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आंखें छिपाएंगी दिल की बात

२२ अप्रैल २०१४

आप लोगों को नहीं बताना चाहते कि आपके मन में क्या चल रहा है, तो कोई बात नहीं. एक जोड़ी डिजिटल आंखें मन के भाव छिपा कर झूठे इमोशन आपके लिए दिखा देंगी. नई खोज, एजेंसीग्लास.

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USA,NSA
तस्वीर: Imago

चाहे गुस्सा हो, खुशी हो या फिर बोरियत ये डिजिटल आंखे हर भावना को दिखा सकती हैं. जापान में रोबोट और कृत्रिम बुद्धिमत्ता पर कई प्रयोग किए जाते हैं, इनमें से हर प्रयोग प्रैक्टिकल और इस्तेमाल करने में आसान हो ये जरूरी नहीं. इसी तरह के प्रयोग की कड़ी में शामिल हैं ये डिजिटल आंखें जिन्हें एजेंसीग्लास नाम दिया गया है. इसे बनाने वाले हिरोताका ओसावा ने बताया, "मैं एक ऐसा सिस्टम बनाना चाहता था जो इंसानों के सामाजिक व्यवहार को दिखा सके."

ठीक उसी तरह जैसे रोबोट इंसान को काम में मदद कर सकते हैं, एजेंसी ग्लास किसी के लिए भावनाएं दिखा सकता है. यानी मन में भले ही गुस्सा चल रहा हो, लेकिन दिखा नहीं सकते हों, तो ये डिजिटल आंखें आपके लिए मुस्कुरा देंगी.

दो ऑर्गेनिक लाइट एमिटिंग डायोड (ओएलईडी) स्क्रीन हैं जो मोशन सेंसर और बाहरी कैमरे से जुड़ी हैं. इस स्क्रीन पर दो आंखें दिखाई देती हैं, जो बात करने वाले के तो संपर्क में रहेंगी भले ही उन्हें पहनने वाला कहीं देखता रहे.

जो इसका इस्तेमाल कर रहा है, वह खुद इमोशन चुन सकता है, कि क्या वह सचेत दिखाई देना चाहता है या खुश. चश्मा पहनने से पहले किसी एक इमोशन को चुनना होगा.

जापान की त्सुकुबा यूनिवर्सिटी के ओसावा के मुताबिक यह एयर होस्टेस के काफी काम आ सकता है, खासकर जब परेशान करने वाले यात्री उड़ान में हों या फिर उन शिक्षकों के लिए अच्छा हो सकता है जो शर्मीले छात्रों को अपनी दयावान छवि पेश करना चाहते हों. ओसावा ने बताया, "सेवा क्षेत्र जैसे जैसे बढ़ रहा है और जटिल होता जा रहा है, ऐसी स्थिति में हमें दूसरों के प्रति समझदारी का बर्ताव दिखाना होगा. और इसलिए हमारी सच्ची भावनाओं से अलग हमें व्यवहार करना होगा."

बार बार भावनाओं को दबाने के कारण लोग बीमार हो जाते हैं, इस तकनीक से ऐसे लोगों की मदद हो सकती है.

इन ग्लासेस का वजन 100 ग्राम है और इसकी बैटरी फिलहाल एक ही घंट चल सकती है. फिलहाल इसकी कीमत भी काफी है, 30 हजार येन यानी करीब 18 हजार रुपये. अभी इनका उत्पादन भी शुरू नहीं हुआ है.

एएम/आईबी (एएफपी)