार और सार्वजनिक अवकाश के रूप में मनाया जाता है परन्तु जर्मन क्रिसमस की क्या है खासियत, हमें तस्वीरों से काफी सारी जानकारी मिली. हमारा आपसे अनुरोध है पेरू की राजधानी लिमा में चल रहे संयुक्त राष्ट्रसंघ के 12 दिनों के जलवायु परिवर्तन सम्मेलन के बारे में ताजी जानकारी वेबसाइट के माध्यम से हमें प्राप्त करवाए. सुभाष चक्रबर्ती, नई दिल्ली

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डीडब्ल्यू एक विश्वसनीय एवं विश्वस्तरीय प्रस्तोता है. पहले आपके पूरे समाचार एक पृष्ठ पर पढ़ लिए जाते थे परन्तु अब आप समाचारों का एक छोटा अंश ही देते हैं. कृपया पूरे समाचार एक पृष्ठ पर ही देवें जिससे अनावश्यक औपचारिकताओं से बचा जा सके. महावीर सिंह नेहरा

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तकनीक के साथ जर्मनी साफ सड़कों, साफ फुटपाथ और साफ नदियां के लिए मशहूर हैं. कचरे की रिसाइक्लिंग के मामले में जर्मनी किसी और देश से कहीं आगे हैं. इस विषय पर काफी सारे पाठकों का कहना है कि हमें भी इस प्रक्रिया का पालन करना चाहिए. काश हमारे देश में भी ऐसा कुछ होता. संदीप कुमार लिखते हैं भारत को साफ़ बनाने के लिए सफाई करने से पहले गंदगी को सही से विसर्जित करने के उपायों पर कार्य करने की आवश्यकता है. जैसे कि हमारे देश की सबसे बड़ी समस्या है कि लोग कहीं भी मल मूत्र त्याग कर देते हैं इसका सबसे बड़ा कारण है शौचालयों की कमी. हमारे देश के बाजारों में साधारणतया कुछ ही नगरपालिका के शौचालय होते हैं और वहां भी पैसे देने पड़ते है. क्यों न सरकार एक नियम बनाये की छोटी दुकान हो या कोई बड़ी इमारत, उसे बनाते समय उसमें शौचालय का होना जरुरी हो. हर स्टेशन व बसस्टॉप पर शौचालय नि:शुल्क हों. कूड़ा फेंकने के लिए लिफाफा तय किया जाये और उसमें भर कर हर व्यक्ति अपने घर के बाहर रखे ताकि नगरपालिका वाले ठीक से उठा सके.

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'ईशनिंदा में वीना मलिक को सजा' वेबसाइट पर इस आलेख को पढ़ कर प्रदीप चंदा ने टिप्पणी की है कि हिंदुस्तान में कोई किस धर्म का है किसी को कोई मतलब नहीं. सब अपने अपने धर्म को मानते है. यहां तक की यदि कोई किसी धर्म के ऊपर कमेंट भी करता है तो अक्सर दूसरा चुप ही रहता है. हमारे देश में सब को कहने सुनने की आज़ादी है.

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बाल मजदूरी पर आबिद अली मंसूरी का कहना है कि इसमें कही न कहीं हमारा समाज ही जिम्मेदार है, एक तरफ इतना पैसा है कि लोगों के पास दुनियां का हर ऐशो आराम है और दूसरी तरफ इतनी गरीबी कि ठीक से पेट भरना भी मुश्किल. दो वक्त की रोटी के लिए इतना बड़ा संघर्ष कि पढ़ने-लिखने और खेलने-कूदने की उम्र में मेहनत की भट्टी में झुलसने को मजबूर बचपन. खाने-पीने, पहनने-ओढ़ने और दैनिक जरूरतों की अन्य वस्तुओं पर वक्त के साथ हर रोज़ बढ़ती महंगाई भी इसका एक कारण है.

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