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त्योहार पर क्यों होती है खुशी

कातरीन वित्श/एसएफ२४ दिसम्बर २०१४

कभी सोचा है कि त्योहार के आने से खुद ही हमारा मूड क्यों अच्छा हो जाता है? जर्मन वैज्ञानिक बता रहे हैं कि त्योहार से जुड़ी वे कौन सी बातें हैं जो सीधे हमारे दिमाग पर असर करती हैं.

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तस्वीर: Fotolia/famveldman

क्रिसमस का स्वागत दुनिया भर में जोर शोर से हो रहा है. बढ़िया केक और कुकीज, मधुर संगीत और तोहफों के लिए भी हर कोई इस त्योहार का इंतजार करता है. मगर ऐसी कुछ और भी बातें हैं जो हमारे दिमाग पर असर डालती हैं, जैसे बाजार में हफ्ते भर पहले से ही क्रिसमस के खास गीत या कैरल का सुनाई देना. इनकी वजह से हम त्योहार के दिन के पहले से ही उसका इंतजार करने लगते हैं. ब्रेन रिसर्चर मानफ्रेड श्पित्सर बता रहे हैं, "क्रिसमस का आना हमारे दिमाग के अंदर होता है."

इंतजार की 'साइंस'

रिसर्चर श्पित्सर के मुताबिक कई चीजें ऐसी होती हैं जो हमारे दिमाग को किसी खास दिन के इंतजार के लिए तैयार करती हैं. जैसे गाना गाना, खास पकवानों का बनना, तोहफे मिलना और एक साथ होने के बारे में सोचना वगैरह. हो सकता है इसका कोई संबंध 25 दिसंबर की तारीख से भी हो, जो कि साल की सबसे लंबी रात के पास ही पड़ती है. इस तारीख के साथ ठंड के खत्म होने और गर्मी के लौटने की उम्मीदें भी जुड़ी होती हैं.

संगीत से दिमाग में भय के रिसेप्टर निष्क्रिय और आनंद से जुड़े न्यूरोट्रांसमिटर सक्रिय हो जाते हैं. क्रिसमस के साथ कई तरह के इंतजार भी जुड़े होते हैं. श्पित्सर के मुताबिक "अक्सर जब लोगों को बिना उम्मीद के कोई तोहफा मिलता है तो वे और भी खुश हो जाते हैं." आश्चर्य के भाव के साथ कुछ ऐसे न्यूरोट्रांसमिटर और हार्मोन जुड़े होते हैं जो हमें खुशी देते हैं.

दिमाग से उठती खुशी की लहर

हमारा मस्तिष्क शरीर के बाकी सभी हिस्सों से सबसे ज्यादा संपर्क में रहता है. दिमाग में एक जगह से दूसरी जगह संदेश भेजने के लिए करीब 100 अरब न्यूरॉन और 1000 अरब सूत्रयुग्मन होते हैं. सूत्रयुग्मन ऐसी संरचना है जिससे सिग्नल ग्राही कोशिकाओं तक पहुंचते हैं. रिसर्चर जानने की कोशिश कर रहे हैं कि इस प्रक्रिया से हमारी भावनाएं कैसे प्रभावित होती हैं.

तोहफे को खोलते समय हमारी उंगलियों को खास एहसास होता है. कई बार उंगलियां खुशी से कांप भी सकती हैं. ऐसा दिमाग में चल रही प्रक्रियाओं के कारण होता है. इंतजार से जुड़े न्यूरोट्रांसमिटर हमें यह एहसास कराते हैं.