हकीकत बनेगा मिस्टर इंडिया
३० सितम्बर २०१४यह कोई चमत्कार या फिर कोई जादुई छड़ी का कमाल नहीं है, बल्कि वैज्ञानिकों की ओर से किया गया भौतिकी सिद्धांतो का करिश्माई प्रयोग है जिसे क्लोकिंग पद्धति की मदद से किया गया है. यह एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके जरिए लेसों को भेदकर निकलने वाली प्रकाश किरणों से ऐसे चुंबकीय क्षेत्र का प्रभाव बन जाता है जिससे यह जिस वस्तु पर पड़ती हैं वह आखों से पूरी तरह या आंशिक रूप से दिखना बंद हो जाती है. न्यूयॉर्क में भौतिकी शास्त्र के एक प्राध्यापक जॉन हॉवेल ने कुछ लेंसों की मदद से यह कारनामा किया है. इससे आप अपने सामने रखी चीज को देख नहीं पांएगे जबकि उसके पीछे और आसपास मौजूद सारी चीजें आपको दिखाई देंगी. जिस चीज को आप नहीं देख पाएंगे वह ऐसा नहीं है कि अपने स्थान से गायब हो जाएगी, वह अपने स्थान पर ही रहेगी बस आपको दिखाई नहीं देगी.
इसके लिए हॉवेल ने कई सारे लेंसो का एक साथ प्रयोग किया और उन्हें एक दूसरे के आगे इस क्रम में रखा की उसके आखिरी छोर पर रखी वस्तु आंखों से दिखना बंद हो गई. इन लेंसों से देखने की प्रक्रिया का त्रियामी प्रभाव पड़ता है जिससे इसके पीछे रखी वस्तु दिखना बंद हो जाती है. हॉवेल का कहना है, "यह प्रयोग हाथों, मुंह और नापने वाले स्केल पर किया गया है जो पूरी तरह सफल रहा है. इस प्रयोग पर किसी तरह का कोई बड़ा खर्च नहीं आया है, बस एक हजार डॉलर खर्च करने पड़े." इस विधि को पेटेंट कराया जाना अभी बाकी है.
एए/आईबी (वार्ता)