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दक्षिण भारत में आदिवासियों की पहली डिक्शनरी

२९ जनवरी २०११

केरल के कयकुट्टम में अंततराष्ट्रीय भाषा विज्ञान एक ऐसा शब्दकोश बना रही है जिसमें दक्षिण भारत में पाए जाने वाले 20 जनजातियों की भाषाओं के शब्द होंगे.

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तस्वीर: AP

इस डिक्शनरी में शब्दों के अर्थ, उनके स्रोत और उनके व्याकरण में बदलाव के बारे में भी जानकारी मिल सकेगी. भारत में इस तरह का केवल एक और शब्दकोश है लेकिन वह हिंदी में है और केवल मध्य प्रदेश की एक जनजाति की भाषा के शब्द इसमें मिल सकते हैं. भारत में ऐसा पहली बार हो रहा है.

इंटरनेशनल स्कूल ऑफ द्रविडियन लिंग्विस्ट्कि्स में शोध कर रहीं उषा एस का कहना है कि ऐसा पहली बार केरल में हो रहा है. "मैंने पिछले साल शब्दकोश पर काम करना शुरू किया. शब्द संरचना में अपने शोध से मुझे इस तरह के काम की प्रेरणा मिली है."

लेकिन उषा का कहना है कि यह काम आसान नहीं था क्योंकि एक ही शब्द के अलग अलग भाषाओं में अलग मतलब होते हैं. जैसे मलयालम में अरी मतलब चावल और वाक्य में इसके इस्तेमाल के अनुसार यह शब्द बदल कर अरियु अरिक्कि या एक्की हो जाता है. वहीं ओक्कि शब्द का इस्तेमाल दोस्तों के बीच किसी को बुलाने में किया जाता है. लेकिन अरनदन जनजाति में ओक्कि शब्द का इस्तेमाल एक खास संबंध के लिए किया जाता है.

इन शब्दों के बारे में और जानकारी हासिल करने के लिए उषा ने कई दिन कबीलों में गुजारे हैं. उषा शब्दों को पहले उनके अर्थों के आधार पर अलग करेंगी और फिर उन्हें वर्णमाला के अनुसार लिखेंगी. इस शब्दकोश में भावनाओं, जानवरों और परिवारवालों के लिए खास शब्दों का भी उल्लेख किया जाएगा.

रिपोर्टः पीटीआई/एमजी

संपादनः आभा एम

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