1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

केजरीवाल के खिलाफ 'आप' के संस्थापक सदस्य

२७ मार्च २०१५

आम आदमी पार्टी के भीतर मचा घमासान शांत होने के बजाए और बढ़ गया. पार्टी के संस्थापक सदस्यों प्रशांत भूषण और योगेन्द्र यादव जैसे महत्वपूर्ण नेताओं ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर खुलेआम पार्टी प्रमुख अरविंद केजरीवाल पर आरोप जड़े.

https://p.dw.com/p/1EyQC
Indien Wahlen Arvind Kejriwal und Yogendra Yadav von Aam Aadmi Party
तस्वीर: picture-alliance/dpa

आप प्रमुख और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के खिलाफ पार्टी के संस्थापक सदस्यों प्रशांत भूषण और योगेन्द्र यादव ने मोर्चा खोल दिया है. उन्होंने एक प्रेस कांफ्रेंस बुलाकर पार्टी के भीतर नदारद आंतरिक लोकतंत्र और सत्ता हासिल करने के लिए अपनाए गए गलत तरीकों की पोल खोल दी. इन दोनों नेताओं ने बताया कि उनके द्वारा उठाए गए हर मुद्दे को ऐसे पेश किया गया जैसे वह केजरीवाल के नेतृत्व पर सवाल उठाना हो या फिर केजरीवाल को पार्टी संयोजक पद से हटाने की कोशिश हो.

यह प्रेस कॉन्फ्रेंस कल होने वाली आप की महत्वपूर्ण राष्ट्रीय परिषद की बैठक के पहले हुई है. इस बैठक में भूषण और यादव के पार्टी में भविष्य और दूसरे अहम मुद्दों पर राष्ट्रीय परिषद पैसला सुना सकती है. उसके पहले ही इन दोनों नेताओं ने कह दिया है कि यदि केजरीवाल उनकी पांच मांगे नहीं मानते हैं तो वे दोनों अपने सभी "कार्यकारी पद" छोड़ देंगे. इन पांच मांगों में पार्टी को सूचना के अधिकार आरटीआई के अंतर्गत लाना, आप के आंतरिक लोकपाल से पार्टी की राज्य इकाइयों की गड़बड़ियों के मामलों की जांच करवाना शामिल हैं.

भूषण ने केजरीवाल पर आरोप जड़ा कि वे पिछले साल दिल्ली में कांग्रेस के विधायकों के सहयोग से सरकार बनाना चाहते थे. भूषण ने कहा, "राष्ट्रीय कार्यकारिणी ने कांग्रेस के समर्थन से सरकार बनाने के प्रस्ताव को नामंजूर कर दिया था. इसके बावजूद, केजरीवाल ने लेफ्टिनेंट गवर्नर को चिट्ठी भेजी और विधानसभा को भंग ना करने के लिए कहा." भूषण का आरोप है कि केजरीवाल उनके और योगेन्द्र यादव के साथ काम करने के बजाए दिल्ली में जीत कर आए 67 विधायकों वाली अपनी एक अलग पार्टी बनाना चाहते थे.

दिल्ली चुनाव प्रचारों में अपनी साफ सुथरी छवि, भ्रष्टाचार विरोधी एजेंडे और लोकलुभावन वादों के साथ आए अरविंद केजरीवाल के नाम पर दिल्ली की जनता ने भारी बहुमत दिया. लेकिन आम आदमी पार्टी खुद अपने आंतरिक क्लेष से बच नहीं सकी. उनके ही दल के संस्थापक सदस्य अब उन्हें ऐसा नेता बता रहे हैं जो केवल अपनी मर्जी चलाना चाहता हो. भूषण ने कहा, "वह (केजरीवाल) चाहते हैं कि हमेशा अंतिम निर्णय उन्हीं का हो. वह ऐसे लोगों के साथ काम नहीं कर सकते जिनके विचार उनसे अलग हों और जो उनके खिलाफ खड़े हो सकें."  

आरआर/ओसजे (पीटीआई)