1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

कानून का झाड़ू

१५ अप्रैल २०१४

मानहानि के एक मामले में दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल एवं आम आदमी पार्टी के दूसरे नेताओं को सुप्रीम कोर्ट का झटका. उनके खिलाफ निचली अदालत में चल रहे मुकदमे की सुनवाई पर रोक लगाने से इनकार किया.

https://p.dw.com/p/1BiEU
मनीष सिसौदिया और अरविंद केजरीवालतस्वीर: Reuters

न्यायमूर्ति एचएल दत्तू और न्यायमूर्ति एसए बोबडे की खंडपीठ ने निचली अदालत में अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसौदिया एवं प्रशांत भूषण और शाजिया इल्मी के खिलाफ दूरसंचार मंत्री कपिल सिब्बल के बेटे अमित सिब्बल द्वारा दायर मानहानि के मामले की सुनवाई पर रोक लगाने से मना कर दिया.

हालांकि अदालत ने केजरीवाल एवं अन्य को आश्वस्त किया कि वह इस मामले में आरोपमुक्त करने संबंधी उनकी याचिका पर त्वरित सुनवाई करेगा. साथ ही न्यायालय ने त्वरित सुनवाई की दिशा में एक कदम बढ़ाते हुए 22 अप्रैल की तारीख मुकर्रर की है.

इससे पहले आप के नेताओं की ओर से जयंत भूषण ने दलील दी कि अपीलकर्ता की अपील पर शीर्ष अदालत में सुनवाई पूरी होने तक निचली अदालत में मानहानि के मुकदमे की सुनवाई पर रोक लगा दी जानी चाहिए. लेकिन न्यायालय ने ऐसा करने से मना कर दिया.

गौरतलब है कि आप के नेताओं ने निचली अदालत में मानहानि के मामले को निरस्त करने का दिल्ली उच्च न्यायालय से आग्रह किया था. लेकिन 16 जनवरी को उसने ऐसा करने से इनकार कर दिया था. हालांकि उच्च न्यायालय ने निचली अदालत से कहा था कि वह आरोप मुक्त करने संबंधी केजरीवाल एवं आप के अन्य नेताओं की याचिका पर विचार करे.

जूनियर सिब्बल ने उच्च न्यायालय के इस आदेश को शीर्ष अदालत में चुनौती दी है. उनकी याचिका पर उच्चतम न्यायालय ने सात फरवरी को केजरीवाल एवं अन्य नेताओं को नोटिस जारी किए थे.

अमित सिब्बल का आरोप है कि वोडाफोन टैक्स माफी मामले में केजरीवाल और उनकी पार्टी ने उन्हें व उनके पिता को बदनाम करने की कोशिश की. केजरीवाल ने कानून मंत्री कपिल सिब्बल पर आरोप लगाया था कि 2011 में उन्होंने कानून मंत्री बनने के 24 घंटों के भीतर ही हचिसन एसार और वोडाफोन की देनदारी का मामला कोर्ट के बाहर ही सुलझा दिया. अमित सिब्बल उस वक्त हचिसन के वकील थे.

ओएसजे/एएम (वार्ता)