1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

डेंगू से एक अरब डॉलर का नुकसान

१२ अक्टूबर २०१४

भारतीय और अमेरिकी शोधकर्ताओं की ताजा रिपोर्ट बताती है भारत में हर साल करीब साठ लाख लोग डेंगू से प्रभावित होते हैं लेकिन इन्हें दर्ज नहीं किया जाता. शोध टीम के डॉनल्ड शेफर्ड से डॉयचे वेले ने की बातचीत.

https://p.dw.com/p/1DTHX
Denguefieber Moskito
तस्वीर: picture-alliance/dpa

डॉयचे वेले: इस रिपोर्ट में मुख्य क्या बात सामने आई है?

डॉनल्ड शेफर्ड: आधिकारिक तौर पर डेंगू के बारे में जितना कुछ दर्ज किया जाता है, वास्तविकता में इसका स्वास्थ्य और अर्थव्यवस्था पर असर उससे कई ज्यादा है. 2006 से 2012 के बीच औसतन सालाना 20,474 मामले दर्ज किए गए. लेकिन जब शोध कर दर्ज ना किए गए मामलों पर ध्यान दिया गया, तो पता चला कि यह संख्या करीब साठ लाख है, यानि आधिकारिक आंकड़ों का करीब तीन सौ फीसदी. और तो और चिकित्सा पर सालाना औसतन करीब 55 करोड़ डॉलर का खर्च आया है. अगर इसमें आप गैर चिकित्सीय खर्चे भी जोड़ें, तो अर्थव्यवस्था को 1.11 अरब डॉलर का नुकसान हुआ है. इसे देखते हुए संजीदगी से विचार करने की जरूरत है.

भारत में डेंगू के इतने मामले रिपोर्ट क्यों नहीं किए जाते?

पहली बात तो यह कि भारत में कई देशों की तरह चुनिंदा मामलों में निगरानी की जाती है. कुछ विशेष पैटर्न दिखते हैं तो उन पर जांच की जाती है, हर मामले की नहीं. दूसरी बात, प्रयोगशाला में जिन मामलों की पुष्टि हो पाती है, बस उन्हीं मामलों को दर्ज किया जाता है. इस प्रक्रिया से यह तो होता है कि केवल वही मामले दर्ज होते हैं जो वाकई डेंगू के थे, लेकिन कई संदिग्ध मामले छूट भी जाते हैं. इसके अलावा ऐसा भी हो सकता है कि जिस समय टेस्ट किया गया, तब जांच में डेंगू का पता ही ना चला हो.

QUALITÄT! Donald S. Shepard Brandeis University
डोनाल्ड शेफर्डतस्वीर: Brandeis University

भारत इससे निपटने में कामयाब क्यों नहीं हो पा रहा?

देश में डेंगू के मामलों की संख्या इतनी बड़ी है कि हम कह सकते हैं कि दुनिया में सबसे ज्यादा डेंगू के मामले भारत में ही हैं. भारत की स्वास्थ्य प्रणाली, खास कर वहां के सरकारी अस्पताल बुरी हालत में हैं. मिसाल के तौर पर अगर डेंगू के मरीजों के लिए अस्पताल में बिस्तर हैं, तो निमोनिया के मरीजों के लिए नहीं हैं.

डेंगू की रोकथाम के लिए क्या किया जाना चाहिए?

इस वक्त डेंगू से निपटने का एक ही तरीका है, मच्छरों की पैदावार को रोकना. लोगों के आसपास जहां भी पानी जमा होगा, वहां डेंगू का खतरा पनपने लगेगा. छत पर पानी की टंकी, एयर कंडीशनर से टपकता पानी, फूलदान, घर में पानी की बाल्टियां या फिर पुराने टायर, सब डेंगू का कारण बन सकते हैं. इससे बचने के लिए लोगों और सरकार दोनों का सहयोग जरूरी है. साथ ही हमें बेहतर संसाधनों की जरूरत है. डेंगू के टीके पर काम चल रहा है. इसे जल्द ही उपलब्ध कराना जरूरी है.

इंटरव्यू: गाब्रिएल डोमिंगेज/आईबी