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नेट निरपेक्षता पर तेज होती बहस

१९ अप्रैल २०१५

भारत में नेट-न्यूट्रैलिटी पर विवाद छिड़ा हुआ है. विशेषज्ञ पैनल मई के मध्य तक इस पर रिपोर्ट पेश करने वाला है.

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तस्वीर: DW/S.Waheed

लंबे समय तक अमेरिका में सुर्खियां बटोरने के बाद अब नेट-न्यूट्रैलिटी की बहस भारत में जोर पकड़ चुकी है. मामले के केन्द्र में हैं इंटरनेट पर हर यूजर की समान पहुंच सुनिश्चित करना. भरत सरकार ने सोमवार को बताया कि विशेषज्ञों का एक पैनल नेट निरपेक्षता के मामले को देख रहा है और इस पर मई के मध्य तक अपनी रिपोर्ट पेश करेगा. भारत की एंटी-ट्रस्ट निगरानी संस्था कॉम्पिटीशन कमीशन ऑफ इंडिया (सीसीआई) ने भी इस मामले पर करीबी नजर बनाई हुई है और कहा है कि अगर उन्हें दोषपूर्ण व्यापार नीति का अंदेशा होता है तो वे इसकी जांच करवा सकते हैं.

टेलीकॉम ऑपरेटर, स्टार्ट अप कंपनियां, राजनेता और फिल्मी सितारे तक इस बहस में उतर चुके हैं. आश्चर्च नहीं कि खुद इंटरनेट आधारित सोशल मीडिया पर इसकी सबसे ज्यादा चहल पहल दिख रही है.

दूरसंचार मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने बताया है कि उन्होंने इस विषय पर एक्सपर्ट पैनल जनवरी में ही गठित कर दिया था. पैनल के सुझावों को ध्यान में रखते हुए सरकार इस पर फैसला लेगी. उन्होंने कहा, "टेलीकॉम मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों वाली कमेटी मुझे नेट-न्यूट्रैलिटी के मकसद, फायदे, नुकसान और रेगुलेटरी एवं तकनीकी सीमाओं के बारे में विस्तृत रिपोर्ट सौंपेगी."

टेलीकॉम रेगुलेटर ट्राई भी इस मुद्दे पर काम कर रहा है. इसमें इंटरनेट सेवा दाताओं के सभी यूजरों को बिना किसी भेदभाव या रुकावट के इंटरनेट तक पहुंच उपलब्ध कराने की बात है. भारत में प्रमुख टेलिकॉम सेवा प्रदाता कंपनी भारती एयरटेल ने कुछ समय पहले 'एयरटेल जीरो' प्लेटफार्म लांच किया था, जिस पर कुछ ऐप्स को मुफ्त दिया गया था जिनका खर्च खुद ऐप बनाने वालों को करना होगा. मुक्त इंटरनेट और इंटरनेट आधारित तमाम स्टार्ट अप कंपनियों का मानना है कि एयरटेल का ऐसा प्लेटफार्म कुछ बड़ी कंपनियों के एकछत्र राज और बाकी छोटी कंपनियों के सफाए का कारण बन सकता है.

एयरटेल ने अपने प्लेटफॉर्म के समर्थन में कहा है कि उनका अभियान उपभोक्ताओं और विक्रेताओं दोनों के लिए 'विन-विन' यानि फायदे का सौदा साबित होगा. ई कॉमर्स कंपनी फ्लिपकार्ट डॉट कॉम के संस्थापक सचिन बंसल ने इसके समर्थन में ट्वीट किया.

भारत के सबसे बड़े ई कॉमर्स पोर्टल फ्लिपकार्ट ने फिलहाल इस मुद्दे पर तेज होते विरोध और विवादों के देखते हुए एयरटेल प्लेटफार्म से खुद को हटाने का निर्णय ले लिया है. 2013 में सामने आए एक अमेरिकी सर्वे के मुताबिक भारत में करीब 18.5 करोड़ मोबाइल इंटरनेट यूजर हैं, जो अमेरिका और चीन के बाद भारत को दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा बाजार बनाते हैं. आरआर/ओएसजे (एपी, पीटीआई)