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बुर्के की खूबसूरती

केट म्यूजर/ईशा भाटिया२५ जनवरी २०१५

ब्रिटेन के फोटोग्राफर सेबास्टियन फार्मबॉरो ने तीन साल सउदी अरब में बिताए. उन्होंने अपनी तस्वीरों के जरिए पश्चिमी देशों में अरब दुनिया की बुरी तस्वीर को बदलने का फैसला किया.

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Sebastian Farmborough britischer Fotograf
तस्वीर: Sebastian Farmborough

सेबास्टियन फार्मबॉरो कई देशों में रह चुके हैं. अमेरिका, स्पेन, चिली, सउदी अरब और इन दिनों वे संयुक्त अरब अमीरात में काम कर रहे हैं. अपने सउदी अरब प्रवास के दौरान फार्मबॉरो स्थानीय लोगों के करीब आए और उन्हें महसूस हुआ कि पश्चिमी देशों में अरब दुनिया को ले कर कितने पूर्वाग्रह हैं और उन्होंने इसे बदलने की ठानी.

फार्मबॉरो ने "एन इमर्जिंग मिस्ट्री" नाम का फोटो प्रोजेक्ट शुरू किया. इस प्रोजेक्ट के लिए उन्होंने ज्यादातर बुर्का पहनने वाली महिलाओं की तस्वीरें लीं. इसकी वजह बताते हुए फार्मबॉरो कहते हैं, "यह मेरा सबसे पहला अनुभव था. मैं अभी बार्सिलोना से यहां आया ही था और मैंने बुर्का पहने एक महिला को स्वीमिंग करते देखा. मेरे लिए यह बहुत बड़ा कल्चरल शॉक था और मैं जानता था कि पश्चिमी देशों के लोगों के लिए भी यह हैरानी भरा होगा."

Sebastian Farmborough britischer Fotograf
तस्वीर: Sebastian Farmborough

सेबास्टियन बताते हैं कि जब वे सउदी अरब पहुंचे, तो उन्हें कई अच्छे और अनोखे अनुभव हुए. उन्होंने सोचा कि अगर वे ईमेल के जरिए अपने दोस्तों को उस बारे में बताते, तो लोग उनकी बातों पर विश्वास नहीं करते. ऐसे में उन्होंने सोचा कि क्यों ना प्रमाण के तौर पर तस्वीरें ही ले ली जाएं. और इस तरह से इस प्रोजेक्ट की शुरुआत हुई.

सेबास्टियन इसके जरिए यूरोप और अमेरिका में लोगों की राय बदलना चाहते हैं. वे बताते हैं, "पिछले साल बुर्का पहने एक महिला को पेरिस के ओपेरा से बाहर निकाल दिया गया था. यह बहुत दुख की बात है. हो सकता है कि वह फ्रांस इसलिए गयी थी क्योंकि अपने देश में उसके साथ अत्याचार हो रहा था, और फ्रांस में अब उसे और दबाया जा रहा है. दर्शकों में से कोई भी उसका साथ देने के लिए आगे नहीं आया. लगता ही नहीं कि यह यूरोप में हुआ."

Sebastian Farmborough britischer Fotograf
तस्वीर: Sebastian Farmborough

सेबास्टियन का मानना है कि लोग बुर्का पहनने वाली औरतों को एक अलग ही नजरिए से देखते हैं. लोगों को अक्सर लगता है कि ऐसी महिलाओं से बात नहीं की जा सकती और सेबास्टियन इसी रवैये को बदलना चाहते हैं, "मैं चाहता हूं कि मैं ऐसी तस्वीरें दिखाऊं जिन्हें लोग स्वीकार सकें, जिनके साथ खुद को जोड़ कर देख सकें. सउदी में हर औरत को बुर्का पहनने पर मजबूर नहीं किया जाता है. हां, कुछ के साथ ऐसा होता है लेकिन अधिकतर अपनी मर्जी से बुर्का पहनती हैं और वे उसके साथ भरपूर जिंदगी जीती हैं."

न्यूयॉर्क में जब 9/11 के हमले हुए, तब सेबास्टियन अमेरिका में ही थे. उनका कहना है कि उस दौरान मीडिया ने सउदी के लोगों की इतनी नकारात्मक छवि बना दी कि उन्होंने खुद वहां जा कर उसे देखने और समझने की ठानी, "ट्विटर पर देखिए, वहां सउदी अरब को ले कर बुरी टिप्पणियों की बाढ़ है. आपको एक से एक खराब कहानी मिल जाएगी और पश्चिमी देशों के लोग उसी को पूरा सच मान लेते हैं. लेकिन यह सच्चाई से बहुत दूर है और मैं यही बताना चाहता हूं."