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तनाव के कारण रूखा बर्ताव

२० जनवरी २०१५

अपने परिवार और दोस्तों को ले कर तो हर कोई भावुक होता है लेकिन अजनबियों का दुख भी कई बार परेशानी का सबब बन जाता है. हालांकि जो लोग तनाव से गुजर रहे होते हैं, वे किसी पराए के लिए सहानुभूति महसूस नहीं करते.

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Symbolbild - Stress an Weihnachten
तस्वीर: Fotolia/Alliance

खुशी, दुख और सहानुभूति जैसी भावनाएं केवल इंसानों में ही नहीं पाई जाती. चूहों में भी ये उसी तरह से मौजूद होती हैं. वे दोनों ही अपने और पराए में फर्क करते हैं और अपनों की मौजूदगी में कम तनाव अनुभव करते हैं. इसीलिए इंसानों के बर्ताव को समझने के लिए अमेरिका और कनाडा के रिसर्चरों ने चूहों पर टेस्ट किए.

उन्होंने पाया कि जब चूहों में स्ट्रेस हार्मोन को निष्क्रिय कर दिया जाता, तो वे अनजान चूहों की तरफ भी सहानुभूति दिखाते. वे उनके दर्द को महसूस कर पाते और उनका रवैया कुछ वैसा ही हो जाता जैसा अक्सर जान पहचान के चूहों की तरह होता है. इसके विपरीत जब वे तनाव में होते, तो सहानुभूति नहीं दिखाते.

बाद में यही टेस्ट कॉलेज के छात्रों पर भी किया गया. चूहों वाली ही दवा उन्हें भी दी गयी और उनकी प्रतिक्रिआएं ली गयीं. उनके दोस्त और किसी अनजान व्यक्ति का हाथ तीस सेकंड तक बर्फीले पानी में डाला गया और उनसे उस बारे में पूछा गया. दवा लेने वाले छात्रों ने सहानुभूति दिखाई, उनके चेहरे पर दर्द देखा जा सकता था. यहां तक कि दूसरों को दर्द में देखते हुए उन्होंने बार बार अपनी मुट्ठी बंद की. वहीं दवा ना लेने वालों पर कोई खास फर्क पड़ता नहीं दिखा.

इस रिसर्च में यह भी पाया गया है कि जब इंसान अनजान लोगों से घिरा होता है, तो उसके तनाव का स्तर बढ़ने लगता है. इससे बचने के लिए जरूरी है कि लोग एक दूसरे से बात करने की कोशिश करें. जैसे ही थोड़ी बहुत जान पहचान होने लगती है, तनाव का स्तर गिरने लगता है. रिसर्च के दौरान अनजान छात्रों को मिल कर एक वीडियो गेम खेलने को कहा गया जिसके बाद उनके शरीर में स्ट्रेस हार्मोन की मात्रा कम पायी गयी.

रिसर्च का नेतृत्व करने वाले डॉक्टर जेफ्री मोगील ने इस बारे में कहा, "जहां तक सामाजिक बर्ताव की बात है, तो अब यह कहा जा सकता है कि या तो जितना हम सोचते हैं, चूहे उससे कई ज्यादा पेंचीदा हैं, या फिर इंसानों का बर्ताव जितना हम सोचते हैं, उससे ज्यादा सरल है. चूहे भी तो आखिर सामाजिक जीव ही हैं."

आईबी/एमजे (डीपीए)