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इंटरनेट का जाल

३१ जुलाई २०१४

केवल स्मार्टफोन और टेबलेट पीसी ही नहीं, इन दिनों टीवी, फ्रिज और यहां तक कि घर के ताले भी इंटरनेट से जुड़ने लगे हैं, यानि आपके आसपास मौजूद हर चीज आप पर साइबर हमला कर सकती है.

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Berlin IFA 2012
तस्वीर: Getty Images

इंटरनेट से जुड़े स्मार्ट घर कुछ ऐसे हो गए हैं कि अगर आपको काम पर पहुंच कर याद आए कि आप घर पर बत्ती बंद करना भूल गए हैं, तो दफ्तर में बैठे बैठे ही आप बत्ती बुझा सकते हैं. यहां तक कि काम से निकलने से पहले ही घर का एसी या हीटर भी चला सकते हैं, ताकि जब तक आप घर पहुंचें, आपके कमरे का तापमान आपके मन मुताबिक हो.

जहां एक तरफ यह सब जीवन को आसान बनाने और सुरक्षा बढ़ाने के लिए किया जा रहा है, वहीं यह सुरक्षा में सेंध भी लगा रहा है. अमेरिका की मशहूर आईटी कंपनी हेवलेट पैकार्ड (एचपी) ने एक शोध कर पता लगाया है कि इंटरनेट से जुड़े 70 फीसदी उपकरण सुरक्षा के लिहाज से खतरनाक हैं.

इंटरनेट ऑफ थिंग्स

एचपी की सिक्युरिटी शाखा 'फॉर्टीफाई' ने इन्हें 'इंटरनेट ऑफ थिंग्स' का नाम दिया है. इंटरनेट के जरिए इन उपकरणों के इस्तेमाल के लिए अपने इंटरनेट अकाउंट में लॉगइन करने की जरूरत होती है. अधिकतर लोग अपने ईमेल, बैंक अकाउंट इत्यादि के पासवर्ड एक जैसे ही रखते हैं. इस कारण इन्हें हैक करना आसान होता है.

'फॉर्टीफाई' के जीएम माइक एरमिस्टेड का इस बारे में कहना है, "इंटरनेट ऑफ थिंग्स अनगिनत चीजों को आपस में जोड़ देता है, लेकिन हमले के खतरे को कई गुना बढ़ा भी देता है." यह शोध ऐसे समय में आया है जब इंटरनेट सुरक्षा को ले कर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बहस चल रही है. हाल के दिनों में टीवी, कारों और यहां तक कि सार्वजनिक टॉयलेट के हैक होने के मामले भी सामने आए हैं.

पासवर्ड पर ध्यान

शोध के लिए ऐसी कई चीजों की जांच की गई जो रिमोट से चलती हैं. टीवी के अलावा इनमें घर की अलार्म घड़ी, दरवाजे का ऑटोमैटिक ताला, बगीचे में पानी देने वाले स्प्रिंकलर, गैरेज के ऑटोमैटिक दरवाजे, घर की चौकसी करने वाले वेबकैम शामिल हैं. शोध में पाया गया कि हर दस में से आठ उपकरण इस्तेमाल करने वालों की निजी जानकारी लीक करते हैं. इसमें ईमेल अड्रेस और यूजर नेम के अलावा, घर का पता, टेलीफोन नंबर, जन्म तिथि, क्रेडिट कार्ड नंबर और बीमा की जानकारी तक शामिल है. अधिकतर उपकरणों में लोगों ने 1234 जैसे आसान से पासवर्ड का इस्तेमाल किया था, जो हैकरों के लिए काम को और भी आसान बना देता है.

एचपी के अनुसार 2020 तक दुनिया भर में 26 अरब उपकरण इंटरनेट से जुड़े हुए होंगे और खतरा बहुत ज्यादा बढ़ जाएंगा, यानि लोग कहीं भी सुरक्षित नहीं रह पाएंगे. लेकिन रिपोर्ट में उम्मीद भी जताई गई है, "खुशकिस्मती से अब भी वक्त है, अब भी ग्राहकों पर होने वाला खतरा टाला जा सकता है."

आईबी/एएम (एएफपी)