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निडर फोली पर दुनिया को नाज

२१ अगस्त २०१४

इराक में मारे गए पत्रकार जेम्स फोली ने आखिरी लम्हे में डरने की बजाय कैमरे में आंखें डाल कर बात की. जब उनके सिर को धड़ से अलग किया जा रहा था, तो भी वे बेखौफ रहे. मां बाप, रिश्तेदार और पत्रकारिता जगत उन पर नाज करता है.

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तस्वीर: Reuters

आम तौर पर कैमरे के पीछे रहने वाले कैमरामैन और पत्रकार फोली के आखिरी मिनटों को जब फिल्माया जा रहा था, तो उन्हें पता था कि किसी भी तरह की पत्रकारिता का यह उनका आखिरी असाइनमेंट है. उन्होंने इस मौके को भी बखूबी निभाया. ऑरेंज पोशाक पहने घुटने के बल रेत में धंसे फोली ने लेंस में आंखें डाल कर अपनी बात कही.

अमेरिका के न्यू हैम्पशर में जब फोली की मां डायना फोली इस घटना के बाद सामने आईं, तो उन्होंने काला चश्मा पहन रखा था. शायद आंसुओं को न दिखाने की कोशिश रही होगी. लेकिन जब वह मीडिया से मुखातिब हुईं, तो उनकी बातों में कहीं डर नहीं था, "हमें उस पर नाज है. वह एक बहादुर और निडर पत्रकार था. वह एक हीरो था."

लेकिन पिता जॉन अपने जज्बात नहीं रोक पाए, "यह मुझे परेशान कर रहा है कि उसे कितना दर्द हुआ होगा और इस तरह किसी को मारने का तरीका कितना बर्बर है. मैं मानता हूं कि वह शहीद है, आजादी का शहीद."

शानदार शख्सियत

लगभग दो सा पहले नवंबर, 2012 में फोली को सीरिया में अगवा कर लिया गया था. फ्रांस के दो पत्रकारों डिडिया फ्रांकोएस और निकोलस हाना को कुछ दिनों तक उनके साथ रखा गया था. उनका कहना है कि 40 साल का फोली एक असाधारण युवक था, "वह अपहरण के दिनों में भी बिलकुल सॉलिड था. वह कभी भी अपहर्ताओं के सामने पूरी तरह समर्पण नहीं करता था. वह हमेशा दूसरों के बारे में सोचता था और खास तौर पर उनके लिए खाना मांगता था."

हाना का कहना है कि अमेरिकी होने की वजह से उस पर ज्यादा जुल्म होते थे, "वह अद्भुत बहादुरी की मिसाल था. उस पर कोड़े बरसाए जाते थे लेकिन वह घबराता नहीं था." फोली अनुभवी युद्ध रिपोर्टर थे और इससे पहले लीबिया में रिपोर्टिंग करते हुए भी उनका अपहरण कर लिया गया था. लेकिन तब वह 40 दिन में रिहा कर दिए गए थे.

James Foley Journalist Reporter
जेम्स फोली की पुरानी तस्वीरतस्वीर: Reuters

ग्वांतानामो का संकेत

बर्बर हत्या के वक्त छोटे छोटे स्टाइलिश बाल रखने वाले फोली का सिर लगभग मुंडा हुआ था और उन्होंने नारंगी रंग का वैसा ही लिबास पहना था, जैसा आम तौर पर अमेरिका की गैरकानूनी ग्वांतानामो जेल के कैदियों को पहनाया जाता है. फोली के हाथ पीछे बंधे हुए लगते हैं. आइसिस ने इस घटना की जिम्मेदारी ली है और कहा है कि अमेरिका ने इराक पर हवाई हमलों का फैसला किया है, जिसके खिलाफ वह यह कार्रवाई कर रहे हैं. उसने इसका वीडियो इंटरनेट पर जारी किया है, जिसे बेहद क्रूर प्रवृत्ति का होने की वजह से सर्चइंजनों से हटा दिया गया है.

लगभग पांच मिनट के वीडियो के शुरू में अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के इराक पर हमला करने वाले बयान को दिखाया गया है, जिसके बाद रेत में घुटनों के बल बैठे फोली ने शायद पहले से तैयार अपना बयान दिया है, जिसमें उन्होंने कहा है कि अमेरिकी सैनिक कार्रवाई का कोई फायदा नहीं है. उन्होंने वायु सेना में काम कर रहे अपने भाई से भी अपील की है कि वह सेना की नौकरी न करे. इसके बाद सिर से पांव तक काले लिबास में खड़ा खब्बू आतंकवादी अरबी लहजे लेकिन शुद्ध अंग्रेजी में अपनी बात कहता है. इस दौरान वह बार बार बाएं हाथ में पकड़े अपने चाकू को लहराता है.

हाई क्वालिटी वीडियो

वीडियो की क्वालिटी देख कर लगता है कि इसे किसी पेशेवर ने फिल्माया है क्योंकि इसे अलग अलग कोणों से शूट किया गया है. फोली और आतंकवादी की बात खत्म होने के बाद नकाबपोश उन्हें दाएं हाथ से पकड़ता है और बाएं हाथ से उनके गले पर छुरी फेरने लगता है.

वीडियो यहां खत्म नहीं होता, अगले दृश्य में टाइम पत्रिका के अमेरिकी पत्रकार स्टीवन सोटलॉफ को वैसे ही ऑरेंज जंपर में दिखाया गया है. वह भी उसी तरह रेत में घुटनों के बल बैठे हैं और नकाबपोश कह रहा है कि सोटलॉफ की जिंदगी का फैसला ओबामा के अगले फैसले पर होगा.

निर्भीक और निडर पत्रकार

अंतरराष्ट्रीय पत्रकार संस्था आईएफजे ने इस घटना पर गहरा सदमा व्यक्त किया है, "एक निहत्थे की बर्बर और कायरतापूर्ण हत्या के बाद पत्रकारों की सुरक्षा पर सवाल उठ रहे हैं, जिन पर हथियारबंद और आतंकवादी संगठन हमला कर रहे हैं." आईएफजे का कहना है कि सीरिया अब भी पत्रकारों के लिए सबसे खतरनाक जगह है, जहां 60 जर्नलिस्ट मारे जा चुके हैं.

फोली बुनियादी तौर पर पत्रकार नहीं, बल्कि टीचर थे. वह बच्चों और कैदियों को पढ़ाने का काम करते थे. लेकिन उनका शौक उन्हें पत्रकारिता में खींच लाया. उन्होंने 35 साल की उम्र में पत्रकारिता की पढ़ाई पूरी की, जिसके बाद ग्लोबलपोस्ट और एएफपी समाचार एजेंसी के साथ जुड़े. उनकी मां डायना कहती हैं, "वह समझता था कि दुनिया को सच्ची कहानी बतानी चाहिए - लोगों की जिंदगी की कहानी - उसने देखा कि पत्रकारिता के जरिए वह दुनिया की कहानी बता सकता है."

रिश्तेदारों के साथ पत्रकारिता जगत को भी जेम्स फोली पर नाज है.

एजेए/ओएसजे (रॉयटर्स, एएफपी)